बांग्लादेश में एक मौलाना के खिलाफ पोस्ट लिखना पड़ा महंगा, हिंदुओं के गांव पर सैकड़ों लोगों ने किया हमला
तमाम विरोध प्रदर्शनों के बाद पोस्ट करने वाले युवक को पुलिस ने मंगलवार रात को ही गिरफ्तार कर लिया था. हमले में 70 से 80 घरों को नुकसान पहुंचा है.बंगबंधु शेख मुजीबउर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति थे. वह वर्तमान में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता थे. बंगबुंधु को देश में धर्मनिरपेक्षता और उदारता का प्रतीक माना जाता है.
ढाका: बांग्लादेश में हिंदुओं के एक गावं पर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने हमला किया है. ये हमला बांग्लादेश में एक मौलाना के खिलाफ पोस्ट से नाराज़ मुस्लिम लोगों ने किया है. हेफज़ात-ए-इस्लाम के संयुक्त महासचिव मावलाना मुफ्ती मामुनुल हक ने बंग बंधु की मूर्ति का विरोध किया था. इसलिए मौलाना के खिलाफ पोस्ट लिखी गई थी.
हमला करने के साथ लूटपाट भी हुई
ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, कि इस्लामी संगठन हेफाजत-ए-इस्लाम के समर्थकों पर आरोप है कि उन्होंने सुनामगन जिले के शल्ला अपजिला में हिंदू गांव पर हमला करने के साथ-साथ वहां लूटपाट भी की. इससे पहले मौलाना के खिलाफ पोस्ट को धार्मिक हिंसा के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए क्षेत्र के हेफज़ात नेताओं ने मंगलवार रात को भी विरोध प्रदर्शन किया था.
पोस्ट लिखने वाला युवक गिरफ्तार
हालांकि तमाम विरोध प्रदर्शनों के बाद पोस्ट करने वाले युवक को पुलिस ने मंगलवार रात को ही गिरफ्तार कर लिया था. बताया जा रहा है कि मौलाना के समर्थन में काशीपुर, नचनी, चांदीपुर और कुछ अन्य मुस्लिम आबादी वाले इलाकों के लोग नोआगांव में इकट्ठे हुए और फिर हिंदुओं के घरों पर हमला कर दिया. इस हमले में 70 से 80 घरों को नुकसान पहुंचा है. वहीं, कई स्थानीय हिंदू खुद को बचाने के लिए मौके से भाग गए.
हज़रत-ए-इस्लाम ने पिछले साल सितंबर में बंगबंधु शेख मुजीबउर रहमान की 100वीं जयंती पर उनकी मूर्ति लगाने का विरोध किया था और मूर्ति को लेकर मुसलमानों ने विरोध प्रदर्शन किए थे. इतना ही नहीं उनकी मूर्ति भी तोड़ दी गई थी. उस वक्त भी तनाव काफी बढ़ गया था.
कौन थे बंगबंधु शेख मुजीबउर रहमान?
बता दें कि बंगबंधु शेख मुजीबउर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति थे. वह वर्तमान में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता थे. बंगबुंधु को देश में धर्मनिरपेक्षता और उदारता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए कई कट्टरपंथी इस्लामी संगठन उन्हें राष्ट्रपिता मानने से इनकार करते रहे हैं. मुजीबउर रहमान की साल 1975 में परिवार के कई सदस्यों के साथ तख्तापलट के दौरान हत्या कर दी गई थी.
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