'16-18 साल के बच्चे अपने रोमांटिक रिश्ते के बारे में जानते हैं, क्या उन पर मुकदमा करना चाहिए?' POSCO मामले पर बोले पूर्व जस्टिस
POSCO Act: पूर्व जस्टिस ने जोर देते हुए कहा, कानून कहता है कि पॉक्सो मामलों को एक साल के भीतर तय किया जाना चाहिए. ऐसे मामलों की सुनवाई एक साल के भीतर की जाए.
Supreme Court Justice On POCSO Act: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर (Madan Lokur) ने कहा कि पॉक्सो (POCSO) मामलों से निपटने के दौरान बच्चों के लिए एक अलग प्रक्रिया विकसित करने की आवश्यकता है. साथ ही अदालतों को भी इस तरह के मामलों के प्रोसेस में तेजी से फैसले करने की जरूरत है. जस्टिस लोकुर दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) की ओर से आयोजित सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.
पूर्व न्यायाधीश ने कहा ने उस समय को याद करते हुए संबोधन शुरू किया जब वह कुछ साल पहले ज्यूडिशियल इंपैक्ट एसेसमेंट के पहलू पर भारत के लॉ कमीशन की मदद कर रहे थे, जिसका मकसद न्याय प्रणाली पर एक कानून के प्रभाव का पता लगाना था. हालांकि, उन्होंने कहा कि एक्सरसाइज को पूरा नहीं किया जा सका. दुर्भाग्य से कुछ नहीं हुआ. यह उन रिपोर्टों में से एक है, जो कहीं शेल्फ पर पड़ी है. अगर उस रिपोर्ट को लागू किया गया होता और न्यायिक प्रभाव का आंकलन होता, तो हमें पता होता कि कितनी आदलतों की जरूरत है.
पॉक्सो मामलों में देरी से सुनवाई
पूर्व जस्टिस लोकुर ने जोर देते हुए कहा, कानून कहता है कि POCSO मामलों को एक साल के भीतर तय किया जाना चाहिए. अगर 1 साल या 1.5 साल में फैसला हो सकता है तो एक साल से कम समय में फैसला क्यों नहीं हो सकता? ये मुमकिन है. उन्होंने मुजफ्फरपुर (शेल्टर होम) मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि 34 लड़कियों के यौन शोषण के केस में एक साल से भी कम समय में फैसला हुआ.
पॉक्सो अधिनियम और नाबालिग सबंध
किशोरावस्था की उम्र के बारे में बात करते हुए जस्टिस लोकुर ने यह भी कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में 16 से 18 साल की आयु के बच्चों के लिए एक विशिष्ट प्रावधान है. पॉक्सो अधिनियम में एक समान प्रावधान क्यों नहीं लाया जा सकता है? उन्होंने कहा कि प्रक्रिया के संबंध में 16-18 साल की किशोरावस्था को देखना होगा. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में आपके पास 16-18 सालों के लिए एक स्पेशल प्रोविजन है, क्या हम उस प्रावधान को पॉक्सो में इस्तेमाल नहीं कर सकते?
उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले हैं जहां 17 साल का लड़का और लड़की एक रोमांटिक रिश्ते में हैं. वे जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं, अगर वे जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं तो इसके रिजल्ट के बारे में पहले से जानते हैं. क्या आपको उन पर मुकदमा करना चाहिए? जब आप समलैंगिक गतिविधि को अपराध की कैटेगरी से बाहर करने की बात करते हैं, तो इसे अपराध की कैटेगरी से बाहर करने के बारे में क्या ख्याल है? यह भी संभव है.
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