COVID-19: भारत में संक्रमित मरीजों में इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवा का मेडिकल ट्रायल शुरू
भारत की प्रतिष्ठित काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने एक कंपनी के साथ मिलकर इस ड्रग को तैयार किया है. इसके तीन तरह के क्लीनिकल ट्रायल होंगे. पहला ट्रायल क्रिटिकली इल पेशेंट के लिए है जो शुरू हो चुका है.
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच एक अच्छी और राहत भरी खबर आई है. भारत के तीन अस्पतालों में कोरोना मरीजों की इम्यूनिटी बढ़ाने वाली ड्रग का क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है. एम्स दिल्ली, एम्स भोपाल और पीजीआई चंडीगढ़ में इस ड्रग का क्लीनिकल ट्रायल सीएसआईआर यानी काउंसिल फॉर सायटिंफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने शुरू कर दिया है.
एमडब्ल्यू नाम के ड्रग का ट्रायल कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज के लिए किया जा रहा है. हाल में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इसकी मंजूरी सीएसआईआर को दी थी. यह ड्रग संक्रमित मरीज या उसके संपर्क में आए हाई रिस्क पेशंट को दिया जाएगा जिससे उसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी.
भारत की प्रतिष्ठित काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने एक कंपनी के साथ मिलकर इस ड्रग को तैयार किया है. इसके तीन तरह के क्लीनिकल ट्रायल होंगे. पहला ट्रायल क्रिटिकली इल पेशेंट के लिए है जो शुरू हो चुका है. दूसरा ट्रायल अस्पताल में एडमिट उन लोगों पर होगी जो संक्रमित हैं और वेंटिलेटर पर हैं और इसका तीसरा ट्रायल उन लोगों पर होगा जो पूरी तरह स्वस्थ्य तो हैं लेकिन वह कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए हैं.
सीएसआईआर के डीजी डॉ शेखर मांडे के मुताबिक, ''ये ऐसा फॉर्मूलेशन है जिसके बारे में हम पहले ही बता चुके हैं. ये स्पेसिस की बीमारी में काम आता है इसलिए हमने सोचा कि इसे कोविड-19 के मरीजों पर किया जाए तो हो सकता है कि इसका लाभ हो."
सीएसआईआर के डीजी डॉ शेखर ने दवा किया है कि यह इंसान के शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाती है. इससे शरीर किसी भी इंफेक्शन से लड़ने के लिए अपने आप में ही सक्षम हो जाता है. हमारी बॉडी में जो पीएच सेल मौजूद हैं उनको यह बढ़ावा देता है और फिर th1 वायरल से फाइट करके वायरल को बॉडी से निकाल लेता है.
एबीपी न्यूज ने बात करते हुए सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर मांडे ने बताया की इस दवा की खोज सेप्सिस जैसी बीमारी के लिए हुए था. इसके बाद इस बीमारी के लिए कैडिला फारामसीयूटकल्स और सीएसआईआर ने मिलकर एक दवा तैयार की. इसके बाद उनका एक ट्रायल हुआ जिसमें पता चला कि इस दवा से मोड़ालिटी रेट 50% तक घटती है. इस दवा के असर के बाद सीएसआईआर ने सोचा की इस दवा का प्रयोग कोरोना में भी किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें भी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है. इसलिए सीएसआईआर ने इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल की परमिशन मांगी थी जिसकी इजाज़त मिल गई है. इस ट्राइल के बाद ये पता चलेगा की यह कोरोना पर इफेक्टिव है या नहीं. फिलहाल अभी तक 50 मरीजों पर इसका ट्रायल किया जा रहा है. वहीं सीएसआईआर को इसके पॉजिटिव नतीजे आने की उम्मीद है.