Anandi Bai Joshi Birth Anniversary: देश की पहली महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी की कहानी जानें
Anandi Bai Joshi Birth Anniversary: आनंदीबाई जोशी देश की पहली महिला डॉक्टर थीं. वे उस दौर में डॉक्टर बनीं थी जब महिलाओं के लिए पढ़ना-लिखना सपना सरीखा हुआ करता था. लेकिन उस समय में आनंदीबाई ने न केवल पढ़ाई लिखाई की बल्कि विदेश जाकर डॉक्टर की डिग्री भी हासिल की. डॉक्टर बनकर मिसाल कायम करने वाली आनंदी बाई जोशी की कहानी बेहद रोचक है.
आज देश की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की जयंती हैं. सन 1865 में आज ही के दिन आनंदी गोपाल जोशी का जन्म गुआ था. 19वीं सदी में जब देश में लड़कियों और महिलाएं के लिए पढ़ाई लिखाई किसी सपने जैसा हुआ करती थी उस दौर में आनंदी गोपाल ने डॉक्टर बनकर देश को गौरवान्वित किया था. आनंदी गोपाल की कहानी काफी प्रेरणादायक है और उनकी लाइफ पर न सिर्फ फिल्में बन चुकी हैं बल्कि कई उपन्यास व नाटक भी लिखे जा चुके हैं.
9 साल की उम्र में हो गई थी आनंदी की शादी
पुणे के ब्राह्मण परिवार में जन्मी आनंदी जब महज 9 बरस की थी तभी उनकी शादी 25 साल के गोपालराव जोशी से कर दी गई थी. 14 साल की उम्र में आनंदी मां बन चुकी थीं लेकिन 10 दिनों के भीतर ही उनके नवजात बच्चे की मौत हो गई थी. बच्चे को खोने के दर्द ने आनंदी को दुखी करने के साथ ही एक लक्ष्य भी दिया. उन्होंने ठान लिया कि वे एक दिन डॉक्टर बनकर रहेंगी. उनके इस संकल्प को पूरा करने में उनके पति ने भी उनकी पूरी मदद की.
मेडिकल डिग्री लेने के लिए आनंदी विदेश गई थीं
मेडिकल की डिग्री हासिल करने के लिए शादीशुदा आनंदी अमेरिका गई. उस दौर में किसी शादीशुदा महिला का विदेश जाना एक अजूबा ही था. लेकिन तमाम आलोचनाओं से विचलित हुए बिना अपने संकल्प को पूरा करने के लिए आनंदी ने कोलकाता से पानी का जहाज पकड़ा और न्यूयॉर्क जा पहुंची. यहां उन्होंने पेंसिल्वेनिया के महिला मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा कार्यक्रम में एडिमशन लिया. 1886 में आनंदीबाई ने MD की डिग्री हासिल कर ली और इस तरह वे भारत की पहली महिला डॉक्टर बन गई. उसी साल आनंदीबाई भारत लौट आईं. डॉक्टर बन कर देश लौटीं आनंदी का भव्य स्वागत किया गया था. बाद में उन्हें कोल्हापुर रियासत के अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल के महिला वार्ड में प्रभारी चिकित्सक की नियुक्ति मिली.
टीबी की बीमारी से हुई मौत
किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. भारत की पहली महिला डॉक्टर बनकर कीर्तिमान रचने वाली आनंदीबाई अपनी डॉक्टरी की प्रैक्टिस शुरू करतीं उससे पहले ही वे टीबी की बीमारी का शिकार हो गईं. लगातार बीमार रहने के कारण 26 फरवरी 1887 में महज 22 साल की उम्र में आनंदीबाई चल बसीं.
आनंदी बाई पर कई टीवी सीरियल और फिल्में बनाई जा चुकी हैं
आनंदी बाई देश और दुनिया के लिए मिसाल बनीं और उनकी लाइफ पर कैरोलिन वेलस ने 1888 में बायोग्राफी भी लिखी थी. बाद में इस बायोग्राफी पर एक सीरियल भी बनाया गया था जिसे दूरदर्शन पर आनंदी गोपाल के नाम से प्रसारित किया गया था.
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