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Doda Sinking: अब जम्मू-कश्मीर के डोडा में जोशीमठ जैसा संकट, खिसक रही जमीन, इमारतों में दरारें, 19 घरों को कराया गया खाली
Doda Sinking: गांव में दो महीने पहले से दरारें आनी शुरू हुई थीं, लेकिन गुरुवार को भूस्खलन के बाद स्थिति तेजी से खराब हुई. इस बस्ती को दो दशक पहले बसाया गया था.
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Doda Land Sunsidence: जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में भी जोशीमठ जैसा संकट सामने आया है. जिले के एक गांव की जमीन धंस रही है जिसके चलते इमारतों में लगातार दरारें आ रही हैं. परिवारों को घरों से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है. अब तक 19 घरों, 1 मस्जिद और 1 मदरसे को खाली कराया गया है. निवासियों में दहशत का माहौल है.
डोडा शहर से 35 किमी दूर किश्तवाड़-बटोटे राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ठाठरी इलाके के नई बस्ती गांव में मिट्टी के खिसकने के कारण घरों की दीवारों में दरारें आईं तो छतें और दीवारें गिरने लगी. अधिकारियों का कहना है कि मिट्टी खिसकने के कारणों की जांच के लिए विशेषज्ञों को गांव भेजा गया है. डोडा के उपायुक्त विशेष महाजन ने कहा, हम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं.
19 परिवारों को किया गया शिफ्ट
अधिकारियों ने बताया कि दरार आने के बाद अब तक 19 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया है. गांव में एक मस्जिद और एक मदरसे को भी असुरक्षित घोषित कर दिया गया है. गांव के कुछ घरों में 2 महीने पहले दरारें आनी शुरू हो गई थीं, लेकिन गुरुवार को भूस्खलन से स्थिति और खराब हो गई, जिससे क्षतिग्रस्त इमारतों की संख्या करीब दो दर्जन पहुंच गई.
सूचना मिलने के बाद उपायुक्त और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने गांव का दौरा किया और प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया. कुछ परिवार कुछ परिवार जिला प्रशासन के एक अस्थायी आश्रय में गए हैं, जबकि कई अन्य अपने रिश्तेदारों या परिजनों के साथ शिफ्ट हुए हैं.
डीएम ने कहा- बचना मुश्किल
डोडा के डीएम अतहर अमीन जरगर ने शुक्रवार (2 फरवरी) को बताया कि दिसंबर में एक घर में दरारों की सूचना मिली थी. कल तक 6 इमारतों में दरारें थीं, लेकिन अब ये दरारें बढ़ रही हैं ये इलाका नीचे की ओर जा रहा है, इसका बचना मुश्किल है. सरकार की कोशिश है कि इसे यहीं रोक दिया जाए.
गांव में दहशत
गांव की एक महिला ने बताया कि वह 15 साल से यहां रह रही है लेकिन पहली बार ऐसा देखा गया है. गांव के 50 से अधिक परिवारों में दहशत का माहौल है. उन्होंने बताया कि गुरुवार के भूस्खलन के बाद अधिकांश घरों में दरारें आ गईं. गांव के एक शख्स ने बताया कि नई बस्ती को लगभग दो दशक पहले बसाया गया था और यहां पहले ऐसी कोई समस्या नहीं देखी गई थी.
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