J&J का दावा- कोविड-19 वैक्सीन का बूस्टर खुराक कारगर, 28 दिन में नौ गुना बढ़े एंटीबॉडी
Booster Shot: जॉनसन एंड जॉनसन ने अपनी वैक्सीन के बूस्टर खुराक को कोविड-19 के खिलाफ बड़ा फायदेमंद बताया है. अभी तक मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन हासिल करनेवालों को बूस्टर खुराक की वकालत की जा रही थी.
Booster Shot: जॉनसन एंड जॉनसन की एक डोज वाली कोविड-19 वैक्सीन प्राप्त करने वाले लोग छह महीनों बाद बूस्टर खुराक से लाभ उठा सकते हैं. दवा कंपनी ने बुधवार को जारी प्रेस रिलीज में बताया कि जब उसने वॉलेंटियर को रिसर्च में छह महीने बाद उसकी कोविड-19 वैक्सीन का दूसरा खुराक दिया, तो उनके एंटीबॉडी का लेवल पहले डोज के 28 दिनों बाद नौ गुना बढ़ गया. शोधकर्ताओं ने बताया कि डेटा से पता चला है कि एक अतिरिक्त डोज उस वक्त बूस्टर का काम कर सकता है जब वैक्सीन की प्रभावशीलता कम होने लगे.
जॉनसन एंड जॉनसन ने अपनी बूस्टर खुराक का बताया फायदा
जॉनसन एंड जॉनसन के लिए वैक्सीन तैयार करनेवाली उसकी इकाई जानसीन के ग्लोबल हेड मिथाई मैम्मैन ने बयान में कहा, "हमारी एक डोज वाली कोविड-19 वैक्सीन बीमारी के खिलाफ ठोस और मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है जो आठ महीनों तक टिकाऊ रहता है." उन्होंने बताया कि इस नए डेटा से हम ये भी जान सकते हैं कि जॉनसन एंड जॉनसन की कोविड-19 वैक्सीन के बूस्टर डोज से पहले वैक्सीन इस्तेमाल कर चुके वॉलेंटियर में एंटीबॉडी रिस्पॉन्स और बढ़ गया. डेटा को अभी तक किसी वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित नहीं किया गया है या दूसरे शोधकर्ताओं के जरिए समीक्षा नहीं की गई है.
एक डोज वाली वैक्सीन लेनेवाले छह महीने बाद उठा सकते हैं लाभ
कंपनी ने फूड एंड ड्रग ए़डमिनिस्ट्रेशन में रिसर्च के नतीजों को पेश करने का मंसूबा बनाने की बात कही है ताकि उसकी वैक्सीन इस्तेमाल करनेवाले हर शख्स के लिए बूस्टर डोज की मंजूरी का दावा किया जा सके. उसने बताया कि रिसर्च से उस रणनीति को समर्थन मिलता है जिससे टीकाकरण के आठ महीनों बाद लोगों को बूस्टर डोज दिया जा सके, बावजूद इसके कि रिसर्च में शामिल वॉलेंटियर को छह महीने बाद दूसरा दूसरा डोज दिया गया था.
अमेरिका की सरकार पहले ही सितंबर में मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन हासिल करनेवालों के लिए बूस्टर कार्यक्रम शुरू करने का एलान कर चुकी है. 18 साल या उससे ऊपर के फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन इस्तेमाल करनेवाले अपनी दूसरे डोज के आठ महीनों बाद बूस्टर डोज के लिए सक्षम होंगे. दूसरी तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बूस्टर कार्यक्रम का मंसूबा या शुरू करनेवाले देशों से टालने के लिए आग्रह किया है. उसका मानना है कि इससे तीसरे देशों के बीच वैक्सीन वितरण में असमानता पैदा होने का डर है.
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