Bulldozer Action in UP: बुलडोजर की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'सबकुछ निष्पक्ष होना चाहिये'
Supreme Court: बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबकुछ निष्पक्ष होना चाहिये. हम अधिकारियों से कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने की आशा करते हैं.
Bulldozer Action in UP: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) और उसके अधिकारियों को उन याचिकाओं पर तीन दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया, जिनमें आरोप लगाया गया है कि पिछले सप्ताह राज्य में हुई हिंसा के आरोपियों के घरों को अवैध रूप से गिराया गया है.
अदालत ने कहा कि 'सबकुछ निष्पक्ष होना चाहिये' और अधिकारियों को कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना चाहिये. जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि नागरिकों में यह भावना होनी चाहिए कि देश में कानून का शासन है. मामले में अगली सुनवाई मंगलवार को होगी. पीठ ने कहा, ''सबकुछ निष्पक्ष होना चाहिये. हम अधिकारियों से कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने की आशा करते हैं.''
सरकार की दलील
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कानपुर व प्रयागराज नगर अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया गया है और एक मामले में तो अगस्त 2020 में विध्वंस का नोटिस दिया गया था. मेहता ने कहा कि कोई भी पीड़ित पक्ष अदालत के समक्ष पेश नहीं हुआ है, बल्कि एक मुस्लिम निकाय जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अदालत का रुख करके यह आदेश देने की अपील की है कि विध्वंस नहीं होना चाहिये.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं सी.यू सिंह, हुजेफा अहमदी और नित्य राम कृष्णन ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे अधिकारियों की तरफ से बयान जारी किये जा रहे हैं. और कथित दंगा आरोपियों को घर खाली करने का मौका दिये बगैर विध्वंस की कार्रवाई की जा रही है.
शीर्ष अदालत (Supreme Court) जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema e Hind) की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) को यह निर्देश देने की अपील की गई है कि राज्य में हाल में हुई हिंसा के कथित आरोपियों की संपत्तियों को न ढहाया जाए.
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