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फ्रांस: मैक्रों के देश में लोगों के गुस्से की जीत, छह महीने तक नहीं बढ़ेंगी तेल की कीमतें

राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों को ये फैसला उन विरोध प्रदर्शनों के सामने झुककर लेना पड़ा जिसकी वजह से फ्रांस हिलकर रह गया. तीन हफ्तों से अधिक तक चले इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया था और प्रदर्शनकारियों ने फ्रांस की ऐतिहासिक धोरहरों तक को नहीं बख्शा था.

पेरिस: फ्रांस की सरकार ने तेल की कीमतों को बढ़ाने के फैसले को स्थगित कर दिया. ये बढ़ोतरी एक जनवरी से शुरू होकर छह महीने के समय में की जानी थी. राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों को ये फैसला उन विरोध प्रदर्शनों के सामने झुककर लेना पड़ा जिसकी वजह से फ्रांस हिलकर रह गया. तीन हफ्तों से अधिक तक चले इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया था और प्रदर्शनकारियों ने फ्रांस की ऐतिहासिक धोरहरों तक को नहीं बख्शा था.

प्रधानमंत्री फिलिप ने कहा, "जैसे प्रदर्शन हो रहे हैं उन्हें अनदेखा करने के लिए आपको अंधा या बहरा होना पड़ेगा." उन्होंने आगे कहा कि 'Yellow Jackets' समर्थित प्रदर्शनकारी चाहते थे कि तेल पर टैक्स मत बढ़ाए जाएं और अपने खर्च को वहन करने के लिए उनके पास काम हो. पीएम का कहना है कि उनकी सरकार भी यही चाहती है. उन्होंने आगे कहा कि अगर फ्रांस की सरकार देश की जनता को नहीं समझा पाती तो कुछ तो बदलना चाहिए.

आपको बता दें कि फ्रांस की राजधानी पेरिस समेत देश भर में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे थे. पेरिस में तो ये विरोध प्रदर्शन दंगों में बदल गए. इससे निपटना राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही थी. इन प्रदर्शनों के केंद्र में 'Yellow Jackets' नाम का समूह था और रहने-खाने के अलावा तेल की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी इन प्रदर्शनों की बड़ी वजह थी.

17 नवंबर को देश भर में अलग-अलग जगहों पर करीब तीन लाख लोग जुटे और सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया. इनमें सबसे प्रमुखता से ड्राइवर्स नज़र आ रहे थे जिन्होंने पीले रंगे की चमकीली जैकेट पहन रखी थी. ये जैकेट वो लोग इस्तेमाल कर रहे हैं जो 'Yellow Jackets' मूवमेंट से जुड़े हैं.

इस साल की शुरुआत में मैक्रों ने तेल की कीमतों पर टैक्स काफी ज़्यादा बढ़ा दिया था. इसकी वजह से आम लोगों के जनजीवन पर काफी असर पड़ा क्योंकि इसकी वजह से रहने खाने से लेकर तमाम चीज़ों की कीमतों में भारी उछाल आया है. यहीं से लोगों को जुटाने की जो ऑनलाइन मुहिम शुरू हुई वो थमने का नाम नहीं ले रही है.

पिछले शनिवार को तब इन विरोध प्रदर्शनों की इंतेहा हो गई जब प्रदर्शनकारियों ने शहर के सबसे अमीर इलाकों में हिंसा फैलानी शुरू कर दी. लोगों के गुस्सा का आलम ऐसा था कि उन्होंने दुनिया भर में मशहूर यहां की कई ऐतिहिसाक धरोहरों तक को नहीं बख्शा. हैरत की बात ये रही कि दंगा पुलिस की आंसू गैस से लेकर स्टन ग्रेनेड जैसे तमाम हथियार इनको रत्ती भर भी नहीं डिगा पाए.

वहीं, सोमवार को यलो जैकेट्स से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने कई हाईवे को पूरी तरह से बंद कर दिया जिससे चीज़ें अपनी जगह पर नहीं पहुंच सकीं. इन प्रदर्शनों पर विपक्ष का कहना है कि लोगों के ग़ुस्से को समझने में सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है. इन प्रदर्शनों में अब तक तीन लोगों की मौत हुई है, 260 लोग घायल हुए हैं और 400 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

कौन है यलो वेस्ट इस मुहिम से जुड़े ज़्यादातर लोग मध्यम वर्ग के कामकाजी लोग बताए जा रहे हैं. लेकिन ये भी कहा जा रहे है कि इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जो इन प्रदर्शनों को हवा दे रहे हैं. इसमें हर उम्र के लोग शामिल हैं जो देश के छोटे शहरों से आते हैं. तीन हफ्तों के विरोध प्रदर्शन के बावजूद इनका कोई नेता नहीं है. हां, इनके आठ प्रवक्ता ज़रूर हैं लेकिन वो भी आधिकारिक नहीं है. किसी नेता के नहीं होने की वजह से सरकार को इस मुहिम से निपटने में नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं. इस मुहिम को मुख्य तौर पर सोशल मीडिया के सहारे चलाया जा रहा है.

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