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China-Taiwan Conflict: चीन की हर चाल फेल, ताइवान की 'बंकर बख्त' रणनीति के आगे बेबस ड्रैगन

Taiwan Defence News: ताइवान की बंकर बख्त रणनीति के आगे चीन बेबस है, पिछले 70 सालों में चाइना हथियारों के बल पर आज तक ताइवान को हथिया नहीं सका है. ताइवान के पास बचाव के इंतजाम और पलटवार के हथियार हैं.

प्रणय उपाध्याय, हुआलिन: ताइवान के पूर्वी छोर का यह शांत समंदर पूर्वी चीन सागर है. समंदर की लहरों को देखकर इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि इन पर जंग का बारूद लिए कितने जहाज तैर रहे हैं. साथ ही इस बात का अनुमान लगाना भी मुश्किल है कि ताइवान के इस हुआलिन शहर के किनारे पर युद्ध की कैसी तैयारी चल रही है. मगर कुछ ही देर में तस्वीर साफ हो जाती है जब समुद्र की लहरों की आवाज को तोड़ते हुए लड़ाकू विमान का जेट इंजन गरजने लगता है. चंद सेकंड में हुआलीन शहर आसमान गरजते लड़ाकू विमानों की आवाज से थर्रा उठता है.

एक के बाद एक F16 V यानी वाइपर लड़ाकू विमान आसमान में उड़ान भर जाते हैं. जाहिर है कि ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन के करीब किसी चीनी विमान की हरकत दर्ज की गई है. या फिर चीन के किसी लड़ाकू जहाज ने मीडियन लाइन लांघी है, जिसकी खबर हुआलीन में मौजू चाईशान एयरबेस पर पहुंची है और आनन फानन में इस बेस ने अपने इन लड़ाकू विमानों को कॉम्बेट एयर पेट्रोल के लिए रवाना कर दिया है. जाहिर है.. ताइवान अपनी हदों के करीब किसी भी हरकत को हल्के में नहीं लेने का जोखिम उठा नहीं सकता है. दिन हो या रात ताइवान की हदों की हिफाजत के लिए लड़ाकू विमानों की गश्त का सिलसिला चलता रहता है. वो भी एंटी शिप AGM84 हार्पून मिसाइल, हवा से हवा में मार करने वाली घातक AIM120 AMRAAM मिसाइल और AIM9 साइडविंडर मिसाइल जैसे घातक अस्त्र शामिल है. भले ही हदों को लांघना चीन का रोजमर्रा रूटीन ही क्यों न हो. 

70 सालों में ताइवान को हथिया नहीं सका है चीन

धरती के नक्शे पर महज 36 हजार वर्ग किलोमीटर का एक द्वीप है ताइवान... मगर यह द्वीप दुनिया के सबसे सुरक्षित द्वीपों में से एक भी माना जाता है. इसलिए नहीं क्योंकि, इसके पास एशिया में सबसे बड़ा F16 लड़ाकू विमानों का बेड़ा है. बल्कि इसलिए कि उसने चीन के खतरे से मुकाबले के लिए अपने बचाव के इंतजाम और पलटवार के हथियार भी जमा किए हैं. तभी तो बीते 70 सालों में चीन अपने आकार से कई गुना छोटे इस द्वीप को हथियार के दम पर हथिया नहीं पाया है. लेकिन इसको समझने के लिए आपको ताइवान की टोपोग्राफी समझनी होगी. यानी यह समझना जरूरी होगा कि 70 फीसद पहाड़ी जमीन वाले इस द्वीप ने कैसे इन पहाड़ों को अपना किला बनाया है. यह जानना जरूरी होगा कि ताइपे शहर की इन रौनकनभरी सड़कों के नीचे भी सुरंगों का पूरा जाल बिझा है.

पहाड़ों को काटकर बनाए गए हैं विमानों के बंकर

हुआलिनन में समंदर किनारे बनी पहाड़ियों को देखकर इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल है कि ग्रेनाइट के इन पहाड़ों को काटकर ताइवान ने इनके नीचे न केवल अपने विमानों के लिए बंकर बना रखे हैं. बल्कि चाइशान में इन पहाड़ों के नीचे एक पूरा फौजी शहर बसाया गया है. जहां न केवल विमानों का रखरखाव और उनमें लगाए जाने वाले घातक हथियारों को रखने की जगह है. बल्कि 200 F16 लड़ाकू विमानों का घर भी इन पहाड़ों को काटकर बनाए गए भूमिगत हेंगर्स में है. इनके नीचे कमांड-कंट्रोल सेंटर के साथ ही महीनों तक सैन्य अभियान को चलाए रखने की तैयारी और अस्पताल समेत कई सुविधाओं की व्यवस्था भी की गई है. इस एयर बेस और कमांड सेंटर को 30 साल पहले अमेरिका और ताइवान के इंजीनियरों ने मिलकर बनाया था.

सबसे एड्वांस्ड वर्जन का लड़ाकू विमान है ताइवान के पास 

आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि F16V दुनिया के आधुनिक लड़ाकू विमानों में से एक है. साथ ही इसमें तैनात मिसाइलें इसके एक बेहद खूंखार विमान बना देती हैं. इसमें लगा अइसा रडार एक बार में कई टारगेट पकड़ सकता है. साथ ही इसमें बेहद घातक बम और हवा से जमीन पर और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को लगाया जा सकता है. यूं तो दुनिया के 25 देशों की सेनाओं के पास F16 लड़ाकू विमान है और वाइपर इसका सबसे एडवांस वर्जन है. जिसके 66 विमान ताइवान ने अमेरिका से खरीदे हैं.

टॉड माउंटेन एयर ऑपरेशन सेंटर है खास

हुआलिन से ही थोड़ी दूरी पर टॉड माउंटेन का एयर ऑपरेशन सेंटर, जिसे ताइवान के हवाई निगरानी की रीढ़ कहा जाता है. शिजेशान के इस कमांड सेंटर की बदौलत न केवल ताइवान महफूज महसूस करता है. बल्कि एक हजार किमी दूर गुआम बेस पर मौजूद अमेरिका से तुरंत मदद मांगी जा सकती है. इस रक्षा तंत्र को सबसे पहले चीन और उत्तर कोरिया की तरफ से आने वाले मिसाइल हमले या लड़ाकू विमान के आमद का पता चल जाता है.

दबे पांव भी चीन दाखिल हो तो भी मिल जाती है जानकारी 

पूरी दुनिया को अपनी तकनीकी ताकत का लोहा मनवा चुके ताइवान के पास अपने एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन की हिफाजत के लिए रडार नेटवर्क, सेटेलाइट तंत्र और क्लोज इन वेपन सिस्टम से लेकर एयर डिफेंस बैटरी का पूरा जाल है. यानी कि चीन अगर दबे पांव भी दाखिल होने की कोशिश करता है तो उसकी चाल का पता लगाने वाले अर्ली वार्निंग सिस्टम से लेकर रास्ता रोकने वाले विमानों और मिसाइल सिस्टम तक की तैयारी पूरी है. इतना ही नहीं, ताइवान की राजधानी ताइपे की जगमगाती सड़कों के नीचे भी बाकायदा सुरंगों का जाल बिछाया गया है. इस जाल में न केवल  लोगों की हिफाजत के लिए बनाए गए सैकड़ों बंकर हैं, बल्कि सरकार और सेना के कामकाज के लिए भी अंडरग्राउंड कमांड सेंटर भी हैं.

5 सितारा होटल के नीचे हैं अंडरग्राउंड हेंगशान मिलिट्री कमांड सेंटर

जानकारों के मुताबिक, दुनिया के बड़े नेता जब भी ताइवान आते हैं तो आम तौर पर ताइपे के जिस एक नामी 5 सितारा होटल में ठहरते हैं. उसके नीचे ताइवान सरकार का अंडरग्राउंड हेंगशान मिलिट्री कमांड सेंटर है. यह कमांड सेंटर न केवल ताइवान के अन्य कमांड पोस्ट से जुड़ा हुआ है, बल्कि अमेरिका के हवाई में मौजूद इंडो-पैसिफिक कमांड से भी सीधे हॉट लाइन संपर्क से जुड़ा है. यानी कि किसी भी खतरे की सूरत में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन इस कमांड सेंटर के जरिए ऑपरेशन्स की निगरानी भी कर सकती हैं और अमेरिका से मदद भी जुटा सकती हैं. जमीन से नीचे बनाए इस हेंगशान ट्राइसर्विस मिलिट्री कमांड सेंटर में ताइवान का नेतृत्व महीनों तक अपना काम कर सकता है. इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चीनी सेना की रॉकेट फोर्स और अर्टिलिरी ने उस ब्रिज को उड़ाने का सिम्युलेशन अभ्यास भी किया है, जो राष्ट्रपति भवन को इस कमांड सेंटर से जोड़ता है.

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