लैंगिक समानता के मामले में दुनिया के 146 देशों में 127वें पायदान पर भारत, WEF की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
World Economic Forum Report: लैंगिक समानता के मामले में पिछले साल के मुकाबले इस बार भारत की रैंकिंग में मामूली सुधार देखने को मिला है. हालांकि भारत नेपाल और भूटान जैसे देशों से पीछे है.
Global Gender Gap Index: लैंगिक समानता के मामले में भारत की रैंकिंग में मामूली सुधार देखने को मिला है. हालांकि इसके बावजूद भारत अब भी दुनियाभर के देशों से काफी पीछे है. दुनियाभर के 146 देशों में भारत की रैंकिंग इसमें 127 है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट 2023 में ये जानकारी दी गई है. पिछले साल के मुकाबले भारत की रैंकिंग में इस बार आठ अंकों का सुधार हुआ है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2022 की रिपोर्ट में कुल 146 देशों में भारत की रैंकिंग 135 थी.
भारत की रैंकिंग में सुधार
WEF की इस ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल भारत की रैंकिंग में 1.4 प्रतिशत अंकों और आठ स्थान का सुधार हुआ है, जिससे पता चलता है कि लैंगिक समानता के मामले में सुधार हुआ है. हालांकि आर्थिक भागीदारी के मामले में काफी कम रफ्तार दिख रही है, इसमें भारत सिर्फ 36.7 प्रतिशत तक पहुंच पाया है. वहीं कुल लिंग अनुपात का अंतर 64.3 प्रतिशत कम कर दिया है.
इन पड़ोसी देशों से पीछे भारत
लैंगिक समानता के मामले में पड़ोसी मुल्क नेपाल, भूटान, चीन, श्रीलंका और बांग्लादेश की रैंकिंग भारत से काफी बेहतर है. इस इंडेक्स में बांग्लादेश को 59वीं, चीन को 107वीं, नेपाल को 116वीं, भूटान को 103 और श्रीलंका को 115वीं रैंक मिली है. वहीं पाकिस्तान को 142वीं रैंक पर रखा गया है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर के देशों में सबसे बेहतर प्रदर्शन आइसलैंड का रहा है, जिसने लगातार 14वें साल में 90 प्रतिशत से ज्यादा लिंग अंतर को कम किया है.
इस मामले में हुआ सुधार
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में वेतन और आय के मामले में समानता में बढ़ोतरी हुई है, जबकि बड़े पदों और तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी पिछले साल के मुकाबले कम हो गई है. वहीं राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में भारत ने 25.3 प्रतिशत समानता दर्ज की है, जो 2006 में रिपोर्ट आने के बाद से सबसे ज्यादा है.
महिलाओं की राजनीतिक हिस्सेदारी बेहद कम
हालांकि दुनियाभर के देशों में मंत्री पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी को अगर देखें तो ये काफी कम है. दुनिया के 75 देशों में करीब 20 प्रतिशत या उससे कम महिला मंत्री हैं. भारत, तुर्की और चीन जैसे देशों में सात प्रतिशत से भी कम महिला मंत्री हैं, जबकि अजरबैजान, सऊदी अरब और लेबनान जैसे देशों में महिला मंत्रियों की संख्या शून्य है.
लैंगिक अंतर खत्म होने में लग सकते हैं 131 साल
रिपोर्ट में बताया गया है कि लैंगिक समानता कोविड से पहले वाले स्तर तक पहुंच गई है, लेकिन इसकी रफ्तार काफी स्थिर और धीमी हो गई है. अब तक दुनिया के किसी भी देश ने पूर्ण लैंगिक समानता को हासिल नहीं किया है. रैंकिंग में जो टॉप-9 देश शामिल हैं, उन्होंने 80 प्रतिशत अंतर को पाट दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में लैंगिक अंतर को पाटने में करीब 131 साल लग सकते हैं, वहीं आर्थिक समानता के लिए 169 साल और राजनीतिक समानता के लिए 162 साल लग सकते हैं.