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Explained: जानिए कैसा रहा भारत के मेडल विनर्स का टोक्यो ओलंपिक तक का सफर, अब तक जीते कितने मेडल

Explained: रविवार को समाप्त हुए टोक्यो ओलंपिक में भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. भारत ने इन खेलों में एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल मिलाकर कुल सात पदक अपने नाम किए हैं.

Explained: रविवार को समाप्त हुए टोक्यो ओलंपिक में भारत ने अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. भारत ने खेलों के इस महाकुंभ में एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल मिलाकर कुल सात पदक अपने नाम किए हैं. साथ ही भारत के एथलीटों ने इन खेलों के दौरान कई इतिहास भी रचे. जेवलीन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने देश के लिए ट्रैक एंड फील्ड का पहला गोल्ड मेडल जीत कमाल कर दिया, वहीं पुरुष हॉकी में 41 सालों के बाद एक बार फिर भारतीय हॉकी टीम मेडल जीतने में सफल रहीं. 

आइए जानते हैं मेडल विजेता भारतीय एथलीटों का टोक्यो ओलंपिक तक का ये सफर कैसा रहा है और उनके नाम और कौन कौन सी उपलब्धियां शामिल हैं.  

नीरज चोपड़ा – स्वर्ण पदक

गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने ट्रैक एंड फील्ड के इवेंट जेवलीन थ्रो (भाला फेंक) में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता. टोक्यो ही नहीं बल्कि ओलंपिक इतिहास में नीरज पहले भारतीय एथलीट हैं जिन्होंने ट्रैक एंड फील्ड के किसी इवेंट में गोल्ड मेडल जीता है. भारतीय सेना में सूबेदार 23 वर्षीय नीरज हरियाणा के पानीपत के रहने वाले हैं. साल 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में नीरज ने 82.23 मीटर तक भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीता था. इसके बाद 2017 में आयोजित एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में उन्होंने 85.23 मीटर की दूरी तक भाला फेंक स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. 

साल 2018 के राष्ट्रमण्डल खेलों में नीरज ने 86.47 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक अपने नाम किया. टोक्यो ओलंपिक से पहले इस साल मार्च, 2021 में नीरज ने 88.06 मीटर के नए नेशनल रिकॉर्ड के साथ अपने इस सीजन की शुरुआत की.  

मीराबाई चानू – रजत पदक

मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक के पहले ही दिन देश के लिए मेडल जीत इतिहास रच दिया था. ये ओलंपिक में पहला मौका था जब भारत ने पहले दिन ही मेडल जीता. चानू ने महिला भारोत्तोलन के 49 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीता. उन्होंने स्नैच में 87 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 115 किलोग्राम मिलाकर कुल 202 किलोग्राम वजन उठाया था. 26 साल की मीराबाई चानू मणिपुर की रहने वाली हैं और उन्होंने 2008 में भारोत्तोलन में करियर की शुरुआत की थी. उन्हें पद्मश्री के साथ साथ राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

रवि दहिया – रजत पदक

हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले रवि दहिया 57 किलोग्राम वर्ग में फ्री स्टाइल कुश्ती करते हैं. टोक्यो ओलंपिक में फाइनल तक पहुंचकर उन्होंने कुश्ती में भारत के पहले गोल्ड मेडल की उम्मीद जगाई थी. हालांकि फाइनल में कड़े मुकाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. कुश्ती में रजत पदक जीतने वाले रवि दहिया देश के दूसरे पहलवान. उनसे पहले सुशील कुमार ने ये कारनामा किया है. 

12 दिसंबर 1997 को पैदा हुए, रवि दहिया 23 साल के हैं. साल 2019 में विश्व चैम्पियनशिप में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता था. इसके बाद 2020 की एशियाई चैंपियनशिप में दहिया ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. अप्रैल, 2021 में दहिया ने एक बार फिर एशियाई चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था. 

लवलीना बोरगोहेन – कांस्य पदक

23 साल की लवलीना बोरगोहेन के लिए भी टोक्यो ओलंपिक का ये सफर शानदार रहा है. उन्होंने इन खेलों में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया और कांस्य पदक अपने नाम किया. इस साल बॉक्सिंग में ये भारत का एकमात्र मेडल है. असम के गोलाघाट जिले के बड़ा मुखिया गांव की रहने वाली लवलीना का जन्म 2 अक्टूबर 1997 को हुआ. उन्होंने किक-बॉक्सर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. बाद में लवलीना ने बॉक्सिंग की ओर रुख किया और 2012 से इसकी कोचिंग लेनी शुरू की.

जून, 2017 में लवलीना ने अस्ताना में प्रेसिडेंट्स कप में कांस्य पदक जीता. इसके बाद उन्होंने नवंबर, 2017 में वियतनाम में एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया. फरवरी 2018 में लवलीना ने इंडिया ओपन में स्वर्ण पदक जीत इतिहास रच दिया. इसके बाद उन्होंने 2018 और 2019 में लगातार दो विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने का कारनामा किया. 2020 में उन्होंने एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर के सेमीफाइनल तक पंहुच टोक्यो के लिए क्वालिफाई किया.  

पुरुष हॉकी - कांस्य

भारतीय पुरुष हॉकी के लिए भी ये टोक्यो ओलंपिक एतिहासिक रहें. जर्मनी के खिलाफ हुए कांस्य पदक के मुकाबले में भारत ने 5-4 के अंतर से जीत दर्ज कर 41 साल बाद मेडल जीता. भारतीय पुरुष टीम ने आखिरी बार 1980 के मॉस्को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था. अब तक भारतीय टीम ओलंपिक में 8 गोल्ड, 1 रजत और 3 कांस्य पदक जीत चुकी है. ओलम्पिक के इतिहास में ये कारनामा करने वाली ये इकलौती टीम है. इसके अलावा 49 साल बाद यानी 1972 के ओलंपिक खेलों के बाद ये पहला मौका था जब हॉकी टीम सेमीफाइनल में पंहुची थी

बजरंग पूनिया – कांस्य पदक

हरियाणा के झज्जर निवासी बजरंग पुनिया 65 किलोग्राम वर्ग में फ्रीस्टाइल कुश्ती करते हैं. 27 साल के बजरंग इस वर्ग में इस समय वर्ल्ड रैंकिंग में पहले पायदान पर हैं. उन्होंने 2013 में दिल्ली में आयोजित एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था. इसके बाद 2014 के ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता. 2014 के ही एशियन गेम्स में भी बजरंग ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था.

2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में इस बार और बेहतर प्रदर्शन करते हुए बजरंग ने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया था. साल 2015 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके बाद 2019 में बजरंग को पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 

पीवी सिंधु – कांस्य पदक

पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक में बैडमिंटन के महिला सिंगल्स इवेंट में कांस्य पदक अपने नाम किया. इस से पहले 2016 के रियो ओलंपिक में भी उन्होंने रजत पदक जीता था. ओलंपिक के बैडमिंटन इवेंट में दो मेडल जीतने वाली सिंधु देश की एकमात्र एथलीट हैं. 26 साल की सिंधु तेलंगाना की रहने वाली हैं. 2020 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था. इसके साथ ही उन्हें अजुर्न अवार्ड, पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

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