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Earthquake in Mandi: साल के अंतिम दिन हिमाचल में हिली धरती, रिक्टर स्केल पर 2.8 मापी गई तीव्रता
Earthquake News: हिमाचल के मंडी जिले के सुंदरनगर में लोगो ने भूकंप का झटका महसूस किया।
![Earthquake in Mandi: साल के अंतिम दिन हिमाचल में हिली धरती, रिक्टर स्केल पर 2.8 मापी गई तीव्रता Earthquake Himachal Mandi Earth shook last day 2022 intensity measured 2.8 Earthquake in Mandi: साल के अंतिम दिन हिमाचल में हिली धरती, रिक्टर स्केल पर 2.8 मापी गई तीव्रता](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/12/31/d3cac408f92a5047f785ddc2bd767a2c1672459804847369_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Earthquake in Himachal: साल 2022 के अखिरी दिन हिमाचल प्रदेश के मंडी में एक बार फिर धरती के हिलने की सूचना है. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 2.8 मापी गई है. यह भूकंप के झटके जिला मंडी के नालू में आए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.80 मापी गई. भूकंप सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर आया. यह भूकंप के झटके जमीनी सतह के पांच किलोमीटर भीतर लगे. हालांकि राहत की बात यह रही कि भूकंप के झटकों की वजह से जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ है.
16 नवंबर को भी मंडी में आया था भूकंप
इससे पहले 16 नवंबर को भी मंडी और कुल्लू में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. 3 दिसंबर को चंबा के चुराह में रात 12:38 पर भूकंप आया था. 16 दिसंबर को भी किन्नौर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. उस वक्त इस भूकंप की तीव्रता 3.40 मापी गई थी.
क्यों आता है भूकंप?
दुनियाभर के अलग-अलग इलाकों में हर साल छोटे-बड़े भूकंप आते रहते हैं. जानकार मानते हैं कि दुनिया भर में हर साल लगभग 20 हजार से ज्यादा बार भूकंप आते हैं. इनमें कुछ तो इतने मामूली होते हैं कि वे सिस्मोग्राफ पर दर्ज भी नहीं हो पाते. कुछ भूकंप इतने शक्तिशाली होते हैं कि भयंकर तबाही मचा देते हैं. भूकंप आने का कारण धरती के भीतर की उथल-पुथल बताई जाती है. एक तथ्य यह भी है कि ये भूकंप के झटके लाखों की संख्या में होते हैं, लेकिन ज्यादातर झटके हल्के होने के कारण उनका पता नहीं लग पता है.
सिस्मिक जोन पांच में आता है हिमाचल
भूकंप को लेकर पूरे देश को पांच जोन में बांटा गया है. यह पांच जोन बताते हैं कि कौन से राज्य या इलाकों में भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा है. इसमें पांचवें जोन को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है. जोन पांच में नुकसान की सबसे ज्यादा आशंका बनी रहती है. देश का करीब 11 फीसदी हिस्सा पांचवें जोन में आता है. हिमाचल प्रदेश सिस्मिक जोन पांच में शामिल है.
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