Pakistan: पाकिस्तान चुनाव आयोग क्या 90 दिनों में करा पाएगा चुनाव? ये हैं चुनौतियां
पीएम इमरान खान (Imran Khan) के जरिए नेशनल असेंबली भंग किए जाने और 90 दिनों में आम चुनावों की घोषणा के बाद पाकिस्तान का चुनाव आयोग इसे संभव बनाने के तरीकों की तलाश में जुट गया है.
पाकिस्तान में सियासी संकट बरकरार है. इस बीच पाकिस्तान में चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. पाकिस्तान चुनाव आयोग 90 दिनों के अंदर चुनाव कराए जाने को लेकर विचार कर रहा है. पीएम इमरान खान द्वारा 90 दिनों में आम चुनावों की घोषणा के बाद पाकिस्तान का चुनाव आयोग इसे संभव बनाने के तरीकों की तलाश में जुट गया है. पाकिस्तान चुनाव आयोग मुख्य चुनाव आयुक्त सहित तीन सदस्यों के साथ काम कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा चुनाव कराने की भारी चुनौती से निपटने के लिए आयोग के दो अन्य सदस्यों के साथ हरकत में आ गए हैं. चुनाव के पहले कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने हैं. सूत्रों ने उनके हवाले से कहा है कि विदेशी पाकिस्तानियों के लिए नियम, ईवीएम और मतदान तंत्र के अलावा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है और हमने परामर्श शुरू कर दिया है, जबकि कुछ मुद्दों पर पहले ही गौर किया जा रहा है.
पाकिस्तान में 90 दिनों में चुनाव कराने की चुनौती
ईसीपी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अल्ताफ इब्राहिम कुरैशी (पंजाब) और पूर्व न्यायाधीश इरशाद कैसर (खैबर पख्तूनख्वा) के दो सदस्य पिछले साल 26 जुलाई को सेवानिवृत्त हुए और पिछली सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध की वजह से पदों को अब तक नहीं भरा जा सका. पाकिस्तान में नेशनल असेंबली के विघटन के बाद से गंभीर सियासी संकट पैदा हो गया है. राष्ट्रीय जनगणना समन्वय केंद्र का उद्घाटन फरवरी में संघीय योजना मंत्री असद उमर ने किया था. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि अगस्त 2022 में 30 दिनों की अवधि में पूरे पाकिस्तान में पहली बार डिजिटाइज्ड जनगणना संपन्न कराई जाएगी.
जनगणना और परिसीमन की चुनौती
पाकिस्तान चुनाव अधिनियम 2017 की धारा 17 (2) आयोग को प्रत्येक जनगणना के आधिकारिक रूप से अधिसूचित होने के बाद निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करने का आदेश देती है. वर्तमान परिसीमन 2017 की जनगणना के अंतिम नतीजों के आधार पर एकमुश्त छूट के तहत किया गया था. हालांकि, पिछले साल मई में राष्ट्रीय जनगणना के अंतिम परिणामों के प्रकाशन के बावजूद आयोग परिसीमन नहीं कर सका. उधर पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि ईसीपी एक संवैधानिक संस्था है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए अनिवार्य है. उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री के पास किसी भी समय विधानसभा को भंग करने की सलाह देकर चुनाव की ओर बढ़ने का संवैधानिक अधिकार है.
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