रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से स्वघोषित गणराज्य डोनेत्स्क (Donetsk) और लुगंस्क (Lugansk) को अलग देश के रूप में मान्यता देने की घोषणा से विवाद और गहरा गया है. दुनिया के कई देश रूसी राष्ट्रपति पुतिन के इस फैसले की कड़ी आलोचना कर रहे हैं. यूक्रेन संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इमरजेंसी बैठक बुलाई गई है. यूक्रेन पर UNSC की बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि रूसी संघ के साथ यूक्रेन की सीमा पर बढ़ता तनाव गहरी चिंता का विषय है. इन घटनाक्रमों की वजह से क्षेत्र की शांति और सुरक्षा कमजोर हो सकती है.


यूक्रेन को लेकर कई देश सख्त


उधर, अमेरिका यूक्रेन के मसले को लेकर काफी सख्त है. अमेरिका यूरोपीय यूनियन, नाटो, ब्रिटेन समेत कई देशों ने प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी (Jen Psaki) ने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) यूक्रेन के डीएनआर और एलएनआर क्षेत्रों में नए निवेश, व्यापार और वित्तपोषण को प्रतिबंधित करने के लिए जल्द ही एक कार्यकारी आदेश जारी करेंगे.


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की घोषणा के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) का कहना है कि पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों को मान्यता देने के रूस के फैसले से उनको किसी तरह का भय नहीं है. यूक्रेन के राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई है कि यूक्रेन की सरकार को पश्चिम देशों की ओर से उन्हें पूरा समर्थन मिलेगा. 


यूरोपीय संघ, ब्रिटेन भी जल्द लगाएगा प्रतिबंध


रूस के इस कदम की यूरोपीय संघ (EU), नाटो (NATO) के साथ ही अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने निंदा की है. यूरोपीय संघ ने पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी इलाकों को मान्याता देने के रूस के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है. साथ ही जल्द ही प्रतिबंध लगाने की बात कही है.


वहीं यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) को लेकर ब्रिटेन (Britain) ने भी कड़ा रूख अख्तियार करने के संकेत दिए हैं. ब्रिटेन भी जल्द ही नए प्रतिबंधों की घोषणा कर सकता है. ब्रिटेन भी व्लादिमीर पुतिन के फैसले को अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और यूक्रेन की संप्रभुता पर हमला मानता है. इसके अलावा इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इमरजेंसी बैठक होने जा रही है. जिसमें इस पर गंभीरता से चर्चा होगी. भारत भी अपना पक्ष रख सकता है.


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