(Source: ECI / CVoter)
Ritu Karidhal: जानें कौन हैं रॉकेट वुमन ऋतु करिधाल, महिला साइंटिस्ट के हाथों में है मिशन 'चंद्रयान-3' की जिम्मेदारी
Ritu Karidhal Chandrayaan-3 Mission Director: ऋति करिधाल को रॉकेट वुमन के नाम से भी जाना जाता है, भारत के कई अंतरिक्ष मिशनों में काफी अहम भूमिका निभाई है चंद्रयान-3 की कमान भी उनके हाथों में है
Mission Chandrayaan-3: भारत के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ के लॉन्चिंग की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. जिसके बाद अब कुछ ही घंटों में इसे अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा. इस बार चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की जिम्मेदारी एक महिला साइंटिस्ट के हाथों में है. ISRO साइंटिस्ट ऋतु करिधाल चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर हैं. वो पिछले लंबे समय से महिलाओं के बीच चर्चा का विषय तो रही हैं, लेकिन देश के इस अहम मिशन की जिम्मेदारी मिलने के बाद उनकी खूब चर्चा हो रही है. इससे पहले करिधाल मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं. आइए जानते हैं आखिर कौन हैं ऋतु करिधाल...
कौन हैं साइंटिस्ट ऋतु करिधाल
ऋतु करिधाल को अपनी पढ़ाई के दौरान ही अंतरिक्ष में काफी रुचि थी. इसीलिए उन्होंने इसी में अपना भविष्य तलाश करने की कोशिश की और आज सफलता की बुलंदियों को छू रही हैं. ऋतु करिधाल ने लखनऊ में ही पढ़ाई की. इसके बाद लखनऊ से ही उन्होंने फिजिक्स में एमएससी की है. इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु के इंडियन साइंस इंस्टीट्यूट का रुख किया. जहां अंतरिक्ष विज्ञान में उन्होंने महारथ हासिल की. ऋतु की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें ISRO में नौकरी मिल गई. इस युवा साइंटिस्ट ने इसके बाद कई उपलब्धियां हासिल की और 2007 में उन्हें यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिला.
काफी कम उम्र में ही उनकी काबिलियत और उपलब्धियों ने उन्हें एक बड़ी साइंटिस्ट बना दिया. इसके बाद देश के तमाम बड़े अंतरिक्ष मिशनों में उनकी अहम भूमिका रही. इसीलिए उन्हें भारत की रॉकेट वुमन भी कहा जाता है. फिलहाल उनके हाथों में मिशन चंद्रयान-3 की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिस पर देश और दुनियाभर के करोड़ों लोगों की नजरें टिकी हुई हैं.
चंद्रयान-3 को सफल बनाने की तैयारी
भारत पिछले लंबे समय से चांद पर चंद्रयान की सफल लैंडिंग की कोशिश कर रहा है, जिसके बाद अब सभी उम्मीदें इस मिशन पर टिकी हुई हैं. भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है. ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर विक्रम ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था. यदि इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा.