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राष्ट्रपति चुनाव: रायसीना हिल के लिए दौड़ तेज, जानिए NDA-UPA में से किसका पलड़ा है भारी, क्या कह रहे हैं आंकड़े?

Presidential Polls 2022: बीजेपी एक ऐसे उम्मीदवार के नाम को फाइनल करना चाहती है, जिसके सहारे विपक्षी खेमे के राजनीतिक दलों में भी सेंध लगाई जा सके.

Presidential Elections 2022: देश को अगले महीने नया राष्ट्रपति मिलेगा. इसके मद्देनज़र रायसीना हिल के लिए दौड़ तेज हो गई है. वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) का कार्यकाल 24 जलाई को समाप्त हो रहा है. चुनाव आयोग की ओर से घोषित कार्यक्रम के मुताबिक अगर एक से ज्यादा व्यक्ति ने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन किया तो नए राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा और 21 जुलाई को मतों की गिनती की जाएगी. बीजेपी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर घेरेबंदी शुरू कर दी है. 

ममता ने तेज की तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद

देश के वर्तमान राजनीतिक माहौल के हिसाब से दिखा जाए तो फिलहाल देश में दो बड़े गठबंधन अस्तित्व में है. एक बीजेपी (BJP) के नेतृत्व में एनडीए (NDA) का गठबंधन है, जो फिलहाल केंद्र की सत्ता में है तो वहीं दूसरा गठबंधन कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व वाला यूपीए (UPA) है. लेकिन अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद तेज कर दी है. ममता बनर्जी ने आगामी राष्ट्रपति चुनावों पर नजर रखते हुए 15 जून को नई दिल्ली में सभी विपक्षी दलों के नेताओं और विपक्षी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाई है. देश के कई राज्यों में सरकार चला रहे कई क्षेत्रीय दल एनडीए और यूपीए गठबंधनों से अलग रहकर स्वतंत्र तौर पर राजनीति कर रहे हैं. ऐसे में ये दल तीसरे मोर्चे में शामिल हो सकते हैं.

NDA-UPA के पास कितने फीसदी वोट?

राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने वाले इन राजनीतिक गठबंधनों की ताकत की बात करे तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन के पास फिलहाल 23 फीसदी के लगभग वोट है, वहीं एनडीए गठबंधन के पास यूपीए के दोगुने से भी ज्यादा लगभग 49 प्रतिशत वोट है. ऐसे में यूपीए के मुकाबले में तो बीजेपी को बड़ी बढ़त हासिल है, लेकिन अगर विपक्ष ने मिलकर संयुक्त तौर पर कोई उम्मीदवार खड़ा कर दिया और देश के सभी क्षेत्रीय दलों ने उसे अपना समर्थन दे दिया तो बीजेपी उम्मीदवार के लिए समस्या खड़ी हो सकती है, क्योंकि बीजेपी विरोधी सभी दलों के एकजुट होने की स्थिति में उनके पास एनडीए से दो प्रतिशत ज्यादा यानि 51 प्रतिशत के लगभग वोट हो जाते हैं. इसलिए बीजेपी आलाकमान इसी दो प्रतिशत वोट की खाई को पाटने के मिशन में जुट गया है.

राज्यसभा और लोकसभा में बीजेपी की स्थिति?

राज्यसभा में बीजेपी के सांसदों की संख्या में 3 की कमी हो गई है, लेकिन लोकसभा में 301 सांसदों के बल पर बीजेपी अभी भी राष्ट्रपति चुनाव के मामले में विरोधी दलों की तुलना में काफी आगे है. हालांकि दोनों सदनों में बीजेपी सांसदों की यह संख्या अभी भी 2017 के मुकाबले ज्यादा ही है. लोक सभा में अभी 3 सीटें खाली है और वर्तमान में संसद की कुल 540 सीटों में से बीजेपी के पास 301 सासंद हैं. वहीं राज्यसभा की बात करें तो 7 मनोनीत सांसदों सहित कुल 13 सीटें अभी खाली है. राज्यसभा के 232 सांसदों में से अभी बीजेपी के खाते में कुल 95 सीटें थी, जो नए निर्वाचित सांसदों के शपथ ग्रहण के बाद घटकर 92 रह जाएगी. इसमें भी भी मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे.

NDA-UPA के पास कितने वोट?

एनडीए के पक्ष में 440 सांसद हैं जबकि यूपीए के पास लगभग 180 सांसद हैं, इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के 36 सांसद हैं. टीएमसी आमतौर पर विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन करती है. आकलन के मुताबिक, एनडीए के पास कुल 10,86,431 में से करीब 5,35,000 मत हैं. इसमें उसके सहयोगियों के साथ उसके सांसदों के समर्थन से 3,08,000 वोट शामिल हैं.  राज्यों में बीजेपी के पास उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 56,784 वोट हैं, जहां उसके 273 विधायक हैं. उत्तर प्रदेश में प्रत्येक विधायक के पास अधिकतम 208 वोट हैं. राज्यों में एनडीए को बिहार में अपना दूसरा सबसे ज्यादा वोट मिलेगा, जहां 127 विधायकों के साथ, उसे 21,971 वोट मिलेंगे, क्योंकि प्रत्येक विधायक के पास 173 वोट हैं. इसके बाद महाराष्ट्र से 18,375 वोट हैं, जहां उसके 105 विधायक हैं और प्रत्येक के पास 175 वोट हैं. यूपीए के पास सांसदों के 1.5 लाख से अधिक वोट हैं और करीब इस संख्या में उसे विधायकों के भी वोट मिलेंगे. अतीत के कुछ चुनावों में भी विपक्ष के उम्मीदवार को तीन लाख से थोड़ा अधिक मत मिलते रहे हैं. इस बार प्रत्येक सांसद के मत का मूल्य 700 होगा. पहले यह 708 था.

बीजेपी की नजर खासतौर से ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश में सरकार चला रही वाईएसआर कांग्रेस पर है. इसके अलावा भी बीजेपी की नजर कई अन्य क्षेत्रीय दलों पर है. सूत्रों के मुताबिक, 15 जून के बाद बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा होगी. बताया जा रहा है कि बीजेपी एक ऐसे उम्मीदवार के नाम को फाइनल करना चाहती है, जिसके सहारे विपक्षी खेमे के राजनीतिक दलों में भी सेंध लगाई जा सके.

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