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Delhi के इस गांव में 100 साल पुराने बरगद पेड़ को लेकर हुआ भारी विवाद, जानें क्या है पूरा मामला

100 Year old Banyan Tree: 90 साल की एक बुजुर्ग शांति ने कहा कि मैं इस गांव की बेटी हूं और यह गांव में यह पेड़ हमारे बापदादाओं के जमाने से भी पहले का है.

100 Year old Banyan Tree: राजधानी दिल्ली के खामपुर गांव में इन दिनों एक बरगद का पेड़ चर्चा का विषय बना हुआ है. कारण ये है कि जिस जगह पर वह पेड़ स्थित है, वहां पर अब कॉलोनाइजर द्वारा कॉलोनी काटी जा रही है और कुछ दिन पहले किसी ने उस पेड़ को काटने का प्रयास किया है. गांव वालों का कहना है कि यह पेड़ 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है और इस पेड़ से पूरे गांव की आस्था भी जुड़ी हुई है. इस पेड़ को चोरी छुपे काटने का प्रयास किया गया और यह प्रयास उसी का हो सकता है, जिसको इस कॉलोनी से फायदा हो. फिलहाल गांव की तरफ से पीसीआर कॉल कर पुलिस में एक सूचना दी गई है और गांव वालों का कहना है कि वह आने वाले समय में एनजीटी व अन्य संबंधित विभागों में भी इस मामले की शिकायत करेंगे.

खामपुर गाँव में स्थित यह बरगद का पेड़ 100 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है. पूरे गांव की आस्था भी इस पेड़ में है. अब से कुछ दिन पहले की बात करें तो यह पेड़ हरा भरा था और इसकी शाखाएं भी घनी और दूर-दूर तक फैली हुई थी, लेकिन अभी आपको यह पेड़ बगैर पत्तों के नजर आ रहा है. इसके पत्ते और टहनियां पेड़ के चारों ओर नीचे बिखरी पड़ी है. पेड़ के पत्ते भी हरे हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि इन पत्तों और टहनियों को कुछ दिन पहले ही काटा गया है. 

बताया जा रहा है कि पेड़ के नीचे देवता का स्थान भी था, जिसे कुछ समय पहले ही दूसरी जगह पर स्थानांतरित कर दिया गया है. इस पेड़ की सुरक्षा को लेकर अब पूरा गांव निगरानी कर रहा है और गांव वालों का आरोप है कि इस पेड़ को काटने से यहां बसाई जा रही कॉलोनी के कॉलोनाइजर को फायदा हो सकता है. हमने किसी को भी पेड़ काटते देखा नहीं है लेकिन पेड़ कटवाने में उसी का हाथ हो सकता है, जिससे उसे फायदा हो. यहां पर गांव के कुछ लोग भी मौजूद हैं उनसे भी बात करते हैं.

90 साल की एक बुजुर्ग शांति ने कहा कि मैं इस गांव की बेटी हूं और यह गांव में यह पेड़ हमारे बापदादाओं के जमाने से भी पहले का है. मेरी उम्र 90 साल है और बचपन से मैं इस पेड़ के नीचे खेली हूं. यहां पर गांव की औरतें पूजा करती हैं और बच्चे यहां पर खेलते हैं. गर्मियों के समय यहां पर गांव के तमाम लोग इसकी छाया में बैठते हैं. अब किसी ने इस पेड़ को काटने का प्रयास किया है. यह घटना तीन-चार दिन पहले की है. उस दिन मैं अपने मायके आई थी, मेरे भाई की मृत्यु हो गई थी. हम सब उसमें व्यस्त थे और किसी ने पीछे से इस पेड़ को काटने का प्रयास किया. रातो रात पेड़ की मोटी मोटी शाखाओं को हटवा दिया गया. लेकिन इस पेड़ की टहनी और पत्ते अभी भी नीचे गिरे हुए हैं. हम इस पेड़ को बचाने के लिए अपनी जान भी दे देंगे.

घटना 2 से 3 दिन पहले की है

वहीं के एक लोकल अजय कुमार ने कहा कि यह घटना 2 से 3 दिन पहले की है. हमने कल ही इस मामले में पीसीआर कॉल कर पुलिस को सूचना दी है और पीसीआर में पुलिस से शिकायत भी की है. इस पेड़ को काटने का प्रयास किया है. यहां पर कॉलोनी बसाई जा रही है और जहां पर पेड़ है, वहां से कॉलोनी काटने वाले रास्ता निकाल रहे हैं. हम लोगों ने पहले भी उनसे जब बात की थी, तो उन्होंने हमें आश्वासन दिया था कि इस पेड़ को नहीं काटेंगे, लेकिन अब इस पेड़ को काटने का प्रयास किया गया है.

उन्होंने कहा कि  सबसे पहली बात तो यह है कि यह पेड़ हरा भरा था और हरे पेड़ को कोई भी काट नहीं सकता है इस पेड़ को काटने से पहले किसी प्रकार की कोई अप्रूवल भी नहीं ली गई है सबसे अहम बात यह है कि सिर्फ यह पेड़ की बात नहीं है इस गांव की आस्था की बात है 100 साल से भी अधिक यह पेड़ पुराना है पूरा गांव स्पीड में आस्था रखता है कल ही हमने पीसीआर कॉल कर पुलिस ने इस मामले की शिकायत की है और आने वाले समय में हम एनजीटी आदि में भी इसकी शिकायत करेंगे.

दूसरे पक्ष से की बातचीत

खामपुर गांव में पेड़ को लेकर चल रहे विवाद के पीछे दूसरे पक्ष को जानने के लिए हम उस ऑफिस पर आए हैं, जो कॉलोनाइजर का बताया जाता है और जहां पर उसके एजेंट बैठते हैं. इस ऑफिस का शटर खुला हुआ है लेकिन जो दरवाजा है, वह लॉक है. अंदर कोई मौजूद नहीं है और न ही यहां पर कोई फोन नंबर है, जिससे हम किसी तरीके से कॉलोनाइजर तक पहुंच सके. गांव वाले भी कॉलोनाइजर के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं. इस बीच हमें एक एजेंट का नंबर मिला है. ABP ने उससे फोन पर बात करके इस पूरे मसले का कारण जानने की कोशिश की.

मामले की जांच जारी

एजेंट नरेश ने फोन पर यह दावा किया कि यह पेड़ उसने नहीं कटवाया है. उसने कहा कि न ही मैं जानता कि यह पेड़ किसने कटवाया होगा. उसने फोन पर बात करते हुए कहा कि पेड़ कटा नहीं है, पेड़ के पत्ते झड़ गए हैं. जब फोन पर बात करते हुए नरेश मान को बताया गया कि पेड़ के पत्ते ही नहीं बल्कि टेहनिया भी नीचे गिरी हुई हैं, जो अपने आप नहीं गिर सकती हैं, तो उसने उस पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया. उसका कहना है कि पेड़ के काटने के पीछे उसका हाथ नहीं है और वह इस कॉलोनी में बस प्लॉट दिखाता है और कॉलोनाइजर के बारे में भी नरेश ने कोई जानकारी नहीं दी. वहीं इस पूरे मामले में पुलिस ने इतना ही कहा है कि पीसीआर कॉल मिली थी और फिलहाल इस मामले की जांच की जा रही है.

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