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Parenting Tips: माता-पिता का ऐसा बर्ताव बर्बाद कर सकता है बच्चों का मेंटल हेल्थ
जब पालन-पोषण की बात आती है तो कई चीजें होती हैं, जिन्हें हम सही मानते हैं. लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जो फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती हैं. यहां उन्हीं गलतियों के बारे में बात कर रहे हैं.
![जब पालन-पोषण की बात आती है तो कई चीजें होती हैं, जिन्हें हम सही मानते हैं. लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जो फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती हैं. यहां उन्हीं गलतियों के बारे में बात कर रहे हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/25/d877ceafc2ed75bdfef005e8295e9e0b1716653663735962_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
कहीं बर्बाद न हो जाए बच्चे का मेंटल हेल्थ, इसलिए रखें इन बातों का ध्यान
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![अपने और दूसरों के बच्चे के बीच तुलना करना- यह एक सबसे खराब चीज है, जिसका असर बच्चे के दिमाग पर लंबे समय तक रह सकता है. इसके चलते उनमें हीन भावना के साथ यह भी यह बात भी बैठ जाती है कि वे कभी भी अच्छे नहीं बनेंगे. इससे उनमें आत्मविश्वास की कमी, आत्मसम्मान की कमी और सेल्फ-लव की कमी घर कर जाती है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/25/c355a233356f1c8996935acddb69bc93f8697.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
अपने और दूसरों के बच्चे के बीच तुलना करना- यह एक सबसे खराब चीज है, जिसका असर बच्चे के दिमाग पर लंबे समय तक रह सकता है. इसके चलते उनमें हीन भावना के साथ यह भी यह बात भी बैठ जाती है कि वे कभी भी अच्छे नहीं बनेंगे. इससे उनमें आत्मविश्वास की कमी, आत्मसम्मान की कमी और सेल्फ-लव की कमी घर कर जाती है.
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![अपने बच्चे की भावनात्मक जरूरतों को नजरअंदाज करना- अपने बच्चे की भावनात्मक जरूरतों को नजरअंदाज करना एक तरह से उन्हें खुद से दूर करने जैसा है, जो बाद में उनके बच्चों के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से हानिकारक साबित होते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/25/897ef8a68dcf77f696ffe2c25504c213ff686.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
अपने बच्चे की भावनात्मक जरूरतों को नजरअंदाज करना- अपने बच्चे की भावनात्मक जरूरतों को नजरअंदाज करना एक तरह से उन्हें खुद से दूर करने जैसा है, जो बाद में उनके बच्चों के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से हानिकारक साबित होते हैं.
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![अपना रास्ता निकालने के लिए अपराध बोध का इस्तेमाल करना- माता-पिता पश्चाताप या शर्म की भावना पैदा करने के कोशिश में अनजाने में अपने बच्चों को उनके लिए कुछ करने के लिए अपराधी जैसा महसूस करवाने लगते हैं. ऐसा करने से कभी-कभी यह उनके लिए इमोशनल ब्लैकमेल करने जैसा हो जाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/25/022cd2a1ee173494cd673a2d8ec701ab7037f.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
अपना रास्ता निकालने के लिए अपराध बोध का इस्तेमाल करना- माता-पिता पश्चाताप या शर्म की भावना पैदा करने के कोशिश में अनजाने में अपने बच्चों को उनके लिए कुछ करने के लिए अपराधी जैसा महसूस करवाने लगते हैं. ऐसा करने से कभी-कभी यह उनके लिए इमोशनल ब्लैकमेल करने जैसा हो जाता है.
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![परफेक्ट होनी की मांग करना- बच्चों को सितारों तक पहुंचना सिखाया जाना चाहिए लेकिन यह एक विकल्प होना चाहिए न कि आवश्यकता. हर प्रतियोगिता में जीतने और हर परीक्षा में अव्वल आने के लिए बच्चे को प्रेरित करना एक अलग बात और उसपर ऐसा ही होना चाहिए का दबाव बनाना एक अलग बात है. इसके लिए वह कड़ी मेहनत करता है, लेकिन परिणाम उसके हाथ नहीं हो सकता. दबाव बनाने से बच्चे में असंतोष और विफलता की गहरी भावना बनी रहती है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/25/4a77378388bd4ab50534cd200e2763fb9b485.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
परफेक्ट होनी की मांग करना- बच्चों को सितारों तक पहुंचना सिखाया जाना चाहिए लेकिन यह एक विकल्प होना चाहिए न कि आवश्यकता. हर प्रतियोगिता में जीतने और हर परीक्षा में अव्वल आने के लिए बच्चे को प्रेरित करना एक अलग बात और उसपर ऐसा ही होना चाहिए का दबाव बनाना एक अलग बात है. इसके लिए वह कड़ी मेहनत करता है, लेकिन परिणाम उसके हाथ नहीं हो सकता. दबाव बनाने से बच्चे में असंतोष और विफलता की गहरी भावना बनी रहती है.
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![ओवर प्रोटेक्टिव- अपने बच्चे को एक सुरक्षित बुलबुले में रखने से काफी हद तक चिंता दूर हो जाती है लेकिन उन्हें बाधाओं से बचाने से उनके विकास में बाधा आती है. अपने आप को मार्गदर्शक समझें, अभिभावक नहीं. अपने बच्चों को जीवन का अनुभव करने की अनुमति दें, भले ही इसे छोड़ना डरावना हो. उन्हें जीवन में आने वाली किसी भी परिस्थिति को संभालना सिखाएं न कि उस परिस्थिती को अनुभव करने से ही रोक लें.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/25/486513ae60e6afcdf5f198c0d2d8b83c4bd98.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
ओवर प्रोटेक्टिव- अपने बच्चे को एक सुरक्षित बुलबुले में रखने से काफी हद तक चिंता दूर हो जाती है लेकिन उन्हें बाधाओं से बचाने से उनके विकास में बाधा आती है. अपने आप को मार्गदर्शक समझें, अभिभावक नहीं. अपने बच्चों को जीवन का अनुभव करने की अनुमति दें, भले ही इसे छोड़ना डरावना हो. उन्हें जीवन में आने वाली किसी भी परिस्थिति को संभालना सिखाएं न कि उस परिस्थिती को अनुभव करने से ही रोक लें.
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![यह मानना कि बच्चे हमेशा हर बात पर सहमत होंगे- कुछ माता-पिता अपने बच्चों का पालन-पोषण इस तरह करते हैं, कि उनकी राय माता-पिता से अलग नहीं होनी चाहिए. अगर वे ऐसा करते हैं तो उन पर जिद्दी, विद्रोही, अज्ञानी या इससे भी बदतर होने का आरोप लगा सकते हैं. आम तौर पर, ये माता-पिता अपने बच्चों से कोई भी सवाल बर्दाश्त नहीं करेंगे, क्योंकि एक साधारण सवाल का मतलब यह होगा कि बच्चा उस बात पर विश्वास नहीं करता है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/25/1191f25d9efb5c042c3858adc5394f97ad6fd.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
यह मानना कि बच्चे हमेशा हर बात पर सहमत होंगे- कुछ माता-पिता अपने बच्चों का पालन-पोषण इस तरह करते हैं, कि उनकी राय माता-पिता से अलग नहीं होनी चाहिए. अगर वे ऐसा करते हैं तो उन पर जिद्दी, विद्रोही, अज्ञानी या इससे भी बदतर होने का आरोप लगा सकते हैं. आम तौर पर, ये माता-पिता अपने बच्चों से कोई भी सवाल बर्दाश्त नहीं करेंगे, क्योंकि एक साधारण सवाल का मतलब यह होगा कि बच्चा उस बात पर विश्वास नहीं करता है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.
Published at : 24 May 2024 06:19 PM (IST)
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शशांक शेखर झा, एडवोकेटAdvocate
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