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Breast Cancer: ब्रेस्ट कैंसर होने पर कैसे करें बचाव? रिसर्च में किया गया ये दावा

ऑस्ट्रेलिया के रिसर्च में खुलासा हुआ है कि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद महिलाऐं 5 साल से अधिक जिंदा रह सकती है. इसके लिए उन्हें अपने जीवन में थोड़े बदलाव की जरुरत है.

Breast Cancer: ऑस्ट्रेलिया में हर साल बीस हजार से अधिक महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित होती हैं, लेकिन अच्छी खबर यह है कि हर 100 में से 92 महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद पांच साल से अधिक समय तक जिंदा रहती हैं. कैंसर के इलाज से होने वाले जीवन में बदलाव बहुत ही तकलीफदेह होते हैं, जिसका असर कई वर्षों तक जारी रह सकता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो दोबारा कैंसर होने के डर के साथ जीते हैं. भले ही वे पांच साल से ज्यादा जीवित रह चुके हों.

ऐसे लोगो को ज्यादा चलने-फिरने और कम बैठने की सलाह दी जाती है. खास तौर पर शुरुआत में धीरे-धीरे बढ़ते हुए सप्ताह में लगभग 150 मिनट तक हर दिन एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाताी है. इसमें एरोबिक एक्सरसाइज (जैसे चलना) और प्रतिरोध अभ्यास जो विशिष्ट मांसपेशी समूहों को टारगेट करते हैं. जो आपको थोड़ा मजबूत बनाने के लिए किया जाता है. रिसर्च से पता चला है कि लंबे समय तक जीने और कैंसर को दोबारा रोकने के लिए एक्सरसाइज के साथ गहरा संबंध बनाना जरूरी है.

इसका समर्थन करने के लिए रोगियों के ​​टेस्टों के कुछ शुरुआती सबूत भी मिलें हैं. ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित जो महिलाएं एक्सरसाइज करती हैं तो वो अधिक एक्टिव हैं. उनके जीवन की क्वालिटी, ताकत और फिटनेस बेहतर होती है. बीमारी के एक्टिव इलाज के दौरान उन पर कम गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं.

उच्च क्वालिटी वाला आहार लें

ऐसा देखा गया है कि बेहतर आहार - जिनमें सब्जियां, फल, फलियां, नट्स, साबुत अनाज और मछली का अधिक सेवन शामिल है.  इन सब चीजों को खाने वाली महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद उन लोगों के मुकाबले लंबे समय तक जीवित रहती हैं, जो रेड मीट जैसा आहार लेते हैं. यह मुख्य रूप से ब्रेस्ट कैंसर से मरने के जोखिम पर प्रत्यक्ष प्रभाव होने के बजाय अन्य स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे दिल के बीमारीयों से जुड़ी जोखिम को कम करने के भी पीछे अच्छा आहार एक कारण है.

कई महिलाओं, विशेष रूप से वृद्ध महिलाओं या शुरुआती स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर वाले लोगों को वास्तव में उनमें ब्रेस्ट कैंसर की तुलना में दिल की बीमारी से मरने का अधिक जोखिम होता है. उच्च क्वालिटी वाला आहार स्वस्थ शरीर के वजन और दिल को स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद कर सकता है.

कीमोथेरेपी के समय कौन सा आहार लें

कैंसर के इलाज के दौरान विशिष्ट आहार, जैसे कि केटोजेनिक या कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार लेने चाहिए, लेकिन सबसे हालिया दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि अभी तक ऐसे कोई सबूत नहीं है, जो यह बताते हों कि इनसे महत्वपूर्ण लाभ होते हैं. 2020 की एक रिसर्च के रिजल्ट के बाद और अधिक शोध किया जा रहा है, जिसमें कीमोथेरेपी से पहले के दिनों में कम कैलोरी, कम प्रोटीन वाले आहार का सुझाव दिया गया था. जिसने उपचार के प्रति बेहतर रिस्पॉन्स दिया. हालांकि, आहार का अनुपालन मुश्किल था. रिसर्च में पांच में से केवल एक महिला अपने सभी कीमोथेरेपी उपचारों के दौरान ऐसा आहार खाने में सक्षम थी.

स्वस्थ वजन बनाए रखें

शरीर के अतिरिक्त वजन को भी ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद खराब माना गया है, लेकिन अभी तक इसके विपरीत लक्षण दिखाने के लिए कोई रोगी का ​​परीक्षण में नहीं हुआ है. ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद वजन घटाने से इसके इलाज में ज्यादा फायदा हो सकता है. इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए टेस्ट चल रहे हैं. ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद वजन बढ़ना आम बात है.

इसके कारण जटिल हैं. अतिरिक्त वजन इलाज के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं. ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद महिलाओं के हालिया रिसर्च में पाया गया कि जब उन्हें मामूली मात्रा में वजन कम करने में मदद दी गई तो उन्होंने अपने जीवन की शारीरिक क्वालिटी में सुधार किया और उनके दर्द के लेवल को कम किया. उन्होंने दिल की बीमारी और डायबिटीज के अपने जोखिम को भी कम किया.

नींद में कमी ना करें

नींद में कमी आने का नेचर- ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं में आम है. ये मरीजों के इलाज की अवधि समाप्त होने के बाद भी वर्षों तक बनी रह सकती है. ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित ऐसी महिलाएं, जिन्हें नींद कम आती है या मुश्किल से आती है, उन महिलाओं की तुलना में कम जीती हैं, जो आराम से अपनी नींद पूरी करती हैं. हालांकि ज्यादा सोना हमेशा फायदेमंद हो ऐसा भी नहीं है. हर रात नौ घंटे से अधिक सोना सात से आठ घंटे की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर के 48 फीसदी बढ़े हुए जोखिम से जुड़ा है. रिसर्च में अभी तक इसके संभावित कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है.

खानें वक्त सावधान रहें

शुरुआती शोध से पता चलता है कि आप कब खाते हैं, इसका भी असर पड़ता है. रात के खाने और अगले दिन नाश्ते के बीच के तय समय की दूरी रखने से ब्रेस्ट कैंसर की वापसी की संभावना कम हो सकती है. ऐसी महिलाएं जिन्होंने 13 घंटे से कम समय तक रात के भोजन और अगले दिन के नाश्ते  के बीच अंतर रखा, उन्हें 13 या अधिक घंटे का अंतर रखने वाली महिलाओं की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद दोबारा से ब्रेस्ट कैंसर होने का जोखिम 36 फीसदी अधिक देखा गया. रिसर्च के लेखकों ने उल्लेख किया कि टेस्टो से इस बात की जांच करने की आवश्यकता है कि क्या रात में भूखे रहना बीमारी के खतरे को कम कर सकता है.

बड़े बदलाव के लिए छोटे कदम

वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड ने कैंसर के जोखिम को कम करने और कैंसर के वापस आने के जोखिम को कम करने के लिए सिफारिशों की एक लिस्ट डेवलप की है, लेकिन शोध में पाया गया है कि ज्यादातर महिलाएं अपने ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद इन सिफारिशों को पूरा नहीं कर रही हैं. ब्रेस्ट कैंसर के बाद आदतों को बदलना भी कठिन हो सकता है, मुख्यतः थकान और तनाव के कारण.

इलाज के बाद एक्सरसाइज शुरू करना डराने वाला और परेशान करने वाला भी हो सकता है. छोटी से शुरुआत करना एक अच्छा विचार है. उदाहरण के लिए: हर हफ्ते एक्सरसाइज को 10 से 15 मिनट तक बढ़ाने का लक्ष्य रखें. एक्सरसाइज के दौरान एक दोस्त के साथ होने से वास्तव में मदद मिलती है और जिन लोगों को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है उनके लिए बहुत सारे एक्सरसाइज प्रोग्राम हैं.

ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद एक्सरसाइज करने के बारे में सामान्य प्रश्नों में शामिल है कि लिम्फेडेमा की सूजन और परेशानी से कैसे बचा जाए. जो लगभग 20 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर से बचे लोगों में विकसित होता है. जिनके लिम्फ नोड्स हटा दिए गए है. लोग एक्सरसाइज के दौरान विग से होने वाली असुविधा या विकिरण से जलन के बारे में भी चिंता करते हैं. इस संबंध में विशिष्ट सलाह उपलब्ध है.

ये भी पढ़ें:Kanpur: कानपुर मेडिकल कॉलेज ने पेश की नजीर, ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित दो मरीजों का एक रुपए में किया इलाज

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