एक्सप्लोरर

Karnataka Election 2023: किट्टूर, ओल्ड मैसूर से बेंगलुरु शहर तक, कर्नाटक चुनाव में मायने रखते हैं ये 6 अहम इलाके

Karnataka Elections: कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से केवल इन छह इलाकों में ही कुल 196 सीटें हैं, जिस पर किसी भी पार्टी ने अगर पकड़ बना ली तो उसके लिए राज्य की सत्ता का द्वार खुल जाएगा.

Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के लिए अब गिनकर सिर्फ एक हफ्ते का ही वक्त बचा है. राज्य में तीन प्रमुख राजनीतिक दल - सत्तारूढ़ बीजेपी, कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) सत्ता के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन कर्नाटक में छह ऐसे इलाके हैं जो राजनीतिक मापदंडों और सीटों के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण हैं. कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से केवल इन छह इलाकों में ही कुल 196 सीटें हैं, जिस पर यदि किसी पार्टी ने पकड़ बना ली तो उसके लिए राज्य की सत्ता हासिल करना आसान हो जाएगा.

वैसे तो सभी राज्यों के चुनाव महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन 10 मई को कर्नाटक में होने वाला यह चुनाव कई कारणों से अहम होगा, क्योंकि बीजेपी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे, क्योंकि उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया है. वहीं कांग्रेस के पूर्व सीएम और कर्नाटक में मौजूदा सबसे बड़े नेता सिद्धारमैया ने भी पहले ही एलान कर दिया है कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा. साथ ही राज्य के क्षेत्रीय दल जेडीएस ने इस बार स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि वह किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. ऐसे में आगे हम देखेंगे कि इन 6 इलाकों- किट्टूर कर्नाटक, कल्याण, तटीय, मध्य कर्नाटक, पुराना मैसूर और बेंगलुरु शहर में किन पार्टियों का पिछले तीन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन रहा है.

किट्टूर कर्नाटक- कुल 50 सीटें

किट्टूर कर्नाटक क्षेत्र सात जिलों- बेलगावी, धारवाड़, विजयपुरा, हावेरी, गडग, बागलकोट और उत्तर कन्नड़ से मिलकर बना है. इन सातों जिला को मिलाने से यहां कुल 50 विधानसभा सीटें होती हैं, यहां दो प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस के बीच लिंगायत वोटों को लेकर सीधा मुकाबला होता आया है. वहीं जेडी(एस) यहां काफी कमजोर पड़ती है. साल 2008 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में बीजेपी ने सबसे अधिक 36 सीटें जीती थीं, कांग्रेस के पाले में 12 सीटें आई तो वहीं, 50 सीटों वाली इस इलाके में जेडी(एस) मात्र 2 सीट पर जीत दर्ज कर सकी थी. जबकी 2013 के चुनाव में बीजेपी को पछाड़ते हुए कांग्रेस ने कुल 31 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी 12 पर अटक गई तो वहीं जेडीएस को 4 सीटों की बढ़त मिली थी. 

पिछली बार 2018 में कांग्रेस 14 सीटें गंवाने के साथ 17 पर आ गई और भगवा पार्टी फिर से 30 पर पहुंच गई हालांकि, बीजेपी को साल 2008 के मुकाबले यहां पर 6 सीटों का घाटा हुआ था. वहीं, क्षेत्रीय पार्टी 1 सीट पर ही रह गई थी. 2008 में यहां लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा के समर्थन में लोगों ने जुड़ना शुरू की, तो यह क्षेत्र धीरे-धीरे एक दशक से अधिक समय से भगवा पार्टी का गढ़ बन गया. हालांकि, कांग्रेस ने 2013 में 50 में से 31 सीटें जीतकर इस क्षेत्र में वापसी की.

कल्याण कर्नाटक- 40 सीट 

कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में 40 विधानसभा सीटें हैं, इस क्षेत्र में सात जिले कुलबुर्गी, बीदर, यादगीर, रायचूर, कोप्पल, बेल्लारी और विजयनगर जिले शामिल हैं. यहां 2018 के चुनाव में बीजेपी 15 सीट पर जीत दर्ज कर कांग्रेस के 21 सीटों के मुकाबले पीछे रही थी. वहीं, जेडी(एस) सिर्फ 4 विधायक बनाने में सफल रही, पार्टी को 2008 में यहां पर 5 सीट मिली जबकी साल 2013 के चुनाव अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करके 7 सीट जीती थी. कांग्रेस 2008 के चुनाव में 15 सीट के हिसाब से साल 2013 में अच्छा करते हुए 23 सीट अपने नाम किया था. हालांकि, कांग्रेस यहां पिछले दो चुनावों से करीब 50 प्रतिशत से अधिक सीटों पर अपना कब्जा जमाती आई है. बारिश में भीगते हुए राहुल गांधी ने इसी क्षेत्र में कहा है कि इस क्षेत्र के लिए 5,000 करोड़ रुपये आवंटित करेंगे और परिधान पार्क स्थापित करने का वादा किया. 

कर्नाटक तटीय में बीजेपी रही है आगे

कर्नाटक तटीय क्षेत्र धार्मिक संवेदनशील वाद-विवाद के मुद्दों के साथ हमेशा से सुर्खियों में रहा है. तटीय कर्नाटक क्षेत्र में कुल 19 सीटें हैं, जहां खासकर कांग्रेस को इस लिए इलाके की सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करने का दबदबा होगा, क्यूंकि इस पार्टी ने साल 2013 में यहां से 13 सीटें जीती थीं जबकि, पिछली बार कांग्रेस को यहां पर झटका लगते हुए 10 विधायकों का नुकसान हुआ था और पार्टी 3 सीट पर सिमट गई थी. वहीं बीजेपी कुल 19 सीटों वाली इस क्षेत्र में पिछली बार 16 सीटें जीत कर अव्वल रहा था. हालांकि पार्टी को साल 2013 में यहां से मात्र 3 सीट ही मिल पाया था. जबकि, जेडी(एस) यहां खाता भी नही खोल सकी थी.

यह सूबे के क्षेत्र धार्मिक के साथ सभी प्रमुख विवादित मुद्दों से भरा रहा है. यहां शिक्षण संस्थाओं में हिजाब पर प्रतिबंध, गौ-रक्षकों की अति सक्रियता से लेकर अंतर-धार्मिक विवाह जैसे मुद्दे खास तौर पर इलाके की सियासत को प्रभावित करते रहे हैं. कांग्रेस अपने प्रचार के दौरान इन मुद्दों को उठाने से बचती रही है और अगर बीजेपी ने इसे उठाया भी तो इसका सीधे जवाब देने से यह हमेशा बचती रही है. तटीय कर्नाटक में कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह मात खा गई थी और इलाके की 19 में से 17 सीटें बीजेपी के पाले में गई थीं.

मध्य कर्नाटक, जेडी(एस) यहां शून्य पर सिमटी

मध्य कर्नाटक में चार जिले शामिल हैं. दावणगेरे, चित्रदुर्ग, चिक्मगलुरु और शिवमोग्गा. 2018 में लिंगायतों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के गढ़ वाले इस क्षेत्र में कुल सीटों की संख्या 20 है. पांच साल पहले दावणगेरे को छोड़कर शेष क्षेत्र में कांग्रेस को केवल एक सीट मिली थी, जबकि जद(एस) का यहां खाता भी नहीं खुला था. बीजेपी का इस इलाके में दबदबा था क्योंकि उसने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया था. पार्टी ने साल 2018 में यहां से 16 सीटें हांसिल कर अपने 2008 के 15 सीटों की रिकॉर्ड को तोड़ने में कामयाब रहा था. वहीं सबसे पुरानी पार्टी ने मध्य कर्नाटक में 2008 में 5 सीट तो 2018 में 4 सीट पर ही रह गई थी लेकिन पार्टी  ने साल 2013 के चुनाव में बीजेपी को मात्र सीट पर रोक कर 11 सीटो पर अपना कब्जा जमाया था. जेडिएस 2013 में 5 सीटें जरूर जीती लेकिन 2008 और 2018 में यह पार्टी यहां शून्य पर सिमट गई. 

पुराने मैसूर में हैं 67 विधानसभा सीटें

यह इलाका कर्नाटक की सत्ता की राजनीति के मामले में निर्णायक बना हुआ है क्योंकि वोक्कालिगा समुदाय यहां बड़ी तादाद में रहता है, जिसका मत प्रतिशत यहां सबसे अधिक है. इस समुदाय का यहां के कुल आठ जिलों मैसूर, मंड्या, हासन, कोलार, चिक्काबल्लापुर, रामनगर, चामराजनगर और बेंगलुरु ग्रामीण में 12-15 प्रतिशत आबादी है. इस इलाके और वोक्कालिगा समुदाय ने अब तक परंपरागत रूप से जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों का समर्थन किया है, और इसलिए अब बीजेपी इस क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश कर रही है. पुराना मैसूर क्षेत्र में कुल 67 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें करीब 48 सीट ऐसे हैं जिसमें वोक्कालिगा समुदाय सरकार के भाग्य का फैसला करने की ताक़त रखता है.

2018 में, जेडीएस ने 25 सीटें, कांग्रेस ने 16, बीजेपी ने पांच और दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. वहीं अगर मह साल 2008 की बात करें तो कांग्रेस यहां सबसे ज्यादा 31 सीटें जीती थीं, बीजेपी 13 और जेडीएस 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. साल 2013 में जेडीएस 25, बीजेपी 5 तो वहीं फिर से कांग्रेस 31 सीटों पर अपना परचम लहराया था.

बेंगलुरु शहर में रहा है बराबर का गेम

कर्नाटक के बेंगलुरु शहर क्षेत्र भी कई नामी गामी उम्मीदवारों को लेकर सुर्खियों में रहता है, वहीं अगर इस क्षेत्र की बात करें तो यहां पर कुल 28 विधानसभा निर्वाचन सीटें हैं. जहां मुख्य रूप से दो ही पार्टी कांग्रेस और बीजेपी में पिछले तीन विधानसभा चुनाव से टक्कर देखने को मिला है. इस 28 सीटों वाले इलाके में साल 2008 के चुनाव में बीजेपी सबसे ज्यादा सीटों पर जीती तो वहीं, उसके बाद हुए दोनों चुनावों में कांग्रेस सबसे अव्वल रही है. कांग्रेस ने 2013 और 2018 में क्रमस 13 ओर 15 सीटें अपने नाम की है, जबकी साल 2008 में यह बीजेपी के 17 सीटों के एवज में 10 सीट ही ला पाई थी. बीजेपी ने 2013 और 2018 में 12 औत 11 सीटें जीती तो वहीं जेडीएस 3 सीटों से पिछली बार 2 सीट पर रह गई थी.

ये भी पढ़ें- Karnataka Election 2023: कर्नाटक में बीजेपी ने जारी किया अपना मैनिफेस्टो, जानें क्या हुईं घोषणाएं

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से क्यों दिया इस्तीफा? AAP, कन्हैया कुमार, उदित राज सहित ये हैं 10 कारण
अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से क्यों दिया इस्तीफा? AAP, कन्हैया कुमार, उदित राज सहित ये हैं 10 कारण
Elon Musk: भारत का दौरा टाल गुपचुप तरीके से चीन पहुंच गए एलन मस्क, आखिर क्या है वजह?
भारत का दौरा टाल गुपचुप तरीके से चीन पहुंच गए एलन मस्क, आखिर क्या है वजह?
आरती को दुल्हन बने देख इमोशनल हो गए थे गोविंदा, अब मामी सुनीता संग रिश्ते सुधारने के लिए क्या करेंगे Krushna Abhishek?
गोविंदा के बाद अब मामी सुनीता संग रिश्ते सुधारेंगे कृष्णा अभिषेक?
NEET UG 2024: एडमिट कार्ड रिलीज को लेकर सामने आया ये बड़ा अपडेट, जारी होने के बाद ऐसे करें डाउनलोड
नीट यूजी एडमिट कार्ड रिलीज को लेकर सामने आया ये बड़ा अपडेट, जारी होने के बाद ऐसे करें डाउनलोड
Advertisement
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Arvind Kejriwal की गिरफ्तारी के खिलाफ AAP का विरोध प्रदर्शन | Breaking News | Delhi AAP ProtestLoksabha Election 2024: सियासी पिच पर उतरीं... 'मैडम' केजरीवाल ! | AAP | ABP NewsExploring the Food of CP ft The Great Indian Foodie aka Sukrit Jain | Tasting it with TonakshiPawan Singh और Manoj Tiwari के बीच हुई जुबानी जंग, मां को लेकर Pawan हुए भावुक | ENT LIVE

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से क्यों दिया इस्तीफा? AAP, कन्हैया कुमार, उदित राज सहित ये हैं 10 कारण
अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से क्यों दिया इस्तीफा? AAP, कन्हैया कुमार, उदित राज सहित ये हैं 10 कारण
Elon Musk: भारत का दौरा टाल गुपचुप तरीके से चीन पहुंच गए एलन मस्क, आखिर क्या है वजह?
भारत का दौरा टाल गुपचुप तरीके से चीन पहुंच गए एलन मस्क, आखिर क्या है वजह?
आरती को दुल्हन बने देख इमोशनल हो गए थे गोविंदा, अब मामी सुनीता संग रिश्ते सुधारने के लिए क्या करेंगे Krushna Abhishek?
गोविंदा के बाद अब मामी सुनीता संग रिश्ते सुधारेंगे कृष्णा अभिषेक?
NEET UG 2024: एडमिट कार्ड रिलीज को लेकर सामने आया ये बड़ा अपडेट, जारी होने के बाद ऐसे करें डाउनलोड
नीट यूजी एडमिट कार्ड रिलीज को लेकर सामने आया ये बड़ा अपडेट, जारी होने के बाद ऐसे करें डाउनलोड
Gold Price Weekly: 10 दिन में खूब सस्ता हुआ सोना, जानिए क्यों आई इतनी बड़ी गिरावट
10 दिन में खूब सस्ता हुआ सोना, जानिए क्यों आई इतनी बड़ी गिरावट
लोकतंत्र का महापर्व और मतदाताओं का मिजाज, जरूरी है इसको समझना
लोकतंत्र का महापर्व और मतदाताओं का मिजाज, जरूरी है इसको समझना
खेती में तकनीक को लेकर इजराइल क्यों है नंबर 1?
खेती में तकनीक को लेकर इजराइल क्यों है नंबर 1?
Ford Endeavour: भारत में जल्द होगी फोर्ड की वापसी, कंपनी लॉन्च करेगी एंडेवर एसयूवी
भारत में जल्द होगी फोर्ड की वापसी, कंपनी लॉन्च करेगी एंडेवर एसयूवी
Embed widget