एक्सप्लोरर
Advertisement
मुनव्वर राना की शायरी मुल्कों की जुग़राफिया नहीं जो सांप्रदायिक सैलाब में बदल जाए
अदब का एक चिराग बुझ गया जिसकी तबीयत में ताउम्र इंकिसार (विनम्रता) इस तरह थी कि वैसी फक़ीरों और दुर्वेशों के यहां भी मुश्किल से मिलती हैं.
फूलती हुई सांसें, कंपकपाता हुआ जिस्म, टपकते हुए ज़ख़्मों जैसा चेहरा, चराग़े आखिरे शब की तरह झिलमिलाती आंखें...लेकिन मुस्कुराहट ऐसी जैसे जलते हुए तवे की मुस्कुराहट, जैसे कांटों की बाढ़ में उलझा
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें Khelo khul ke, sab bhool ke - only on Games Live
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
चुनाव 2024
महाराष्ट्र
बॉलीवुड
क्रिकेट
Advertisement
उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकारCommentator
Opinion