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Diwali 2023: आदिवासियों का पुश्तैनी पर्व मनाने जांजगीर पहुंचे CM बघेल, गौरा-गौरी की पूजा कर खाए 5 कोड़े, बताई वजह
CM Bhupesh Baghel News: छत्तीसगढ़ में दीपावली के दूसरे दिन ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्र में गौरा गौरी पर्व मनाया जाता है. इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में दीपावली के दूसरे दिन गौरा गौरी पूजा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के जांजगीर गांव में गौरा गौरी पूजा में शामिल होने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) पहुंचे. वहां उन्होंने पहले पूरे विधि विधान से गौरा गौरी की पूजा की. इसके बाद उन्होंने लगातार पांच बार अपने हाथों पर कोड़े खाए. सीएम भूपेश बघेल ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कोड़े खाने की वजह बताई.
दरअसल, छत्तीसगढ़ में दीपावली के दूसरे दिन ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्र में गौरा गौरी पर्व मनाया जाता है. इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि, यह आदिवासियों का पुश्तैनी पर्व है जो सदियों से चला आ रहा है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के जांजगीर गांव में भी गौरा गौरी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया. इसी गौरा गौरी पूजा में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल हुए. सीएम बघेल ने पहले गौरा गौरी की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की. इसके बाद परंपरा अनुसार अपने हाथों में लगातार पांच कोड़े खाए.
सीएम बघेल ने खाए पांच कोड़े
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछले कई सालों से लगातार दिवाली के दूसरे दिन आदिवासियों समाज द्वारा किए जाने वाले गौरा गौरी पूजा में शामिल होने जांजगीर गांव पहुंचते हैं. उन्होंने पूरे विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की. इसके बाद हर साल की तरह इस साल भी परंपरा के अनुसार अपने हाथों पर कोड़े खाए. लगातार सीएम भूपेश बघेल के हाथों में पांच बार कोड़े मारे गए. इसके बाद सीएम भूपेश बघेल ने कोड़े मारने वाले व्यक्ति को गले लगाकर अभिवादन किया.
सीएम ने क्या कहा?
सीएम भूपेश बघेल ने एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत की. साथ ही उन्होंने कोड़े खाने के सवालों पर कहा कि, यह परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है. हम सब उसका निर्वहन कर रहे हैं और आगे की पीढ़ी भी करेगी. इसकी मान्यता को लेकर किए गए सवाल पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि, आदिवासी समाज द्वारा यह पर्व आयोजित होता है, हर साल मुझे सम्मान से बुलाते हैं, निमंत्रण देते हैं तो मैं हर साल आता हूं और उनके साथ मिलके पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करता हूं. आगे उनसे पूछा गया कि, चुनावी साल में उन्होंने क्या मांगा तो उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ में हम लोगों को 5 साल सेवा करने का मौका मिला आगे भी मिले.
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