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ABP न्यूज़ से बोले PM के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, 'कोरोना से डरना नहीं, तैयारी के साथ काम पर लौटना है'

एबीपी न्यूज़ से बातचीत में प्रोफेसर राघवन ने आरोग्य सेतु एप इस्तेमाल करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि इस वायरस की लड़ाई में आरोग्य सेतु एप आक्रामक हथियार है. इसके साथ ही उन्होंने फेस पर मास्क लगाने और साफ-सफाई पर ध्यान देने की सलाह दी.

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 24942 हो गए हैं और अब तक 779 लोगों की मौत हो चुकी है. वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया है. ये वायरस देश और दुनिया के लिए एक बड़ी वैज्ञानिक चुनौती भी है. इस चुनौती से भारत के वैज्ञानिक कैसे लड़ रहे हैं और कितने तैयार हैं, इस बारे में प्रधानमनंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष वैज्ञानिक सलाहकार और प्रख्यात माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर के विजय राघवन ने एबीपी न्यूज़ के एसोसिएट एडिटर प्रणय उपाध्याय से बातचीत की.

सवाल- कोरोना से लड़ाई में भारत के वैज्ञानिक किस तरह मुकाबला कर रहे हैं?

जवाब- यह बीमारी देश और दुनिया के लिए एक चुनौती तो हैं ही. मगर यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इस वायरस के बारे में औऱ इसके फैलाव के बारे में हम काफी जानते हैं. उस जानकारी के कारण हम जरा जल्दी आगे जा सकते हैं. वो जानकारी क्या है? हमें मालूम है कि यह वायरस चमगादड़ से आए, पेंगोलिन को संक्रमित किया और फिर इंसानों में आई. यह जानकारी हमें ऐसे मिली कि हम इस वायरस का जेनेटिक स्वीक्वेंस इंसान में देख सकते हैं, पेंगोलिन में देख सकते हैं और चमगादड़ में देख सकतें हैं. यह देखते हैं कि धीरे-धीरे यह फैला. एक मार्केट में पहुंचा और फिर आगे बढ़ा. इस तरह की जानकारी बहुत फायदेमंद है क्योंकि इससे हमें वायरस की पहचान करने, उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाने और वैक्सीन तैयार करने या उपचार करने में मदद मिलती है. इससे हमें पता चलता है कि वायरस हमारे शरीर में कैसे दाखिल होता है और कैसे फैलता है?

अभी हमारी चुनौती है कि वायरस के खिलाफ उपचार के दो महत्वपूर्ण हथियार हो सकते हैं. ये हैं दवाई या टीका. वायरस चूंकि अपने विस्तार के लिए शरीर की कोशिकाओं का ही इस्तेमाल करता है और ऐसे में संभव है कि दवाई का नुकसान वायरस के साथ-साथ शरीर को भी हो. इसलिए ऐसी दवा बनानी होती है जो वायरस को ज्यादा नुकसान करे और शरीर के तंत्र को कम नुकसान करे. इसके अलावा एक चुनौती यह भी है कि वायरस बहुत तेजी से फैलता है. ऐसे में इन्फेंशन के शुरुआती स्टेज में तो दवाई से उसे कम करना संभव है. मगर, देर होने पर यह प्रभावी नहीं होती. यह चुनौती लगभग हर वायरल बीमारी के खिलाफ दवाई का है. इसके मुकाबले वैक्सीन को बनाने में जरा समय लगता है लेकिन वायरस के खिलाफ यह बहुत प्रभावी है. दुनिया में करीब 90 कंपनियां इस वक्त वैक्सीन बनाने में जुटी हैं. दवाई और वैक्सीन दोनों को तैयार करने में भारत की कंपनियां शामिल हैं और काम कर रही हैं.

सवाल- भारत ने कोरोना महामारी से मुकाबले में लॉकडाउन की राह अपनाई. मगर 25 मार्च को जिस समय देशव्यापी लॉकडाउन शुरु हुआ तब देश में करीब 600 मामले थे और अब यह आंकडा 20 हजार के पार हो चुका है. एक माह के लॉकडाउन को कैसे आंकते हैं?

जवाब- यह वायरल संक्रमण कैसे फैलता है, यह हवा या पानी से नहीं बल्कि एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को पहुंचता है. ऐसे में यदि फिजिकल डिस्टेंस हो, लोग मास्क पहनें और हाइजीन का ध्यान रखें तो संक्रमण के ग्राफ पर काफी हद तक ब्रेक लगाया जा सकता है. लॉकडाउन ने यही लाभ दिया कि फेस मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई पर अधिक ध्यान देने के कारण कोरोना संक्रमण का ग्राफ उस तेजी से आगे नहीं बढ़ा जैसे जा सकता था.

सवाल- तो क्या यह माना जाए कि लॉकडाउन इन तैयारियों को मुकम्मल करने के लिए समय जुटाने का एक तरीका भर था?

जवाब- समय लिया जाता है ताकि महत्वपूर्ण तैयारियां की जा सकें. ताकि यह काम आएं. वायरस तो आबादी के बीच है. जब हम लॉकडाउन को हटाएं या सोशल डिस्टेंसिंग कम करें तो फिर से इसका फैलाव होगा. यह नहीं है कि वायरस खत्म हो गया है. वायरस को निकालने के लिए तो ड्रग या वैक्सीन चाहिए. मगर उसमें वक्त लगेगा. इस दौरान यह जरूरी है कि हम कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग करें. इसमें आरोग्य सेतु जैसे एप उपयोगी साबित होते हैं.

सवाल- आरोग्य सेतु पर सरकार इन दिनों खासा जोर दे रही है. इससे कैसे बचाव होता है?

जबाब- आरोग्य सेतु एप एक सेल्फ असेसमेंट का तरीका है. इसमें आप अपनी डायबीटीज और हायपरटेंशन जैसी समस्याओं और उम्र आदि की जानकारी के सहारे पता लगा सकते हैं कि आपके लिए कितना खतरा हो सकता है. साथ ही इस एप के जरिए पता लगता है कि क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आए जो बाद में पॉजिटिव हुआ. इस रोग की एक चुनौती यह भी है कि बिना किसी लक्षण वाले लोग भी बीमारी को फैला सकते हैं. ऐसे में यदि कोई व्यक्ति बाद में कोविड- 19 पॉजिटिव होता है तो उनके कॉन्टेक्ट को ये बताना बहुत जरूरी है कि आप जरा ध्यान दें. इसमें हम जितने लोग शामिल होंगे उससे हमें एक तरीके की डिजिटल इम्यूनिटी मिलेगी. वैक्सीन की तरह ही इस वक्त यह इम्यूनिटी जरूरी है. यह ऐप आपको बताएगा कि आप किसी रेड एरिया या पिंक एरिया में तो नहीं है. टेस्टिंग और ट्रैकिंग एक आक्रामक तरीका है. इस वायरस से लड़ाई है आरोग्य सेतु एक आक्रामक हथियार है. जबकि हाथधोना, फेस मास्क आदि का इस्तेमाल एक रक्षात्मक उपाय है.

सवाल- यदि लॉक डाउन हटाया जाता है या उसमें अधिक रियायत दी जाती है तो भी क्या आरोग्य सेतु से लोगों को पता लगता रहेगा कि वो कहीं किसी संक्रमित व्यक्ति या इलाके के करीब तो नहीं है? क्या इससे सामान्य कामकाजी जीवन में लौटने में मदद मिलेगी?

जवाब- आरोग्य सेतु एक कारगर उपाय है. मानिए कि आप किसी रेलवे स्टेशन पर हैं, यदि वहां मौजूद लोगों में से कोई पॉजिटिव होता है तो उन्हें संदेश आएगा कि आप जरा सावधान रहें और चेक करें. कहीं आपको कोई परेशानी तो नही है. कोई लक्षण नहीं है तो भी आप खुद को अलग कर सकते हैं. इसीलिए हम कह रहे हैं कि आरोग्य सेतु को सब इस्तेमाल करें.

सवाल- वैक्सीन और दवाई के मोर्चे पर हम कितना आगे बढ़े हैं? टीका आने की उम्मीद कब तक करना चाहिए?

जवाब- टीका आने में 8-12 महीने का वक्त लगेगा. अस्सी से ज्यादा कंपनियां इस काम में लगी हैं. दुनिया के वैक्सीन निर्माता दुनिया में जाने माने हैं. दुनिया में बच्चों को दिए जाने वाले तीन में से दो वैक्सीन भारत में बनाए जाते हैं. दुनिया की अन्य कंपनियों के साथ भारत की कंपनियां सहयोग कर रही हैं और उम्मीद है कि वैक्सीन आ जानी चाहिए.

हालांकि यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अभी हमें पता नहीं है कि वैक्सीन कैसी होगी, कितना कारगर होगी, किस तरह उपलब्ध होगी. इस बारे में स्पष्टता अभी आनी है. मगर तब तक जरूरी है कि हम स्वच्छता पर ध्यान दें. फेस मास्क का इस्तेमाल करें और आरोग्य सेतु जैसे साधनों का उपयोग करें. ताकि हम अपने कामकाज पर लौट सकें.

सवाल- मौजूदा लॉकडाउन की मियाद 3 मई को पूरी हो रही है. इसके बाद सरकार जो भी फैसला करे उसके मद्देनजर आम लोगों को आपकी क्या सलाह होगी?

जवाब- सबसे ज्यादा ध्यान रखना होगा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है. वैज्ञानिकों की जानकारी कोरोना वायरस को लेकर दिन-ब-दिन बढ़ रही है. इसलिए उनकी जानकारी और सावधानी भरे व्यवहार को अपनाने के कारण आपको कोई दिक्कत नहीं होगी. डर के मारे बैठकर किसी जादूई समाधान की अपेक्षा करना ठीक नहीं है. यह न संभव है और न हमारे देश की आदत है. लिहाजा हम अपने बड़े-बूढ़ों का ध्यान रखें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, एहतियात बरतें और काम पर लौटें.

सवाल- आपने लोगों को सामान्य कामकाज पर लौटने और आरोग्य सेतु का अधिक इस्तेमाल करने की सलाह दी. इसमें और क्या फीचर जोड़े जा रहे हैं?

जवाब- यह ऐप न केवल आपकी, आपके परिवार और देश की स्वास्थ्य रक्षा के बारे में है. बल्कि इसमें आपके पास हर थोड़े दिन में स्वास्थ्य संबंधी सलाह भी आएंगे. कौन सा आहार, कौन सा व्यायाम कारगर है और क्या सुरक्षा रखें, इस तरह की तमाम जानकारी इसके जरिए लोगों तक नियमित पहुंचाने की व्यवस्ता आरोग्य सेतु में की गई है.

सवाल- भारत के आम व्यक्ति के मन में सवाल है कि वो क्या पहले जैसी सामान्य जिंदगी में लौट पाएगा और कब?

जवाब- दुनिया काफी बदल चुकी है. यह हमारी जिम्मेदारी है कि कोविड- 19 के बाद की दुनिया में आम आदमी को अपनी नौकरी और सामान्य जिंदगी में लौटने का मौका मिले. मगर हम इस तरह से कामकाज में लौटें कि यदि भविष्य में इस तरह की कोई महामारी आती है तो हम तैयार हों. ऐसी स्थिति में हमारी तैयारी पूरी हो और अपनी स्वास्थ्य जरूरतों के लिए हम आत्मनिर्भर हों. हमारे स्थानीय रोजगार अवसर अधिक हों. एक समान विस्तार के साथ हमारे विभन्न क्षेत्रों का विकास होना चाहिए. इन सारे मुद्दों पर नए सिरे से सोचने औऱ आगे बढ़ने का यह वेकअप कॉल है. लिहाजा इसे देखें तो न केवल हम काम पर वापस जा सकते हैं बल्कि नई दिशा के साथ आगे जा सकते हैं.

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