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Churdhar Yatra 2023: आज से शुरू हुई चूड़धार यात्रा, 11,965 फीट की ऊंचाई पर महादेव हरते हैं भक्तों के दुःख

आज से शुरू हुई चूड़धार की यात्रा, सिरमौर में 11 हजार 965 फीट की ऊंचाई पर विराजमान शिरगुल महादेव को चौपाल और सिरमौर का देवता भी माना जाता है. यह मंदिर सर्दियों में लगऊग छह महीने बंद रहता है.

Himachal Pradesh News: विश्व भर में हिमाचल प्रदेश की पहचान देवभूमि के रूप में है. यहां बने मंदिर हिमाचल की धरती को पावन और पवित्र बनाते हैं. हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर (Sirmaur) में 11 हजार 965 फीट की ऊंचाई पर भगवान शिव का मंदिर है. यहां भगवान शिव शिरगुल महाराज के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. शिरगुल महादेव को चौपाल और सिरमौर का देवता भी माना जाता है. कहते हैं कि यहां सच्चे मन से पहुंचने वाले भगवान शिव के भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. सर्दियों में करीब छह महीने बंद रहने के बाद चूड़धार की यात्रा आज एक बार फिर शुरू हो चुकी है.

कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव का एक अनन्य भक्त चूरु हुआ. एक बार चूरु अपने बेटे के साथ इस पहाड़ी से होकर गुजर रहा था, तभी अचानक रास्ते में एक बड़ा सांप आ गया. चूरु अपने बेटे की जान बचाने के लिए बेहद चिंतित हो उठा. सांप चूरु और उसके बेटे को अपना शिकार बनाने के लिए पीछा करने लगा. इसके बाद भक्त चूरु ने भगवान शिव की आराधना की. भगवान शिव का स्मरण करते ही एक विशालकाय चट्टान सांप पर आ गिरा. इससे भक्त चूरु और उसका बेटा सांप का शिकार होने से बच गए. इसके बाद भक्त चूरु ने इस पहाड़ी पर भगवान शिव के मंदिर की स्थापना की.

लोगों की आस्था का केंद्र है चूड़धार मंदिर
आज यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां सिरमौर के नौहराधार और शिमला के चौपाल से करीब छह घंटे की चढ़ाई चढ़कर पहुंचा जाता है. 11 हजार 965 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव की मूर्ति भक्तों को भगवान के साक्षात दर्शन का अनुभव कराती है. यहां पहुंचने पर शिमला और सिरमौर का खूबसूरत नजारा भी दिखता है. हर साल लाखों की संख्या में भक्तों पैदल चढ़कर भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं. जिला शिमला और सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी पर विराजमान देवता शिरगुल महाराज में हिमाचल के साथ पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के जौनसार बाबर के भी लाखों लोगों की आस्था है.

कैसे पहुंचे चूड़धार मंदिर?
इन क्षेत्रों के हजारों लोग हर दिन अपने आराध्य देव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मई महीने से नवंबर महीने तक श्रद्धालुओं की संख्या हर दिन पांच हजार से भी अधिक रहती है. इसके अलावा मैदानी इलाकों से भी सैकड़ों पर्यटक देवस्थल चूड़धार पहुंचते हैं. शिरगुल महाराज के मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 20 से 25 किलोमीटर की पैदल यात्रा करना पड़ती है. चूड़धार पहुंचने के दो रास्ते हैं. पहला रास्ता जिला सिरमौर के नौहराधार से होकर गुजरता है. यहां से चूड़धार की दूरी तकरीबन 14 किलोमीटर है. दूसरा रास्ता जिला शिमला के सराहन चौपाल का है. यहां से चूड़धार सिर्फ 6 किलोमीटर की ही दूरी पर है. यहां से नजदीकी हवाई पट्टी 105 किलोमीटर दूर शिमला में और हवाई अड्डा 134 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ में है. एयरपोर्ट से टैक्सी या बस से भी यहां पहुंचा जा सकता है. चूड़धार का निकटतम स्टेशन शिमला
में है.

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