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बार्ज P-305 हादसा मामला: एक महीने बाद भी लापता परिजनों के लिए भटक रहे हैं पीड़ित परिवार के सदस्य
शिवकुमार 26 मई से मुंबई में अपने भाई के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं. उनका कहना है कि ओएनजीसी, मैथ्यूज कंपनी और जिम्मेदार अधिकारियों से उचित और सही जानकारी नहीं मिलने की वजह से उनके और उनके परिवार के हालत प्रतिदिन खराब होती जा रही है.
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मुंबई: अरब सागर में आए चक्रवाती तूफान 'ताऊते' को गुजरे लगभग 1 महीने का वक्त हो गया है. इस चक्रवाती तूफान की चपेट में आए बार्ज पप्पा 305 हादसे और टग बोट वरप्रदा हादसे में 86 लोगों की मौत हुई है. इंडियन नेवी , कोस्ट गार्ड और समुद्री किनारों से स्थानीय पुलिस ने कुल 86 शव बरामद किए हैं. इस हादसे के लगभग 1 महीने का वक्त गुजर जाने के बाद भी कई पीड़ित परिवार ऐसे हैं जो अपने परिजनों की तलाश में आज भी मुंबई में भटक रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के रहने वाले शिवकुमार मिश्रा बार्ज P- 305 पर बतौर सुपरवाइजर काम कर रहे थे. शिवकुमार मिश्रा 6 महीने से इस बार्ज P-305 पर तैनात थे. शिवकुमार 2-4 दिन और काम करने के बाद छुट्टी पर अपने गांव जाने वाले थे. हादसे की 1 महीने बीत जाने के बाद भी शिवकुमार मिश्रा के परिजन मुंबई में दर-दर भटक रहे हैं.
शिवकुमार मिश्रा के 75 साल के पिता बच्चा मिश्रा कुशीनगर से पहली बार मुंबई आए हैं. बच्चा मिश्रा ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह जिंदगी में कभी मुंबई आएंगे तो अपने बेटे के शव की पहचान के लिए कदम रखेंगे. बच्चा मिश्रा का कहना है कि उनकी तबीयत खराब रहती है ऐसे पर उनकी बात भी 16 मई को नहीं हो पाई थी. बच्चा मिश्रा 13 जून को मुंबई पहुंचे हैं. उन्होंने अपना ब्लड सैंपल दिया है.
शिवकुमार मिश्रा के भाई रविप्रकाश मिश्रा का कहना है कि 16 मई की शाम को वीडियो कॉलिंग पर आखिरी बार उनके भाई से बातचीत हुई थी. वीडियो कॉलिंग पर शिवकुमार ने परिवार के सभी सदस्यों से बातचीत की थी और यह भी कहा था कि तूफान की वजह से नेटवर्क में दिक्कत हो सकती है तो अगले कुछ दिनों में बातचीत नहीं हो पाएगी.
यहां तक कि 17 मई की सुबह भी शिवकुमार ने वीडियो कॉलिंग करने का प्रयास किया था, लेकिन नेटवर्क खराब होने की वजह से परिवार से बातचीत नहीं हो पाई. 19 तारीख को परिवार को सूचना मिली कि अरब सागर में बार्ज हादसे का शिकार हो गया जिस पर शिवकुमार काम कर रहे थे.
रविप्रकाश मिश्रा 26 मई से मुंबई में अपने भाई के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं. उनका कहना है कि ओएनजीसी, मैथ्यूज कंपनी और जिम्मेदार अधिकारियों से उचित और सही जानकारी नहीं मिलने की वजह से उनके और उनके परिवार के हालत प्रतिदिन खराब होती जा रही है.
शिवकुमार अपने घर में अकेले कमाने वाले थे. घर में बीमार पिता बच्चा मिश्रा के अलावा शिवकुमार की पत्नी, 12वीं में पढ़ने वाला एक बेटा, ग्रेजुएशन की पढाई कर रही एक बेटी है.
शिवकुमार के भाई रविप्रकाश गांव में खेती देखते हैं. परिवार के 8 लोगों का पेट पाल रहे शिवकुमार की कोई खबर नहीं मिलने से परिवार 1 महीने से सदमे में है.
येलोगेट पुलिस थाने से मिली जानकारी के मुताबिक 7 शव ऐसे हैं जिनकी पहचान अभी तक नहीं हो सकी है. कई पीड़ित परिवार अपने परिजनों के लिए डीएनए जांच करा रहे हैं. जेजे अस्पताल द्वारा इन परिजनों के ब्लड सैंपल लेकर डीएनए जांच कराई जा रही है. हालांकि एक महीने बाद भी इन परिजनों को उनके लापता हुए सदस्य की कोई सुराग नहीं मिल रही है.
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