(Source: ECI / CVoter)
Jharkhand: झारखंड में सरकार की अजीब-ओ-गरीब नीतियों के बीच 'फुटबॉल' बने बेरोजगार युवा
Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की भर्ती नीतियों को भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 और 16 का उल्लंघन बताते हुए असंवैधानिक करार दिया है.
Jharkhand News: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की गलत नीतियों की वजह से युवाओं हाल बेहाल है। खासकर ऐसे युवाओं की जो रोजगार की तलाश में सिद्धत से भटक रहे हैं. सरकारी नौकरियों की तलाश में भटकते ऐसे बेरोजगार युवाओं की हालत ऐसे फुटबॉल की तरह हो गई है जो किसी गोलपोस्ट तक नहीं पहुंच पाता. कभी नौकरी परीक्षाओं में गड़बड़ियों की भेंट जाती हैं तो कभी आरक्षण पर पेंच फंस जाता है. कभी भाषा का विवाद उठ खड़ा होता है तो कभी परीक्षा लेने वाली संस्थाएं खुद विवादों के कठघरे में आ जाती हैं. कभी नियुक्ति परीक्षा पास करने के बाद भी उम्मीदवार सालों-साल नियुक्ति पत्र का इंतजार करते रह जाते हैं तो कभी रिक्रूटमेंट की सरकारी पॉलिसी अदालत में निरस्त हो जाती है.
1 लाख रोजगार के अवसरों पर इस वजह से लगा ब्रेक
ताजा मामला यह है कि राज्य की सरकार द्वारा नियुक्तियों के लिए 2021 में घोषित संशोधित नियमावली को झारखंड हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया है. इसके साथ ही राज्य में निकट भविष्य में संभावित लगभग एक लाख पदों पर होने वाली नियुक्तियों की प्रक्रिया पर ब्रेक लग गया है.
हाईकोर्ट ने इस शर्त को माना असंवैधानिक
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की सरकार ने बीते 2021 के अगस्त महीने में अराजपत्रित पदों पर नियुक्ति की परीक्षाओं के लिए संशोधित नियमावली नोटिफाई की थी. इसमें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए यह शर्त लगाई गई थी कि वे राज्य में सरकारी नौकरियों के लिए तभी पात्र माने जाएंगे, जब उन्होंने मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं इसी राज्य से पास की हों. यह पॉलिसी नोटिफाई होते ही रमेश हांसदा सहित कई अभ्यर्थियों ने इसे झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी. कई तारीखों में लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने बीते शुक्रवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने इस नियमावली को भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 और 16 का उल्लंघन बताते हुए असंवैधानिक करार दिया. कोर्ट ने इसे समानता के अधिकार और संविधान की मूल भावना के खिलाफ ठहराया. परीक्षा नियमावली में क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हिंदी को हटाकर उर्दू को शामिल करने को भी कोर्ट ने गलत माना. नई नियमावली के तहत राज्य में लगभग 14 हजार पदों पर नियुक्तियों के लिए प्रक्रियाएं चल रही थीं. कोर्ट के आदेश के साथ ही ये तमाम प्रक्रियाएं निरस्त हो गईं. इसी तरह हेमंत सोरेन सरकार ने शिक्षकों के लगभग 50 हजार और अन्य विभागों में 30 हजार पदों पर नियुक्तियों के लिए विज्ञापन निकालने की तैयारी कर ली थी. इनपर भी फिलहाल ब्रेक लग गया है. हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगजाएगी. जाहिर है, यह अदालती लड़ाई लंबी चलेगी और इस बीच बेरोजगार युवाओं के एक बड़े समूह की नौकरी की उम्र एक्सपायर हो जाएगी.
बता दें कि हेमंत सोरेन सरकार ने वर्ष 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया था, लेकिन यह वर्ष नियुक्ति की नियमावली बनाने की प्रक्रिया में ही गुजर गया. इस वर्ष छिटपुट बहालियां हुईं। बीते वर्ष विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आजसू पार्टी के विधायक सुदेश महतो के प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया था कि वर्ष 2021 में 89 भर्ती कैंप लगाकर 1915 युवाओं को नौकरी दी गई. नई नियुक्ति नियमावली के जरिए वर्ष 2022 में कुल 432 पदों पर बहालियां की गई हैं, जबकि 23 विज्ञापनों के जरिए 13 हजार 968 पदों पर बहाली की प्रकियाएं चल रही थीं. अब इन प्रक्रियाओं पर विराम लगने से नियुक्तियों के लिए फॉर्म भरने वाले लाखों युवाओं के लिए इंतजार और लंबा हो गया है.
ये परीक्षाएं हुईं रद्द
हाईकोर्ट के इस फैसले की वजह से झारखंड डिप्लोमा स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता, झारखंड इंटरमीडिएट स्तर संयुक्त प्रतियोगिता, स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक परीक्षा, हाई स्कूल पीजीटी परीक्षा, नर्स, लैब असिस्टेंट, वैज्ञानिक सहायक, आईटीआई ट्रेनिंग ऑफिसर्स सहित कई परीक्षाएं रद्द हुई हैं। इनके अलावा जेपीएससी की ओर से आयोजित विभिन्न स्तरों की एक दर्जन से ज्यादा नियुक्ति परीक्षाओं में गड़बड़ियों की सीबीआई जांच चल रही है.
झारखंड सरकार के अपने आंकड़े भी बताते हैं कि राज्य में युवाओं को रोजगार देने के मामले में वह कितनी फिसड्डी है। राज्य सरकार में करीब 5 लाख 33 हजार पद स्वीकृत हैं, लेकिन फिलहाल कार्यरत कर्मियों की संख्या मात्र एक लाख 83 हजार है। यानी लगभग साढ़े तीन लाख पद खाली हैं। सबसे ज्यादा 1 लाख 40 हजार पद प्राथमिक शिक्षा विभाग में हैं। इसी तरह माध्यमिक शिक्षा विभाग में 73 हजार और गृह विभाग में 63 हजार पद खाली हैं.
यह भी पढ़ें : Jharkhand: रेप पीड़िता नेत्रहीन युवती के साथ हुआ रेप, गर्भपात के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब