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झगड़ा इजरायल-फलस्‍तीन का तो गाजा पट्टी, वेस्‍ट बैंक, अल अक्‍सा और यरूशलम का मसला क्‍या है, कहां हैं पावर सेंटर? उलझी कहानी सरल भाषा में

इजरायल और हमास के बीच जारी गतिरोध में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, हजारों बेघर हो गए और लड़ाई अब भी जारी है. फलस्तीन और इजरायल दोनों ही तरफ इस युद्ध ने तबाही मचाई हुई है.

दुनियाभर में इस वक्त इजरायल और चरमपंथी समूह हमास के बीच चल रहे युद्ध की बातें हो रही हैं. 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर रॉकेट दागकर पुरानी जंग को फिर से शुरू कर दिया है. इस जंग का कब अंत होगा और इसके क्या परिणाम होंगे ये तो वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल इस लड़ाई का सबसे ज्यादा नुकसान इजरायल और फलस्तीन की आम जनता को उठाना पड़ रहा है. गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक, अल अक्सा और यरूशलम, ये वो शब्द हैं, जो युद्ध के बीच बार-बार सुनने को मिल रहे हैं. इजरायल और फलस्तीन के झगड़े के बीच बार-बार सुनाई दे रहे इन शब्दों के क्या मायने हैं और इनका इतिहास क्या है, इस पर डिटेल में जान लेते हैं.

इजरायल
अल्पसंख्यक यहूदियों ने अरबी बहुसंख्यक आबादी वाले देश फलस्तीन के टुकड़े कर 14 मई, 1948 को इजरायल देश बनाया था. फलस्तीन पहले ओटोमन सामाज्य के तहत आता था. वेस्‍ट बैंक, गाजा, पूर्व यरूशलम और आज का इजरायल, इन सभी को मिलाकर ओटमन साम्राज्‍य के जमाने में एक फलस्‍तीन हुआ था. 1948 में इजरायल को राष्‍ट्र घोषित किया गया तब, फलस्‍तीन की सीमा में वेस्‍ट बैंक, गाजा पट्टी आ गए और इजरायल ने 1967 में खाड़ी देशों के साथ युद्ध के बाद पूर्वी यरूशलम पर कब्‍जा कर लिया. 1967 के युद्ध में इजरायल ने पूर्वी यरुशलम ही नहीं बल्कि सीरिया के गोलान हाइट्स और मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप के अधिकतर हिस्सों पर भी अधिकार जमा लिया था.

कैसे फलस्तीन में बढ़ा यहूदियों का पलायन
1917 में बाल्फोर घोषणा में ब्रिटेन ने फलस्तीन में यहूदी लोगों के लिए अलग निवास स्थान का समर्थन किया था. इसके अगले साल ही 1918 में प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार हुई और फलस्तीन पर ब्रिटेन ने कब्जा कर लिया. यहां अरबी और यहूदी आबादी रहती थी और यहूदियों को बाहरी कहा जाता था, जबकि अरबी यहीं के रहने वाले थे. उस वक्त फलस्तीन में अरबियों की संख्या बहुत ज्यादा थी, लेकिन धीरे-धीरे यहूदियों की संख्या बढ़ने लगती है और 1922 से 1935 के बीच दुनियाभर के 1,35,000 यहूदी यहां आकर रहने लगे. इस तरीके से फलस्तीन की जनसांख्यिकी में बदलाव आने लगा और अरब लोगों को अपने अधिकारों को लेकर खतरा महसूस होने लगा. 

कितना बड़ा है इजरायल
इरायल का कुल क्षेत्रफल 21,937 वर्ग किलोमीटर है. इजरायल में 4 भौगोलिक क्षेत्र हैं, जिनमें मेडिटेरियन कोस्टल प्लेन, उत्तरी और केंद्रीय इलाका हिल रीजन है, ग्रेट रिफ्ट वैली और नागेव शामिल है. इजरायल उत्तर में लेबनान, उत्तर पूर्व में सीरिया, दक्षिण पूर्व में जॉर्डन और दक्षिण पश्चिम में मिस्त्र से लगा हुआ है.

गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक से कितनी दूरी पर है इजरायल
इजरायल और फलस्तीन के बीच विवाद में गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक का नाम भी काफी सुनने में आ रहा है. ये दोनों शहर भी इस विवाद का हिस्सा हैं. गाजा पट्टी से इजरायल की दूरी 62 किमी है, जबकि वेस्ट बैंक इजरायल से 166.3 किमी दूर स्थित है. 

इजरायल में कौन से प्रमुख राजनीतिक दल और अभी सत्ता में कौन
इजरायल की सत्ता अभी बेंजामिन नेतन्याहू के पास है. वह इजरायल के प्रधानमंत्री हैं और उनकी पार्टी का नाम लिकुड है. नेतन्याहू पिछले साल 2022 में छठी बार इजरायल के प्रधानमंत्री बने और सबसे लंबे समय तक देश की सत्ता पर काबिज हैं. लिकुड के अलावा  इजरायल में येश अतीद, नेशनल यूनिटी, शास, रिलीजियन जियोनिज्म, यूनाइटेड जोर्डिएज्म, ओटज्मा येहुदित, नोएम, इजरायल बीतेनू, हदाश ता-अल और इजरायली लेबर पार्टी राजनीतिक दल हैं.

फलस्तीन

कब और कैसे बना फलस्तीन
1918 में प्रथम विश्व युद्ध खत्म होने के बाद फलस्तीन पर ओटोमन का साम्राज्य खत्म हुआ और ब्रिटेन ने इसे अपने कब्जे में ले लिया. ब्रिटेन पहले से ही बाल्फोर घोषणा के तहत यहूदियों के लिए अलग निवास स्थान बनाने का समर्थन कर रहा था. इस शासनादेश के तहत 1922 से 1947 के बीच बड़ी संख्या में दुनियाभर के यहूदी फलस्तीन पहुंचने लगे और यहूदियों की संख्या बढ़े लगी. 1947 में संयुक्त राष्ट्र में इजरायल और फलस्‍तीन दो देश बनाने का प्रस्‍ताव पारित हुआ और 1948 में फलस्तीन को तोड़कर इजरायल को अलग कर दिया गया. इजरायल को 55 फीसदी और फलस्‍तीन को 45 फीसदी हिस्सा दिया गया. 1948 में इजरायल ने वेस्‍ट बैंक और गाजा पट्टी पर कब्‍जा किया और पूरी 72 प्रतिशत जमीन का मालिक बन बैठा. 

कितना बड़ा है फलस्तीन
फलस्तीन का कुल क्षेत्रफल 6,020 वर्ग किलोमीटर है. इजरायल गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक से मिलकर बना है. यूएन में फलस्तीन को नॉन मेंबर ऑब्जर्वर स्टेट का दर्जा प्राप्त है. इसको वोटिंग का अधिकार नहीं है, लेकिन जनरल असेंबली की डिबेट में हिस्सा ले सकता है. फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) को अंतरराष्ट्रीय समुदाय आधिकारिक प्रतिनिधि मानता है. PLO को फतह मूवमेंट लीड करता है और वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों में इसका कंट्र्रोल है. यूएन ने पीएलओ ही फलस्तीन का प्रतिनिधित्व करता है.

गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक से कितनी दूरी पर है फलस्तीन
फलस्तीन का हिस्सा गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के बीच की दूरी 93.2 किलोमीटर है. 

फलस्तीन में कौन से प्रमुख राजनीतिक दल और अभी सत्ता में कौन
फलस्तीन में मुख्यरूप से मिलिटेंट ग्रुप हमास की पॉलिटिकल विंग इस्लामिक रेजीसटेंस मूवमेंट और फलस्तीन नेशनल लिबरेशन मूवमेंट (PLO) राजनीतक दल हैं. गाजा पट्टी को हमास और वेस्ट बैंक का पीएलओ कंट्रोल करता है. इनके अलावा, फलस्तीन में पॉपूलर फ्रंट फोर द लिबरेशन ऑफ फलस्तीन, फलस्तीन नेशनल इनिशियएटिव, डेमोक्रेटिक फ्रंट फोर द लिबरेशन ऑफ फलस्तीन और फलस्तीन पीपुल्स पार्टी राजनीतिक दल हैं. फलस्तीन के राष्ट्रपति मेहमूद अब्बास हैं.

गाजा पट्टी

कितना बड़ा है गाजा पट्टी का इलाका
इजरायल, भूमध्‍य सागर और मिस्र की सीमाओं से घिरा हुआ है गाजा पट्टी का इलाका. गाजा पट्टी इजरायल के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में मौजूद है. इसका 365 वर्ग किलोमीटर का इलाका मिस्त्र से भी लगता है. गाजा सिटी इसकी राजधानी है और 23 लाख आबादी रहती है. गाजा पट्टी में अभी हमास का कब्जा है. वहीं, गाजा पट्टी को इजरायल ने ब्लॉक किया हुआ है और जमीन, हवा या समंदर के रास्ते यहां आने-जाने पर परमिशन की जरूरत पड़ती है. 

गाजा पट्टी, इजरायल और वेस्ट बैंक से कितनी दूरी पर है
गाजा पट्टी और इजरयल के बीच की दूरी 62 किमी है, जबकि वेस्ट बैंक से इसकी दूरी 93.2 किमी है. 

गाजा पट्टी को कौन कंट्रोल करता है
साल 2007 में हमास ने गाजा पट्टी पर कंट्रोल ले लिया था. यहीं से उसने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला किया था. यहां कंट्रोल लेने के बाद हमास ने इजरायल पर हमले और हिंसा शुरू की. हमास से सामना करने के लिए इजरायल ने अपना डिफेंस सिस्टम मजबूत किया और बॉर्डर क्रॉसिंग पर भी निगरानी बढ़ाई. 

हमास
हमास एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है, जोशीला या मजबूत या उत्‍साह से भरा हुआ. इसका पूरा नाम हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया है. इसका मकसद वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में स्वतंत्र इस्लामी राज्य की स्थापना करना है. साल 1987 में हमास की स्थापना हुई थी. हमास ने साल 2007 में गाजा पट्टी पर कब्‍जा किया था. तब फलस्‍तीन में गृह युद्ध हुआ था. फलस्‍तीन अथॉरिटी के राष्‍ट्रपति महमूद अब्‍बास के समर्थन वाले फतह गुट के लड़ाकों से जंग के बाद हमास ने गाजा पट्टी पर कब्‍जा किया था. गाजा में हमास मूवमेंट की शुरुआत वर्ष 1987 में हुई थी. इमाम शेख अहमद यासीन ने अपने सहयोगी अब्‍दुल अजीज अल रनतीसी के साथ इजरायल के खिलाफ पहले इंतिफादा (विद्रोह या जोरदार मूवमेंट) की शुरुआत की थी. अल जजीरा के मुताबिक, इस प्रकार से मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड की शाखा के तौर पर हमास की शुरुआत हुई थी.

हमास कब, कैसे बना
साल 1935 में जहां फलस्तीन में यहूदियों का इमीग्रेशन बढ़ रहा था और ब्रिटिशों द्वारा गठित पील कमीशन ने फलस्तीन के बंटवारे की सिफारिश की. यह सब देखकर अरबियों ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी शुरू की और करीब 6 महीने की हड़ताल की. वहीं, यहूदियों ने भी इस विरोध को दबाने की कोशिश की. हमास का गठन दिसंबर, 1987 में हुआ था. जिस साल हमास का गठन हुआ था, उसी साल फलस्तीन में इंतिफादा मूवमेंट चला.

कौन हमास का चीफ
हमास का गठन शेख अहमद यासीन नाम के फलस्तीनी मौलाना ने किया था. वह मिस्त्र की मुस्लिम ब्रदरहुड की फलस्तीनी ब्रांच का हिस्सा थे. इस वक्त हमास का मुखिया इस्माइल हानियेह है और इसकी आर्मी विंग का प्रमुख मोहम्मद दायफ है. वह साल 2002 से इसका चीफ है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसका जन्म 1960 के दशक में गाजा में खान यूनिस शरणार्थी शिविर में हुआ था. पहले उसका नाम मोहम्मद दीब इब्राहिम अल-मसरी था. 

फंडिंग और हथियार कहां से मिलता है
तंग हाली की बात करने वाले हमास ने इजरायल की जमीन पर जिस तरह कत्लेआम मचाया है, उससे यह सवाल खड़ा होता है कि इसके लिए उसे फंडिंग कर कौन रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमास को फंडिंग करने वाले इस्लामिक देश हैं. ईरान और कतर समेत कई मुस्लिम देश हमास को उकसाते हैं और फिर इन हरकतों के लिए उसे जरूरी फंड और हथियार मुहैया करवाते हैं. 

कैसे करता है रॉकेट हमले
हमास के हमलों ने पूरे इजरायल को हिलाकर रख दिया है. हमास का हमले का करने का तरीका काफी अलग है. यह घनी आबादी वाले इलाकों में सुरंगे बनाकर हमले करता है. कई बार ये सुरंग स्कूलों, अस्पताओं अन्य नागरिक भवनों में जाकर खुलती हैं. इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) का कहना है कि इन सुरंगों को कई बार खोजना बेहद मुश्किल हो जाता है क्योंकि इन्हें बहुत अच्छे से छिपाया गया होता है. इन हमलों में करोड़ों रुपये का खर्च आता है. आईडीएफ का कहना है कि इजरायल नागरिक परियोजनाओं के लिए हर महीने बजरी, लोहा, सीमेंट, लकड़ी जैसे सामान जो गाजा भेजता है, उसका इस्तेमाल चरमपंथी हमास भी करता है.

वेस्ट बैंक
फलस्तीन का दूसरा हिस्सा वेस्ट बैंक है. इसके कुछ हिस्सों पर फतह मूवमेंट वाला फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन कंट्रोल करता है. वेस्ट बैंक इजरायल के पूर्वी हिस्से पर बसा है और इसकी एक सीमा जॉर्डन नदी के पश्चिमी हिस्से से मिलती है इसलिए इसको वेस्ट बैंक नाम दिया गया है. यहां 30 लाख फलस्तीनी आबादी रहती है. इजरायल के कब्जे वाला यरुशलम इसी के अंदर आता है. इसका क्षेत्रफल 5,860 वर्ग किलोमीटर है.

वेस्ट बैंक में किसकी सरकार
साल 1967 में सिक्स-डे वॉर के दौरान इजरायल ने पूर्वी यरुशलम और वेस्ट बैंक पर कब्जा कर लिया था. पहले यहां जॉर्डन का कंट्रोल था. 1967 में जब इजरायल ने लाखों यहूदियों को यहां बसाया था और अब भी यहां यहूदियों को बसाया जा रहा है. वेस्ट बैंक के 40 फीसदी हिस्से पर फतह मूवमेंट का कंट्रोल है और बाकी को इजरायल चलाता है.

PLO क्या है, कौन इसके नेता हैं और अभी सत्ता में कौन?
फॉरेन पॉलिसी के मुताबिक, विभिन्न दलों ने मिलकर साल 1964 में PLO का गठन किया था. संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन का प्रतिनिधित्व PLO करता है. फतह, पॉपुलर फ्रंट फोर द लिबरेशन ऑफ फलस्तीन, डेमोक्रेटिक फ्रंट फोर द लिबरेशन ऑफ फलस्तीन और फलस्तीन पीपल्स पार्टी इसका हिस्सा हैं. हालांकि, इसको लीड फतह मूवमेंट करता है और डेमोक्रेटिक फ्रंट इसकी शाखा है. मिलिटेंट ग्रुप हमास और फलस्तीन इस्लामिक जिहाद इसका हिस्सा नहीं हैं और फलस्तीन अथॉरिटी के साथ इसके रिश्तों पर भी वह ऐतराज जताते हैं. फलस्तीन अथॉरिटी इजरायल के कंट्रोल में है और इजरायली अधिकारी वेस्ट बैंक में सिक्योरिटी की देख-रेख के लिए फलस्तीन अथॉरिटी के लिए काम करते हैं. इजरायल और PLO के बीच 1994 में एक सीक्रेट डील हुई थी, जिसे ओसलो समोझौते के नाम से जाना जाता है. डील का मकसद दोनों देशों के बीच जारी जंग को खत्म करना था. इस डील के बाद फलस्तीन अथॉरिटी अस्तित्व में आया और यासिर अराफात इसके राष्ट्रपति चुने गए. PLO का गठन करने वालों में यासिर अराफात भी शामिल थे और साल 2004 में उनकी मौत हो गई. इस वक्त महमूद अब्बास फलस्तीन अथॉरिटी के राष्ट्रपति हैं.

अल-अक्सा परिसर क्या है
7 अक्टूबर को इजरायल में हुए हमले का एक कारण अल-अक्सा मस्जिद भी बताया जा रहा है. यहूदी और फलस्तीनियों के लिए यह एक पवित्र स्थल है, जो 35 एकड़ जमीन स्थित पर है. जहां मुस्लिम इसे हरम अल शरीफ के नाम से जानते हैं तो वहीं, यहूदी इसे टेंपल माउंट कहते हैं. 

अल-अक्सा परिसर में क्या-क्या है
इस कंपाउंड में अल-अक्सा मस्जिद और डोम ऑफ रॉक हैं, जो मुस्लिमों के लिए पवित्र स्थान हैं. वहीं, यहूदी कहते हैं कि उनके इतिहास के दो पवित्र टेंपल इस कंपाउंड में थे. पहले और दूसरे टेंपल को तोड़ दिया गया था. दूसरे मंदिर को जब तोड़ा गया तो इसकी एक दीवार बची रह गई, जो आज भी मौजूद है और वेस्टर्न वॉल या वेलिंग वॉल के तौर जानी जाती है. यहूदी इसे अपनी धार्मिक निशानी मानते हैं. इस पवित्र स्थान के अंदर हॉली ऑफ द हॉलीज पवित्र स्थान भी है. यहूदियों का विश्वास है कि इसी जगह दुनिया बनी और पैंगबर अब्राहम को ईश्वर ने अपने प्रिय बेटे इसहाक की बलि देने को कहा था. हालांकि, बाद में ईश्वर ने अब्राहम की श्रद्धा से खुश होकर इसहाक को बख्शने को कहा. वहीं, मक्का और मदीना के बाद मुसलमानों के लिए अल अक्सा तीसरा सबसे पवित्र स्थल है. मुसलमानों का मानना है कि साल 621 में पैगंबर मोहम्मद यहीं से जन्नत गए थे. 

जानें अल अक्सा परिसर की पूरी हिस्ट्री
1967 की जंग के बाद पूर्वी यरूशलम पर इजरायल ने कब्‍जा कर लिया. इसी जगह पर अल अक्‍सा परिसर है, जिसमें यहूदी, ईसाई और मुस्लिमों के पवित्र स्‍थल हैं. 1967 के युद्ध से पहले जॉर्डन का अल अक्‍सा परिसर पर कब्‍जा था. समझौते के बाद अल अक्‍सा के प्रबंधन का काम जॉर्डन को मिला और सुरक्षा की जिम्‍मेदारी इजरायल की हो गई. इसके तहत कहा गया कि, मस्जिद में इबादत सिर्फ मुसलमान कर पाएंगे. हालांकि यहूदियों को जाने की इजाजत होगी. अल अक्‍सा परिसर में दो मस्जिदें हैं, एक अल अक्‍सा मस्जिद और दूसरी मस्जिद का नाम 'डोम ऑफ द रॉक'- कुब्‍बतुस सखरा. इसे यहूदी भी अति पवित्र मानते हैं.         

ईसाई, मुस्लिम और यहूदियों के लिए अल अक्‍सा परसिर इसलिए पवित्र हैं, क्‍योंकि यहां पर अब्राहम/इब्राहिम, दाऊद/डेविड और सुलेमान/सोलेमन, इलियास, ईसा मसीह और पैगंबर मोहम्‍मद ने इस पवित्र धरती पर इबादत की थी. ईसा मसीह और पैगंबर मोहम्‍मद को छोड़कर अन्‍य सभी पैगंबर- ईसाई, मुस्लिम और यहूदियों, तीनों के लिए पूजनीय हैं. अल अक्‍सा परिसर को यहूदी टेंपल माउंट कहते हैं, जबकि मुस्लिम इसे हरम शरीफ और अल कुद्स कहते हैं.  इस परिसर की पश्चिमी दीवार को वेलिंग वॉर कहते हैं, जहां पर यहूदी दीवार के पास खड़े होकर इबादत करते हैं, वे इस स्‍थान के भीतर नहीं जाते हैं, क्‍योंकि वे मानते हैं कि यह जगह बेहद पवित्र है और अंदर जाने से कहीं ये अपवित्र न हो जाए.

यरूशलम
ईसाई, यहूदी और मुसलमान यरूशलम को अपना पवित्र स्थान मानते हैं. तीनों की अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं. इसके पूर्व हिस्से पर इजरायल का कब्जा है. वह इसे अपनी राजधानी बताता है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके इस दावे को मान्यता प्राप्त नहीं है. वहीं, फलस्तीन की मांग करने वाले इसे अपनी राजधानी बनाना चाहते हैं. यरूशलम का 125 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल पूर्व और पश्चिम यरूशलम में फैला है. 1948 में हुए इजरायल-अरब युद्ध के बाद वेस्ट हिस्सा इजरायल के पास और पूर्व हिस्सा जॉर्डन के पास आया, लेकिन 1967 के बाद इजरायल ने पूर्वी हिस्सा भी हथिया लिया.
 
धार्मिक महत्व की बात करें तो ईसाईयों का ऐसा मानना है कि ईसा मसीह को इसी शहर में सूली पर चढ़ाया गया था. वहीं, मुसलमानों का कहना है कि पैगंबर मोहम्मद यहीं से जन्नत गए थे. इसके अलावा, यहूदियों का कहना है कि उनका फर्स्ट और सेकेंड टेंपल यहीं पर है और सेकेंड टेंपल की आखिरी दीवार अभी भी यहां मौजूद है.

क्या है सिक्स- डे वॉर, जिसमें अरब देशों को इजरायल ने चटाई थी धूल
मई, 1948 में जब इजरायल बना तो अगले ही दिन अरब और इजरायल युद्ध छिड़ गया. युद्ध के दौरान लेबनान, सीरिया, इराक और मिस्त्र जैसे देशों ने इजरायल पर हमला कर दिया, जिसका इजरायलियों ने भी मुंह तोड़ जबाव दिया. इस युद्ध के बाद यरूशम ईस्ट और वेस्ट दो हिस्सों में बंट गया. वेस्ट पर इजरायल और ईस्ट पर जॉर्डन का कब्जा हो गया. फिर 1967 में दोबार लेबनान, सीरिया, इराक, मिस्त्र और जॉर्डन जैसे अरब देशों ने इजरायल पर हमला कर दिया और इजरायल भी डटकर खड़ा रहा. 6 दिन चले इस युद्ध को सिक्स-डे वॉर के नाम से जाना जाता है. इस युद्ध में अरब देशों को करारी हार मिली. अब इस लड़ाई में अल अक्सा परिसर के अल अक्सा और टेंपल माउंट वाले हिस्से पर इजरायल का कब्जा हो गया. 

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