पटना: बिहार सरकार ने मंगलवार को कहा कि बक्सर जिले में गंगा से अबतक कुल 73 शव निकाले गए हैं. उनके कोरोना संक्रमित मरीजों के शव होने की आशंका जताते हुए यह संभावना जतायी जा रही है कि संभवतः अंतिम संस्कार नहीं करके उन्हें गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया गया होगा. बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने मंगलवार को अपने ट्वीट में बक्सर जिले में चौसा गांव के पास इन शवों के गंगा नदी में मिलने की चर्चा करते हुए कहा कि 4-5 दिन पुराने क्षत-विक्षत ये शव पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से बहकर बिहार आए हैं. 


घटना से मुख्यमंत्री हैं दुखी


उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इतनी संख्या में शव बरामद होने और नदी में उन्हें प्रवाहित किए जाने से तकलीफ पहुंची है क्योंकि वह गंगा नदी की स्वच्छता और निर्बाध प्रवाह को लेकर हमेशा चिंतित रहे हैं और उन्होंने जिला प्रशासन को नदी किनारे गश्ती बढ़ाने को कहा है, ताकि इसकी पुनरावृत्ति न हो. झा ने ट्वीट किया, ‘‘ उत्तरप्रदेश और बिहार के सीमावर्ती रानीघाट में गंगा में जाल लगाया गया है. हमने उत्तरप्रदेश प्रशासन को सतर्क रहने की सलाह दी है. हमारा प्रशासन भी सतर्कता बरत रहा है. ’’


आज भी बह कर आए दो शव


इस बीच बक्सर के अनुमंडल अधिकारी केके उपाध्याय ने बताया कि सीमा पर लगाए गए जाल के समीप उत्तरप्रदेश की ओर से मंगलवार को दो अन्य शव नदी में बहते हुए आए हैं, जिनके अंतिम संस्कार का प्रबंध सीमा पर ही किया जा रहा है.


गौरतलब है कि सोमवार को बक्सर जिले के चौसा में बड़ी संख्या में शव गंगा नदी में देखे गए थे. कई समाचार चैनलों ने दावा किया है कि ये शव उन कोरोना पीड़ितों के हैं जिनके परिवार के सदस्यों द्वारा गरीबी के कारण और संसाधन के अभाव में शव को छोड़ दिया गया या सरकारी कर्मी इस डर से कि वे स्वयं संक्रमण की चपेट में कहीं न आ जाएं, शवों को नदी में फेंक कर फरार हो गए. चौसा के प्रखंड विकास अधिकारी अशोक कुमार ने सोमवार को मृतक में से किसी के भी बक्सर जिला का निवासी होने से इनकार किया था.


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