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UP Madrassa Survey: यूपी के 60 जिलों में बिना मान्यता के चल रहे 8 हजार से ज्यादा मदरसे, सर्वे रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

यूपी के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को लेकर के चल रहे सर्वे में 60 जिलों की रिपोर्ट आ गई है. 8496 मदरसे ऐसे मिले हैं जो गैर मान्यता प्राप्त है. इनमें दारुल उलूम देवबंद भी शामिल बताया गया है.

UP Govt. Madarsa Survey: यूपी के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की पड़ताल के लिए चल रहे सर्वे में 60 जिलों की रिपोर्ट आ गई है. 60 जिलों में 8,496 मदरसे ऐसे मिले हैं जो गैर मान्यता प्राप्त हैं. बाकी जिलों की रिपोर्ट 15 नवंबर तक आने की संभावना है. सहारनपुर जिले में मदरसों के सर्वे में 306 मदरसे ग़ैरमान्यता प्राप्त निकले. सूत्रों के मुताबिक इनमें चर्चित इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद भी शामिल है. दारुल उलूम, देवबंद, यूपी मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड नहीं है. दारुल उलूम, देवबंद, सरकारी सहायता के बिना अन्य स्रोतों से आने वाले चंदे से चलता है.

सहारनपुर के जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने बताया कि सहारनपुर प्रशासन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की एक रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजेगा. इसके अलावा जिले में 754 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं, जो मदरसा बोर्ड के अधीन होकर चल रहे हैं. दारुल उलूम देवबंद ने सिर्फ सोसायटी एक्ट, 1866, के तहत रजिस्ट्रेशन करवा रखा है.

मदरसों की कुर्बानी भुलाई नहीं जा सकती

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की पड़ताल के परिप्रेक्ष्य में पिछले दिनों दारुल उलूम, देवबंद की ओर से एक सम्मेलन आयोजित किया गया. इसमें जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि देश की आजादी में मदरसों की कुर्बानियों को भुलाया नहीं जा सकता. मदरसे देश के संविधान के तहत ही चलते हैं. मदरसों के अंदर कोई भी छुपी चीज नहीं है, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कराए जा रहे सर्वे से बिलकुल डरने और घबराने की जरूरत नहीं है. वो सर्वे में सहयोग करते हुए संपूर्ण और सही जानकारी दें.

महमूद हाल में मीडिया से बात करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि उन्हें योगी सरकार के मदरसों के सर्वे से कोई आपत्ति नहीं है. मदरसों के दरवाजे सबके लिए हमेशा खुले हुए हैं. उन्हें मदरसा संचालन के लिए सरकारी मदद नहीं चाहिए और यदि कोई भी मदरसा सरकारी जमीन पर बना है तो उन्हें खुद ही ढहा दिया जाए.

सर्वे में सहयोग और सही जानकारी दें

मौलाना अरशद मदनी और दारुल उलूम देवबंद के मुफ्ती मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने सम्मेलन में मदरसों के इतिहास पर बात की और मदरसा संचालकों को शिक्षा एक्ट और देश के संविधान के अंतर्गत दी गई धार्मिक आजादी के अनुसार शिक्षण कार्य करने पर बल देते हुए सर्वे में सहयोग करने और अपने मदरसों के बारे में संपूर्ण और सही जानकारी देने की बात कही.

उन्होंने कहा, "हमें डरने और घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि मदरसों ने देश की आजादी और उसके निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई है." उन्होंने सभी मदरसा संचालकों से अपने दस्तावेज और जमीन के रखरखाव को ठीक रखने पर बल दिया.

घोषणा पत्र जारी किया

हिंद राब्ता ए मदारिस इस्लामिया के नाजिम मौलाना मुफ्ती शौकत बस्तवी ने सम्मेलन का घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा, "मदरसे कभी भी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं पाए गए हैं, इसलिए मीडिया को मदरसों को लेकर पॉजिटिव रवैया रखना चाहिए. मदरसे वाले अपना हिसाब किताब ठीक रखें, अपने दस्तावेज और हिसाब किताब को पारदर्शी रखें. सर्वे से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि मदरसे खुली किताब हैं और सभी के लिए इनके दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं. इसलिए अगर सरकार सर्वे करती है उससे डरने की जरूरत नहीं है बल्कि उसमें संपूर्ण सहयोग करते हुए सही जानकारी दें."

मदरसा चलाने के लिए मदद नहीं चाहिए

जमीयत उलेमा ऐ हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरशद मदनी ने बैठक से पहले अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि मदरसा चलाने के लिए उन्हें सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं चाहिए. मस्जिद और मदरसा एक ही बात है. मस्जिद में यदि नमाज पढ़ी जाती है तो मदरसे में इबादत करना सिखाया जाता है. ये भी दीन है हमारा वो भी दीन है हमारा, इसे चलाने के लिए हम किसी भी सरकार से कोई पैसा नहीं चाहते. दीन की हिफाजत हम करेंगे और करते रहेंगे. हम 1400 साल से कर रहे हैं और कयामत तक करते रहेंगे. 

ये भी पढ़ें: राजीव गांधी की हत्या के 6 दोषियों को मिलेगी रिहाई, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया आदेश

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