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शाही परिवार की डॉक्यूमेंट्री, आयरलैंड गणराज्य का दौरा...महारानी एलिजाबेथ-2 को इन फैसलों के लिए किया जाएगा याद

Queen Elizabeth II Death News: महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन गुरुवार को हो गया. उनके निधन से पहले उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जिनके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. जानिए उन फैसलों के बारे में.

Queen Elizabeth II Decisions: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) अब इस दुनिया में नहीं रहीं. उनका शासनकाल सबसे लंबा रहा. रानी अपने शासनकाल में यूनाइटेड किंगडम (UK), कनाडा (Canada) और जमैका (Jamaica) से लेकर ऑस्ट्रेलिया (Australia) और न्यूजीलैंड (New Zealand) तक 14 राष्ट्रमंडल (Commonwealth) देशों या क्षेत्रों की प्रमुख रहीं. साल 1953 में उनके राज्याभिषेक के समय एलिजाबेथ द्वितीय को सात स्वतंत्र देशों की रानी का ताज पहनाया गया था.

महारानी कुल 32 देशों की राष्ट्राध्यक्ष रहीं. इनमें 17 देश ऐसे भी थे जिन्होंने अलग-अलग समय पर उन्हें राष्ट्राध्यक्ष के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया. आइए जानते हैं वो कौन से देश रहे जिन्होंने महारानी एलिजाबेथ को अपना राध्याक्ष मानने से इनकार कर दिया है. इनमें बारबाडोस- 1966-2021; सीलोन- (श्रीलंका) 1952-1972; फिजी- 1970-1987; गाम्बिया- 1965-1970; घाना- 1957-1960; गुयाना- 1966-1970; केन्या- 1963-1964; मलावी- 1964-1966; माल्टा- 1964-1974; मॉरीशस- 1968-1992; नाइजीरिया- 1960-1963; पाकिस्तान- 1952-1956; सिएरा लियोन- 1961-1971; दक्षिण अफ्रीका- 1952-1961; तांगानिका- 1961-1962; त्रिनिदाद और टोबैगो- 1962-1976; युगांडा- 1962-1963 शामिल थे.

अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने कई फैसले लिए जिनके लिए उन्हें याद किया जाएगा. उनके इन फैसलों के लिए महारानी एलिजाबेथ को हमेशा याद किया जाएगा. उनके लिए गए कुछ फैसले संभवतः अधिक प्रभावशाली हैं. आइए जानते हैं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के लिए गए महत्वपूर्ण फैसले जो उनकी उपलब्धियों में शामिल हुए.

वर्ल्ड वॉर-2 में उनकी सेवा

साल 1939 में जब द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ा, तब राजकुमारी एलिजाबेथ केवल 13 साल की थीं. जैसा कि द नेशनल वर्ल्ड वॉर II म्यूज़ियम ने बताया गया है कि जब 1940 में ब्लिट्ज के दौरान बकिंघम पैलेस पर बमबारी की गई थी, उनके पिता किंग जॉर्ज VI और उनकी पत्नी एलिजाबेथ बाकी आबादी के साथ एकजुटता में बने रहे, लेकिन राजकुमारी एलिजाबेथ और मार्गरेट को विंडसर कैसल में ले जाया गया. तो वहीं, महारानी एलिजाबेथ साल 1944 में इस युद्ध में शामिल होना चाहती थीं. साल 1945 में एलिजाबेथ की जिद की वजह से उन्हें राज परिवार की तरफ से इस युद्ध में शामिल होने की अनुमति दी गई और उन्होंने अपना परचम लहराया.

राष्ट्रमंडल में परिवर्तन

साल 1952 में जब एलिजाबेथ ब्रिटेन की राज गद्दी पर बैठीं तब तक ब्रिटिश साम्राज्य का पतन हो चुका था. इसकी शुरुआत साल 1947 में भारत से हुई थी. यहां से होते हुए कई देश स्वतंत्र देश की मांग करने लगे और कुछ देश खुद ही स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करना शुरू कर दिया. ऐसे में राष्ट्रमंडल की स्थापना की प्रक्रिया 19वीं सदी शुरू हुई जिसका दायित्व महारानी एलिजाबेथ पर आ गया. जब उन्होंने महारानी का ताज पहना था तब राष्ट्रमंडल में 8 देश सदस्य थे, आज 54 देश इसके सदस्य हैं. इसका मतलब साफ है कि महारानी ने एक ऐसी प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व किया जो संप्रभु राष्ट्रों के स्वैच्छिक संघ में बदल गया.

राजशाही का आधुनिकीकरण

इंग्लैंड का सामराज्य हजारों साल पुराना है. महारानी एलिजाबेथ के पिता किंग जॉर्ज-6 ने सिंहासन ग्रहण किया. इसके बाद किसी को पता नही था कि राजशाही जीवित रहेगी भी या नहीं. 20वीं सदी के शुरुआती सालों में यही लग रहा था कि कई अन्य देशों की तरह ब्रिटिश साम्राज्य भी खत्म हो जाएगा. फिर महाराना एलिजाबेथ ने इस साम्राज्य पर राज किया और इसकी बादशाहत को बरकरार रखा. उन्होंने न सिर्फ इसे बरकरार रखा बल्कि इसका आधुनिकीकरण भी किया. वो नियमित रूप से टीवी पर दिखाई देती थीं और लोगों से सीधे संवाद भी करती थी. उन्होंने टेक्नोलॉजी को भी अपनाया.

अपने उत्तराधिकार को अधिक न्यायसंगत बनाया

ये सच बात है कि महाराना एलिजाबेथ द्वितीय ने कोई कानून पारित नहीं किया, यहां तक कि उन्होंने कभी भी वोट भी नहीं डाला लेकिन राजनीतिक रूप से उनका प्रभाव बहुत ज्यादा था. वो न सिर्फ नए कानूनों को औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान करती थीं बल्कि इसका उन्होंने प्रतिनिधित्व भी किया. उन्होंने साल 2013 में क्राउन एक्ट पारित किया. अगर उनका प्रभाव नहीं होता तो ये कानून विफल भी हो सकता था. वो परंपराओं की कट्टर समर्थक भी रही हैं.

साल 2011 में आयरलैंड गणराज्य का दौरा

ब्रिटेन का एक हिंसक इतिहास भी रहा है. ब्रिटेन और आयरलैंड गणराज्य के बीच कुछ संघर्ष कड़वे और खूनी भी रहे हैं. सदियों से अंग्रेजों के दबदबे की वजह से आयरलैंड दो राज्यों में बंट गया और राष्ट्रवादी पार्टी सिन फेस ने एक नए आयरिश गणराज्य की घोषणा की. आयरलैंड के नए गणराज्य और उसके पूर्व शाही आकाओं के बीच संबंध दशकों से हिंसा से भर हुए थे. ऐसे में महारानी एलिजाबेथ का आयरलैंड गणराज्य का दौरा खास हो जाता है.

साल 1969 में टीवी डॉक्यूमेंट्री

टाउन एंड कंट्री के अनुसार साल 1968 में महारानी एलीजाबेथ द्वितीय ने एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के लिए करीब दो महीने के लिए एक फिल्म कंपनी को खुद और उनके परिवार के अनुसरण करने की अनुमति दी थी. जिसे अभूतपूर्व फैसलों में से एक माना जाता है. इस फिल्म कंपनी ने द रॉयल फैमिली के नाम से एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म तैयार की थी. ये फिल्म 21 जून 1969 को इंग्लैंड में प्रसारित की गई थी. यही डॉक्यूमेंट्री फिल्म साल 2021 में यूट्यूब पर लीक हो गई थी लेकिन इसे तुरंत हटा दिया गया.

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