एक्सप्लोरर

Independence Day 2022: गणेश शंकर विद्यार्थी, पत्रकारिता के ‘प्रताप', जिनकी सांप्रदायिक दंगा शांत कराने में जान चली गई

Azadi ka Amrit Mahotsav: गणेश शंकर विद्यार्थी 26 अक्टूबर 1890 को इलाहाबाद के अतरसुइया मोहल्ले में जन्में. लेकिन शुरुआती पढ़ाई मध्य प्रदेश के मुंगावली से हुई.

Independence Day: देश 'आजादी का अमृत महोत्सव' (Azadi ka Amrit Mahotsav) मना रहा है, लेकिन आज हम यह महोत्सव मना पा रहे हैं क्योंकि इसके लिए बहुत से क्रांतिकारियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है. ऐसे ही एक क्रांतिकारी थे पत्रकारिता के ‘पितामह’ कहे जाने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी (Ganesh Shankar Vidyarthi). जिनके वीरतापूर्ण जीवन त्याग का जिक्र करते हुए गांधी जी ने कहा था कि काश उन्हें भी गणेश शंकर विद्यार्थी की तरह कर्तव्य निर्वाह करते हुए मृत्यु मिले.

प्रारंभिक 'विद्यार्थी' जीवन

गणेश शंकर विद्यार्थी 26 अक्टूबर 1890 को इलाहाबाद के अतरसुइया मोहल्ले में जन्में. लेकिन शुरुआती पढ़ाई मध्य प्रदेश के मुंगावली से हुई. 1907 में आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद आए, लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए आगे की पढाई स्वाध्याय के तौर पर होने लगी. साथ ही पढ़ाई के साथ नौकरी भी करने लगे. कलम चलाने में रुचि हमेशा से थी, इसलिए पेशे के रूप में उन्होंने पत्रकारिता को चुना.
समय के साथ परिस्थितियां बदली तो उन्हें 1908 में इलाहाबाद छोड़ कानपुर आना पड़ा. यहां वो करेंसी ऑफिस में नौकरी करने लगे लेकिन लिखना नहीं छोड़ा. पारिवारिक कारणों से गणेश शंकर जी की विश्वविद्यालयी पढ़ाई तो पूरी नहीं हो पाई, लेकिन विद्याध्ययन का कार्य अनवरत चलता रहा. इस लिखने पढ़ने के क्रम में उन्होंने अपना नाम में ही 'विद्यार्थी' शब्द को अपना लिया.

ऑफिस बन गया क्रांतिकारियों की शरणगाह

भारत में पत्रकारिता सिर्फ पेशा कभी नहीं रहा. यह हमेशा दमन और सामंती ताकतों के खिलाफ प्रतिरोध की भावना को शब्दों में पिरोने का माध्यम भी रहा है. इसी प्रतिरोध की परंपरा के जिम्मेदार वाहक बने गणेश शंकर विद्यार्थी. उन्होने 9 नवंबर 1913 को कानपुर में अपने तीन साथी शिव नारायण मिश्र, नारायण प्रसाद अरोड़ा और यशोदानंदन के साथ मिलकर 'प्रताप' अखबार की नींव डाली. 
 'प्रताप' अपने स्थापना के साथ ही अपने आप को जनता के दिलों में भी स्थापित कर लिया. साथ ही आजादी के आंदोलन की मुखर आवाज के रूप में भी जाना जाने लगा. उस वक्त प्रताप के प्रसार की संख्या 12 से 15 हजार थी. प्रताप का दफ्तर क्रांतिकारियों के लिए जहां शरण स्थली था, तो वहीं युवाओं के लिए पत्रकारिता की पौधशाला. प्रताप के दफ्तर में भगत सिंह, आजाद सहित तमाम क्रांतिकारी भेष बदलकर महीनों रहा करते थे.

गांधीवादी से बने क्रांतिकारी

 'प्रताप' के प्रतिरोध की आवाज बुलंद थी, इसलिए पुलिस की नजर भी इनपर बनी रहने लगी. फलस्वरूप, संपादकों और प्रकाशकों को जेल की यात्राएं भी करनी पड़ी. गांधीवादी गणेश शंकर का संपर्क बटुकेश्वर दत्त और फिर भगत सिंह से हुआ, तो वो कलम के साथ क्रांति की राह पर चल पड़े. हालांकि वो हमेशा हिंसा के खिलाफ ही रहे, लेकिन क्रांतिकारियों की मदद भी करते रहे.
कभी ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध लिखने के लिए, तो कभी लोगों की आवाज बनने तो कभी देशवासियों की सहायता करने की वजह से उन्हें अपने छोटे से जीवनकाल में पांच बार जेल जाना पड़ा.

पत्रकारिता का मानक गढ़ा

अंग्रेजी शासन में जब पत्रकारिता करना ही दूभर कार्य था, तब गणेश शंकर विद्यार्थी ने न सिर्फ देशी रियासतों के अंग्रेजी शासन के साथ सांठगांठ को ही प्रमुखता से छापा, बल्कि चंपारण के किसानों की समस्याओं की तह तक जाकर जमीनी पत्रकारिता की.

पत्रकार से 'प्रताप बाबा'

जनवरी, 1921 में रायबरेली में जमींदारों ने किसानों पर गोलियां चलवा दी थी, गणेश शंकर विद्यार्थी रायबरेली पहुंचे, डरे सहमें किसानों को संगठित किया और उनकी आवाज बने. उस निर्मम हत्याकांड को दूसरा जलियांवाला कांड कहते हुए ‘प्रताप’ में लेख लिखा. प्रताप के संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी और मुद्रक शिवनारायण मिश्रा पर मानहानि का मुकदमा कर दिया गया. अंग्रेज पहले से ही तिलमिलाए हुए थे, तो उन्होंने भी इस मौके का जमकर फायदा उठाया. लेकिन ये गणेश शंकर विद्यार्थी की निर्भीक पत्रकारिता ही थी कि उनके पक्ष में 50 गवाह पेश हुए. जिसमें मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, श्री कृष्ण मेहता जैसे राष्ट्रीय स्तर के नेता भी शामिल थे.
'प्रताप' की ओर से डॉ. जयकरण नाथ सहित 7-8 प्रख्यात वकीलों ने इस मामले की पैरवी की. यह मुकदमा इतना चर्चित रहा कि कार्यवाही के समय न्यायालय में भारी भीड़ रहती थी. किसान लोग गणेश शंकर विद्यार्थी को 'प्रताप बाबा' कहने लगे.

साम्प्रदायिक दंगों ने ले ली जान

आज जहां मीडिया पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगता रहता है. वहीं गणेश शंकर विद्यार्थी एक ऐसे पत्रकार थे जिन्होंने साम्प्रदायिक दंगों को शांत कराने में अपने प्राणों की आहुति दे दी.23 मार्च 1931 को भगत सिंह को फांसी होती है, उसके विरोध में पूरे देश में बंद बुलाया गया. अंग्रेजों की भारत को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने की नीति कामयाब होने लगी थी. इसी दौरान कानपुर में भयावह दंगा भड़क उठा.25 मार्च का दिन था, गणेश शंकर विद्यार्थी हिंसा के बीच में जाकर उन्होंने हिंदुओ की भीड़ से मुस्लिमों को और मुस्लिमों की भीड़ से हिंदुओं को बचाया. इसी बीच वो दो गुटों के बीच में फंस गए. साथियों ने उनसे निकलने को कहा लेकिन फिर भी वो लोगों को समझाने में लगे रहे. स्थिति ऐसी बनी कि उग्र होती भीड़ हिंसक हो उठी और फिर उस हिंसक भीड़ से गणेश शंकर विद्यार्थी कभी जीवित नहीं लौटे. भीड़ ने धारदार हथियारों से उनके शरीर पर इतने निशान बनाये कि दो दिन बाद जब लाश मिली तो पहचाना मुश्किल था.इस तरह महान क्रांतिकारी निर्भीक पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी में दंगों को रोकने के प्रयास में 40 वर्ष की अल्पायु में शहीद हो गए.

"काश मुझे भी ऐसी मौत मिले"- महात्मा गांधी

लेखक पीयूष बबेले के अनुसार, गांधी जी ने गणेश शंकर विद्यार्थी के बलिदान पर कहा कि उनकी मृत्यु एक ऐसे महान उद्देश्य के लिए हुई है कि ऐसी मृत्यु से उन्हें ईर्ष्या होती है. ऐसी मौत तो बहुत ही फक्र की बात है और काश उन्हें भी ऐसी ही मौत मिले.

यह भी पढ़ें-

Azadi Ka Amrit Mahotsav: आजादी के अमृत महोत्सव पर 75 रुपये का डाक टिकट जारी, दिखी तिरंगे की विकास यात्रा

Independence Day 2022: अमेरिका के बोस्टन शहर में मनाया जाएगा आजादी का अमृत महोत्सव, जानिए कैसे रचा जाएगा इतिहास

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

'कर्नाटक को यूपी वाले रास्ते पर...', गृहमंत्री जी परमेश्वर के बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर क्या बोले पी. चिदंबरम?
'कर्नाटक को यूपी वाले रास्ते पर...', गृहमंत्री जी परमेश्वर के बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर क्या बोले पी. चिदंबरम?
बिहार में सरकार बनते ही जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून पर कर दी बड़ी मांग, CM मान जाएंगे?
बिहार में सरकार बनते ही जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून पर कर दी बड़ी मांग, CM मान जाएंगे?
'सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है', पूर्व सांसद की याचिका पर सुनवाई करते हुए क्यों CJI को कहनी पड़ी यह बात?
'सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है', पूर्व सांसद की याचिका पर सुनवाई करते हुए क्यों CJI को कहनी पड़ी यह बात?
जब बॉलीवुड ने पर्दे पर उतारे असली गैंगस्टर्स, अक्षय खन्ना से विवेक ओबेरॉय तक दिखें दमदार रोल
जब बॉलीवुड ने पर्दे पर उतारे असली गैंगस्टर्स, अक्षय खन्ना से विवेक ओबेरॉय तक दिखें दमदार रोल

वीडियोज

Triumph Thruxton 400 Review | Auto Live #triumph
Royal Enfield Goan Classic 350 Review | Auto Live #royalenfield
Hero Glamour X First Ride Review | Auto Live #herobikes #heroglamour
जानलेवा बॉयफ्रेंड की दिलरूबा !
Toyota Land Cruiser 300 GR-S India review | Auto Live #toyota

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'कर्नाटक को यूपी वाले रास्ते पर...', गृहमंत्री जी परमेश्वर के बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर क्या बोले पी. चिदंबरम?
'कर्नाटक को यूपी वाले रास्ते पर...', गृहमंत्री जी परमेश्वर के बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर क्या बोले पी. चिदंबरम?
बिहार में सरकार बनते ही जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून पर कर दी बड़ी मांग, CM मान जाएंगे?
बिहार में सरकार बनते ही जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून पर कर दी बड़ी मांग, CM मान जाएंगे?
'सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है', पूर्व सांसद की याचिका पर सुनवाई करते हुए क्यों CJI को कहनी पड़ी यह बात?
'सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है', पूर्व सांसद की याचिका पर सुनवाई करते हुए क्यों CJI को कहनी पड़ी यह बात?
जब बॉलीवुड ने पर्दे पर उतारे असली गैंगस्टर्स, अक्षय खन्ना से विवेक ओबेरॉय तक दिखें दमदार रोल
जब बॉलीवुड ने पर्दे पर उतारे असली गैंगस्टर्स, अक्षय खन्ना से विवेक ओबेरॉय तक दिखें दमदार रोल
शुभमन गिल को टी20 टीम में होना चाहिए या नहीं? ये क्या कह गए गुजरात टाइटंस के कोच आशीष नेहरा; जानें क्या बोले
शुभमन गिल को टी20 टीम में होना चाहिए या नहीं? ये क्या कह गए गुजरात टाइटंस के कोच आशीष नेहरा; जानें क्या बोले
सुबह उठते ही सिर में होता है तेज दर्द, एक्सपर्ट से जानें इसका कारण
सुबह उठते ही सिर में होता है तेज दर्द, एक्सपर्ट से जानें इसका कारण
फर्जीवाड़ा कर तो नहीं लिया लाडकी बहिन योजना का लाभ, वापस करना पड़ेगा पैसा; कहीं आपका नाम भी लिस्ट में तो नहीं?
फर्जीवाड़ा कर तो नहीं लिया लाडकी बहिन योजना का लाभ, वापस करना पड़ेगा पैसा; कहीं आपका नाम भी लिस्ट में तो नहीं?
BCCI का अंपायर बनने के लिए कौन-सा कोर्स जरूरी, कम से कम कितनी मिलती है सैलरी?
BCCI का अंपायर बनने के लिए कौन-सा कोर्स जरूरी, कम से कम कितनी मिलती है सैलरी?
Embed widget