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Budget 2022: मोदी सरकार के 10वें बजट से टैक्सपेयर्स की वो 10 मांगे, जानिए टैक्सपेयर्स की हर डिमांड के बारे में

प्रतिकात्मक फोटो

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Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट पेश करने में बस कुछ ही घंटे बचे हैं. लेकिन इस बजट से लोगों को बहुत उम्मीदें जिसमें समाज के सभी वर्ग शामिल हैं. लेकिन हर बजट से टैक्सपेयर्स को खास उम्मीद होती है और इस बार तो ये उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि बीते एक साल से कोरोना या फिर महंगाई लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं, लोगों की परचेजिंग पावर घट गई है. इसका प्रभाव देश में मांग और खपत पर भी पड़ा है. ऐसे में आपको बताते हैं टैक्सपेयर्स की टैक्स से जुड़ी 10 मांगों बारे में जो वे मोदी सरकार के इस 10वें बजट से अपेक्षा रखते हैं. ये 10 मांगे है-
Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट पेश करने में बस कुछ ही घंटे बचे हैं. लेकिन इस बजट से लोगों को बहुत उम्मीदें जिसमें समाज के सभी वर्ग शामिल हैं. लेकिन हर बजट से टैक्सपेयर्स को खास उम्मीद होती है और इस बार तो ये उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि बीते एक साल से कोरोना या फिर महंगाई लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं, लोगों की परचेजिंग पावर घट गई है. इसका प्रभाव देश में मांग और खपत पर भी पड़ा है. ऐसे में आपको बताते हैं टैक्सपेयर्स की टैक्स से जुड़ी 10 मांगों बारे में जो वे मोदी सरकार के इस 10वें बजट से अपेक्षा रखते हैं. ये 10 मांगे है-
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1. इनकम टैक्स छूट की बढ़े सीमा - देश के टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि सरकार इऩकम टैक्स छूट की मौजूदा सीमा को 2.50 लाख रुपये बढ़ाये. टैक्सपेयर्स पर महंगाई का बोझ बढ़ा है. पेट्रोल डीजल से लेकर खाने के तेल और खाने पीने की कई चीजें महंगी हो चुकी है. तो कार और घर खरीदना भी महंगा हो चला है, बच्चों के स्कूल की फीस महंगी हो गई है. यही वजह है कि टैक्सपेयर्स चाहते हैं टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाई जाए जिससे टैक्स का बोझ कम हो.
1. इनकम टैक्स छूट की बढ़े सीमा - देश के टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि सरकार इऩकम टैक्स छूट की मौजूदा सीमा को 2.50 लाख रुपये बढ़ाये. टैक्सपेयर्स पर महंगाई का बोझ बढ़ा है. पेट्रोल डीजल से लेकर खाने के तेल और खाने पीने की कई चीजें महंगी हो चुकी है. तो कार और घर खरीदना भी महंगा हो चला है, बच्चों के स्कूल की फीस महंगी हो गई है. यही वजह है कि टैक्सपेयर्स चाहते हैं टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाई जाए जिससे टैक्स का बोझ कम हो.
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2. सभी टैक्सपेयर्स को मिले टैक्स रिबेट का लाभ - मौजूदा समय में इनकम टैक्स छूट की सीमा 2.50 लाख रुपये है. यानि ढाई लाख रुपये तक के आय वालों को कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. लेकिन जिसकी आय 2.50 लाख से 5 लाख रुपये के बीच है उसपर सरकार 5 फीसदी टैक्स तो लगाती है. लेकिन जिन टैक्सपेयर्स का टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से कम है उन्हें सरकार को कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. सरकार 87ए नियम के तहत 2.50 लाख से 5 लाख रुपये के बीच के इनकम पर 5 फीसदी के दर से बनने वाले 12,500 रुपये के टैक्स पर रिबेट देती है. लेकिन जिस टैक्सपेयर्स का टैक्सबेल इनकम 5 लाख से ज्यादा उन्हें सरकार इस रिबेट का लाभ नहीं देती है. यानि ऐसे टैक्सपेयर्स को 2.50 से 5 लाख तक के इनकम पर 5 फीसदी टैक्स देना ही पड़ता है. 5 लाख से 10 लाख तक के आय पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर के इनकम पर 30 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है.
2. सभी टैक्सपेयर्स को मिले टैक्स रिबेट का लाभ - मौजूदा समय में इनकम टैक्स छूट की सीमा 2.50 लाख रुपये है. यानि ढाई लाख रुपये तक के आय वालों को कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. लेकिन जिसकी आय 2.50 लाख से 5 लाख रुपये के बीच है उसपर सरकार 5 फीसदी टैक्स तो लगाती है. लेकिन जिन टैक्सपेयर्स का टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से कम है उन्हें सरकार को कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. सरकार 87ए नियम के तहत 2.50 लाख से 5 लाख रुपये के बीच के इनकम पर 5 फीसदी के दर से बनने वाले 12,500 रुपये के टैक्स पर रिबेट देती है. लेकिन जिस टैक्सपेयर्स का टैक्सबेल इनकम 5 लाख से ज्यादा उन्हें सरकार इस रिबेट का लाभ नहीं देती है. यानि ऐसे टैक्सपेयर्स को 2.50 से 5 लाख तक के इनकम पर 5 फीसदी टैक्स देना ही पड़ता है. 5 लाख से 10 लाख तक के आय पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर के इनकम पर 30 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है.
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3. बढ़े टैक्स छूट के लिए निवेश की सीमा - 2014 के बाद से इनकम टैक्स की सेक्शन 80 सी के तहत निवेश पर मिलने वाले टैक्स छूट की सीमा नहीं बढ़ाई गई है. फिलहाल ये सीमा 1.50 लाख रुपये है. टैक्सपेयर्स पीपीएफ, एनएससी, ईएलएसएस, एनपीएस, इँश्योरेंस में निवेश कर टैक्स बचाते हैं. टैक्सपेयर्स चाहते हैं 1.50 लाख की इस सीमा में बढ़ोतरी किया जाये जिससे वे ज्यादा निवेश करें जिसपर टैक्स छूट का लाभ भी मिले.
3. बढ़े टैक्स छूट के लिए निवेश की सीमा - 2014 के बाद से इनकम टैक्स की सेक्शन 80 सी के तहत निवेश पर मिलने वाले टैक्स छूट की सीमा नहीं बढ़ाई गई है. फिलहाल ये सीमा 1.50 लाख रुपये है. टैक्सपेयर्स पीपीएफ, एनएससी, ईएलएसएस, एनपीएस, इँश्योरेंस में निवेश कर टैक्स बचाते हैं. टैक्सपेयर्स चाहते हैं 1.50 लाख की इस सीमा में बढ़ोतरी किया जाये जिससे वे ज्यादा निवेश करें जिसपर टैक्स छूट का लाभ भी मिले.
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4. बढ़े होमलोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा - टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि इनकम टैक्‍स के सेक्‍शन 24 के अंतर्गत हाउसिंग लोन के ब्‍याज पर 2 लाख रुपये तक टैक्‍स डिडक्‍शन की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख किया जाना चाहिए. इससे वे घर खरीदने लिए आकर्षित होंगे, उनके घर का सपना पूरा हो सकेगा. होमलोन के ब्याज पर टैक्स डिडिक्शन की लिमिट बढ़ने से टैक्स का बोझ भी घटेगा.
4. बढ़े होमलोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा - टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि इनकम टैक्‍स के सेक्‍शन 24 के अंतर्गत हाउसिंग लोन के ब्‍याज पर 2 लाख रुपये तक टैक्‍स डिडक्‍शन की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख किया जाना चाहिए. इससे वे घर खरीदने लिए आकर्षित होंगे, उनके घर का सपना पूरा हो सकेगा. होमलोन के ब्याज पर टैक्स डिडिक्शन की लिमिट बढ़ने से टैक्स का बोझ भी घटेगा.
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5. होमलोन के प्रिंसिपल पर अलग से मिले टैक्स का लाभ - फिलहाल जो होमबायर होमलोन लेकर घर खरीदते हैं उन्हें प्रिंसिपल अकाउंट पर टैक्स छूट का जो लाभ मिलता है वो सेक्शन 80 सी के तहत 1.50 लाख रुपये के निवेश पर जो टैक्स छूट है उसी के तहत लाभ हासिल होता है. टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि प्रिंसिपल अकाउंट पर अलग से 1.50 लाख रुपये तक सालाना डिडक्‍शन का प्रावधान किया जाए. सेक्‍शन 80 में अलग से प्रिंसिपल अमाउंट पर यह छूट दी जाए.
5. होमलोन के प्रिंसिपल पर अलग से मिले टैक्स का लाभ - फिलहाल जो होमबायर होमलोन लेकर घर खरीदते हैं उन्हें प्रिंसिपल अकाउंट पर टैक्स छूट का जो लाभ मिलता है वो सेक्शन 80 सी के तहत 1.50 लाख रुपये के निवेश पर जो टैक्स छूट है उसी के तहत लाभ हासिल होता है. टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि प्रिंसिपल अकाउंट पर अलग से 1.50 लाख रुपये तक सालाना डिडक्‍शन का प्रावधान किया जाए. सेक्‍शन 80 में अलग से प्रिंसिपल अमाउंट पर यह छूट दी जाए.
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6. बढ़ाया जाए स्टैंडर्ड डिडिक्शन लिमिट - टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को बढ़ाया जाए. अगर स्टैंडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) की लिमिट को मौजूदा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया जाता है तो टैक्सपेयर्स पर टैक्स का बोझ घटेगा. बिजनेस चैंबरों ( Business Chambers) के अलावा कई अर्थशास्त्रियों ( Economists) ने वित्त मंत्री को टैक्सपेयर्स पर टैक्स के बोझ को कम करने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) की लिमिट को बढ़ाने का अनुरोध किया है.
6. बढ़ाया जाए स्टैंडर्ड डिडिक्शन लिमिट - टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को बढ़ाया जाए. अगर स्टैंडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) की लिमिट को मौजूदा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया जाता है तो टैक्सपेयर्स पर टैक्स का बोझ घटेगा. बिजनेस चैंबरों ( Business Chambers) के अलावा कई अर्थशास्त्रियों ( Economists) ने वित्त मंत्री को टैक्सपेयर्स पर टैक्स के बोझ को कम करने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) की लिमिट को बढ़ाने का अनुरोध किया है.
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7. वर्क फ्रॉम अलाउंस का हो ऐलान -  मार्च 2020 से ही वेतनभोगियों को घर से दफ्तर का करना पड़ रहा है. वेतनभोगियों  ( Salaried Clas) को वर्क फ्रॉम होम ( Work From Home) के तहत घर से दफ्तर का काम करना पड़ रहा है. इसके चलते वेतन भोगियों का बिजली का खर्च ( Electricity Bill), इंटरनेट का खर्च ( Internet Expenses) फर्नीचर पर खर्च बढ़ गया है. पहले दफ्तर में काम करने के चलते इसका भार कंपनियों पर था. लेकिन कर्मचारियों को खुद इसका खर्च उठाना पड़ रहा है. बच्चों के घर से ऑनलाइन पढ़ाई ( Online Classes) के चलते भी टैक्सपेयर्स  ( Taxpayers) के खर्च में बढ़ोतरी आई है. कम्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, इंटरनेट पर खर्च बढ़ा है. ऐसे में घर से दफ्तर का काम करने के चलते वेतनभोगियों  ( Salaried Clas) को सरकार से अलग से टैक्स डिडक्शन देने की मांग की जा रही है. . Deloitte ने  वर्क फ्रॉम होम अलाउंस ( Work From Home Allowance) के तौर पर 50,000 रुपये के अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन ( Tax Deduction) टैक्सपेयर्स को देने का सुझाव दिया है.
7. वर्क फ्रॉम अलाउंस का हो ऐलान - मार्च 2020 से ही वेतनभोगियों को घर से दफ्तर का करना पड़ रहा है. वेतनभोगियों ( Salaried Clas) को वर्क फ्रॉम होम ( Work From Home) के तहत घर से दफ्तर का काम करना पड़ रहा है. इसके चलते वेतन भोगियों का बिजली का खर्च ( Electricity Bill), इंटरनेट का खर्च ( Internet Expenses) फर्नीचर पर खर्च बढ़ गया है. पहले दफ्तर में काम करने के चलते इसका भार कंपनियों पर था. लेकिन कर्मचारियों को खुद इसका खर्च उठाना पड़ रहा है. बच्चों के घर से ऑनलाइन पढ़ाई ( Online Classes) के चलते भी टैक्सपेयर्स ( Taxpayers) के खर्च में बढ़ोतरी आई है. कम्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, इंटरनेट पर खर्च बढ़ा है. ऐसे में घर से दफ्तर का काम करने के चलते वेतनभोगियों ( Salaried Clas) को सरकार से अलग से टैक्स डिडक्शन देने की मांग की जा रही है. . Deloitte ने वर्क फ्रॉम होम अलाउंस ( Work From Home Allowance) के तौर पर 50,000 रुपये के अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन ( Tax Deduction) टैक्सपेयर्स को देने का सुझाव दिया है.
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8. नए इनकम टैक्स व्यवस्था में बदलाव की मांग - टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स की नई व्यवस्था  ( New Tax Regime) बिलकुल नहीं भा रही है. क्योंकि इसमें कोई डिडिक्शन का लाभ नहीं मिलता है. टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि  इनकम टैक्स की नई व्यवस्था  (New Income Tax Regime) में होमलोन के ब्याज पर टैक्स छूट का लाभ मिले.  स्टैंडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) का फायदा भी नई टैक्स व्यवस्था के तहत दिया जाए.  कोरोना महामारी ( Covid19 Pandemic) के मद्देनजर जब स्वास्थ्य पर लोगों का खर्च बढ़ा है तो नई टैक्स व्यवस्था के तहत मेडिक्लेम प्रीमियम (Mediclaim Premium) पर भी टैक्स छूट का लाभ मिले.
8. नए इनकम टैक्स व्यवस्था में बदलाव की मांग - टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स की नई व्यवस्था ( New Tax Regime) बिलकुल नहीं भा रही है. क्योंकि इसमें कोई डिडिक्शन का लाभ नहीं मिलता है. टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि इनकम टैक्स की नई व्यवस्था (New Income Tax Regime) में होमलोन के ब्याज पर टैक्स छूट का लाभ मिले. स्टैंडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) का फायदा भी नई टैक्स व्यवस्था के तहत दिया जाए. कोरोना महामारी ( Covid19 Pandemic) के मद्देनजर जब स्वास्थ्य पर लोगों का खर्च बढ़ा है तो नई टैक्स व्यवस्था के तहत मेडिक्लेम प्रीमियम (Mediclaim Premium) पर भी टैक्स छूट का लाभ मिले.
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9. बढ़े अटल पेंशन योजना का लाभ - अटल पेंशन योजना के साथ कोई भी जुड़ सकता है. ऐसे में टैक्सपेयर्स चाहते हैं अटल पेंशन योजना के दी जाने वाले अधिकत्तम पेंशन सीमा को मौजूदा 5,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपये करने किया जाए.  पीएफआरडीए  (Pension Fund Regulatory and Development Authority) ने भी सरकार से पेंशन लिमिट बढ़ाने की सरकार से मांग की है. अटल पेंशन योजना के साथ 3.60 करोड़ से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं लेकिन पेंशन लिमिट बढ़ाई जाती है तो और ज्यादा लोग योजना से जुड़ सकते हैं. कई लोग 5,000 रुपये पेंशन लिमिट होने के चलते योजना से नहीं जुड़ रहे हैं क्योंकि ये रकम उन्हें कम लगती है. क्योंकि जब से 60 साल के हो जायेंगे 5,000 रुपये बेहद कम होंगे वित्तीय जरुरतों को पूरा करने के लिए.
9. बढ़े अटल पेंशन योजना का लाभ - अटल पेंशन योजना के साथ कोई भी जुड़ सकता है. ऐसे में टैक्सपेयर्स चाहते हैं अटल पेंशन योजना के दी जाने वाले अधिकत्तम पेंशन सीमा को मौजूदा 5,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपये करने किया जाए. पीएफआरडीए (Pension Fund Regulatory and Development Authority) ने भी सरकार से पेंशन लिमिट बढ़ाने की सरकार से मांग की है. अटल पेंशन योजना के साथ 3.60 करोड़ से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं लेकिन पेंशन लिमिट बढ़ाई जाती है तो और ज्यादा लोग योजना से जुड़ सकते हैं. कई लोग 5,000 रुपये पेंशन लिमिट होने के चलते योजना से नहीं जुड़ रहे हैं क्योंकि ये रकम उन्हें कम लगती है. क्योंकि जब से 60 साल के हो जायेंगे 5,000 रुपये बेहद कम होंगे वित्तीय जरुरतों को पूरा करने के लिए.
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10.  टैक्सपेयर्स को मिले पेंशन का लाभ - टैक्सपेयर्स की मांग है और कई जानकार चाहते हैं टैक्सपेयर्स को सरकार को टैक्स का भुगतान करने के लिए कुछ लाभ देना चाहिए. सबसे बेहतर होगा कि लगातार और ईमानदारी से टैक्स का भुगतान करने वाले टैक्सपेयर्स को 60 साल के आयु के पूरा होने के बाद सरकार को उन्हें पेंशन देना का लाभ देना चाहिए. इससे ज्यादा लोगों को टैक्स देने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी. देश में टैक्सपेयर्स की संख्या को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
10. टैक्सपेयर्स को मिले पेंशन का लाभ - टैक्सपेयर्स की मांग है और कई जानकार चाहते हैं टैक्सपेयर्स को सरकार को टैक्स का भुगतान करने के लिए कुछ लाभ देना चाहिए. सबसे बेहतर होगा कि लगातार और ईमानदारी से टैक्स का भुगतान करने वाले टैक्सपेयर्स को 60 साल के आयु के पूरा होने के बाद सरकार को उन्हें पेंशन देना का लाभ देना चाहिए. इससे ज्यादा लोगों को टैक्स देने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी. देश में टैक्सपेयर्स की संख्या को बढ़ाने में मदद मिलेगी.

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