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अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की राह नहीं होगी आसान, सामने होंगी ये चुनौतियां
बीजेपी पहले ही राहुल की छवि नॉन सीरियस लीडर के तौर पर पेश करती रही है. राहुल के सामने इस छवि को तोड़ने के साथ ही विरोधियों को मात देने की चुनौती है.
नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करेंगे. राहुल के निर्विरोध अध्यक्ष बनने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है. लेकिन अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की राह आसान नहीं रहने वाली. अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए राहुल गांधी को कई चुनौतियां से पार पाना होगा.
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1. गुजरात और हिमाचल चुनाव राहुल की पहली परीक्षा
कांग्रेस अध्यक्ष बनते ही राहुल गांधी के सामने गुजरात और हिमाचल के चुनाव के रिजल्ट होंगे. गुजरात में पांच दिनों बाद पहले चरण में मतदान होगा. इस चुनाव में मोदी और बीजेपी के खिलाफ राहुल गांधी ने ही प्रचार की कमान संभाल रखी है. ऐसे में अगर कांग्रेस को बढ़त हासिल होती है तो ये राहुल के लिए शुभ संकेत होंगे, लेकिन नतीजों में पिछड़ने पर राहुल की परेशानी बढ़ सकती है.
2. राहुल के सामने संगठन को दोबारा खड़ा करने की चुनौती
राहुल गांधी ऐसे वक्त पर कांग्रेस की कमान संभालने जा रहे हैं जब पार्टी सिमटकर सिर्फ छह राज्यों तक रह गयी है. ऐसे में संगठन को दोबारा खड़ा करने की जिम्मादारी राहुल के कंधों पर होगी. इसके साथ ही बीजेपी को मात देने के लिए राहुल को दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन की संभावनाएं भी तलाशनी होंगी.
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3. अगले साल आठ बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव
संगठन पर पकड़ बनाने के साथ अगले ही साल से राहुल की अगुवाई की पार्टी की परीक्षा शुरू हो जाएगी. दरअसल अगले साल देश के आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक जैसे बड़े राज्य शामिल हैं. इन चुनावों में राहुल गांधी के नेतृत्व की परीक्षा होनी लाजमी है.
4. अध्यक्ष बनने के बाद राहुल पर तेज हो सकते हैं हमले
इन राज्यों में चुनावों के नतीजों के आधार पर कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव का खाका भी तैयार करेगी, ताकि बीजेपी को दोबारा में सत्ता में आने से रोका जा सके. उधर, कांग्रेस की कमान संभालने के बाद बीजेपी का राहुल पर हमला तेज होने की उम्मीद है.
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5. राहुल को नॉन सीरियस लीडर के तौर पर पेश करती है बीजेपी
बीजेपी पहले ही राहुल की छवि नॉन सीरियस लीडर के तौर पर पेश करती रही है. राहुल के सामने इस छवि को तोड़ने के साथ ही विरोधियों को मात देने की चुनौती है.
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डॉ. अमोल शिंदेकंसल्टेंट, गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी एंड हेपटोलॉजी
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