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वायरल सच: बड़े अफसरों की डांट से दुखी पिता ने बेटी को बना दिया IAS
अफसरों के सामने कई बार जलालत झेलने के बाद पिता ने बेटी शीरत बड़ा अफसर बनाने का सपना देखा था, जब वो महज चार साल की थी.
![वायरल सच: बड़े अफसरों की डांट से दुखी पिता ने बेटी को बना दिया IAS Vira Sach: Seerat Fatima cracks IAS exam since her father was ill treated by bureaucrats वायरल सच: बड़े अफसरों की डांट से दुखी पिता ने बेटी को बना दिया IAS](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/04/30224050/SEERAT-01.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: सिविल सेवा के नतीजे आ गए हैं. सोशल मीडिया पर दावा है कि अधिकारियों के उत्पीड़न से परेशान एक लड़की ने खुद आईएएस अधिकारी बनने की कसम खा ली और उसे पूरा करके भी दिखाया. सोशल मीडिया पर इस लड़की का नाम शीरत फातिमा बताया जा रहा है.
क्या दावा किया जा रहा है?
सोशल मीडिया पर शीरत फातिमा नाम की लड़की की तस्वीर वायरल हो रही है. तस्वीर के साथ एक मैसेज भी है जिसमें लिखा है, ‘’शीरत फातिमा यूपी के इलाहाबाद के कौड़िहार ब्लॉक में शिक्षा मित्र के तौर पर काम करती थी, जो अब आईएएस बन गई हैं.’’
9वीं क्लास में सोच लिया था, डीएम बनना है- शीरत
एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में शीरत फातिमा ने बताया, ‘’मेरे पापा ने मुझे ये प्रेरणा दी थी कि तुम एक डीएम बनना, क्योंकि एक लेखपाल होने के नाते उन्होंने डीएम को हमेशा अपने ऊपर देखा. उनकी नजर में डीएम ही दुनिया का सबसे बड़ा इंसान है. तो बस गांठ बांध ली तब से कि अब कुछ करना है तो यही करना है. 9वीं क्लास में ही मैंने ये निर्णय लिया कि मुझे सिविल सेवा ही करना है. मुझे डीएम ही बनना है.’’
अब हम जमीन से आसमान में पहुंच गए- शीरत के पिता
वहीं, शीरत के पिता अब्दुल गनी ने बताया, ‘’जब 1990 में लेखपाल के तौर पर नौकरी लगी तो उस समय हमारी वीआईपी ड्यूटी लगती थी. डीएम, कमिश्नर, एडीएम सारे अधिकारियों के संग में रहता था. तो उस वक्त ख्याल आया कि हम लेखपाल..हम भी इंसान हैं और ये डीएम भी इंसान हैं. ये भी किसी मां-बाप के बच्चे हैं तो हम अपने बच्चों को क्यों न ऐसी पढ़ाई पढ़ाएं कि ये भी डीएम-कमिश्नर बन सकें. हमने बेटी-बेटे में कभी फर्क नहीं समझा. हमें महसूस ऐसा हो रहा है कि अब हम जमीन से आसमान में पहुंच गए.’’
क्या शीरत फातिमा का उत्पीड़न करते थे अधिकारी?
सामान्य से परिवार की शीरत के पिता पेशे से लेखपाल हैं. इस नौकरी में जब उन्हें अफसरों की डांट खानी पड़ती तो वह झल्ला उठते थे. अफसरों के सामने कई बार जलालत झेलने के बाद पिता ने बेटी शीरत को बड़ा अफसर बनाने का सपना देखा था, जब वो महज चार साल की थी. मंजिल तक पहुंचने में पैसा रुकावट ना बन पाए, इसलिए शीरत ने पहले बीएड किया और प्राइमरी स्कूल में टीचर बन गईं.
फिल्म ‘मांझी द माउंटेन मैन’ से काफी प्रभावित हैं शीरत फातिमा
शीरत फातिमा ने बताया, ‘’मैंने एक फिल्म देखी थी- मांझी. उसमें बोला गया था कि जब तक फोडूंगा नहीं तब कर छोडूंगा नहीं. वो इंसान जब पहाड़ तोड़कर सड़क बना सकता है तो यूपीएससी तो इंसान निकाल ही सकता है. बस शायद वही दिमाग में था कि जब तक निकालूंगी नहीं तब तक चैन नहीं लुंगी, चाहे कुछ भी दिक्कत आए.’’
एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में अधिकारियों के उत्पीड़न से परेशान एक बेटी के आईएएस बन जाने का दावा सच साबित हुआ है.
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डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल
Opinion