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अमित शाह की अध्यक्षता में हुआ अहम समझौता, ब्रू-रियांग जनजाति के 34000 लोगों को त्रिपुरा में ही बसाया जाएगा

गौरतलब है कि साल 1997 में जातीय तनाव के कारण करीब 5,000 ब्रू-रियांग परिवारों ने, जिसमें करीब 30,000 व्‍यक्‍ति थे, मिज़ोरम से त्रिपुरा में शरण ली, जिनको वहां कंचनपुर, उत्‍तरी त्रिपुरा में अस्थायी शिविरों में रखा गया.

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आज पूर्वोत्तर राज्य के ब्रू-रियांग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस समझौते के तहत मिजोरम और त्रिपुरा में पिछले 23 साल से चली आ रही ब्रू रियांग समस्या का अंत हो गया. अब ब्रू रियांग जनजाति के लगभग 34000 लोगों को त्रिपुरा में ही बसाया जाएगा. इसके लिए त्रिपुरा सरकार जमीन भी दे रही है. इस समझौते के तहत केंद्र सरकार लगभग 600 करोड़ रुपए की सहायता भी करेगी. समझौते के दौरान मिजोरम और त्रिपुरा के मुख्यमंत्रियों के अलावा ब्रू रियांग जनजाति के प्रतिनिधि केंद्रीय गृह सचिव आदि महत्वपूर्ण लोग मौजूद थे.

इस अवसर पर गृहमंत्री शाह ने बताया की इस नई व्‍यवस्‍था के अंतर्गत विस्‍थापित परिवारों को 40x30 फुट का आवासीय प्‍लॉट दिया जाएगा और उनकी आर्थिक सहायता के लिए प्रत्‍येक परिवार को, पहले समझौते के अनुसार 4 लाख रुपये फिक्स्ड डिपॉज़िट में, दो साल तक 5 हजार रुपये प्रतिमाह नकद सहायता, दो साल तक फ्री राशन और मकान बनाने के लिए 1.5 लाख रुपये दिये जाएंगे. इस नई व्‍यवस्‍था के लिए त्रिपुरा सरकार भूमि की व्‍यवस्‍था करेगी. आज भारत सरकार, त्रिपुरा और मिज़ोरम सरकार और ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों के बीच यह नया समझौता हुआ है, जिसमें करीब 600 करोड़ रुपये की सहायता केंद्र द्वारा दी जाएगी.

अमित शाह ने कहा कि हाल ही में उग्रवादी संगठन NLFT(SD) के 88 हथियारबंध उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण किया गया और उन्हें मुख्यधारा में शामिल किया गया. त्रिपुरा राज्य के लिए ये एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे राज्य की शांति व्यवस्था मे महत्वपूर्ण सुधार हुआ. गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तर पूर्व कि बड़ी समस्याओं को तीव्र गति से हल किया जा रहा है और ब्रू-रियांग समझौता त्रिपुरा के लिए उस दिशा में एक दूसरा महत्वपूर्ण कदम है. गृह मंत्री ने कहा कि शीघ्र ही सम्पूर्ण उत्तर पूर्व में पूर्ण शांति बहाल कर इस क्षेत्र का तीव्र विकास किया जाएगा.

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गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने लंबे समय से हजारों की संख्या में प्रताड़ित व्यक्तियों को पुनः बसाने का स्थायी समाधान निकाल लिया है. इस समझौते के अंतर्गत ब्रू-रियांग को पुनरस्थापित करने का यह मुद्दा त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्‍य सरकारों व ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श कर एक नई व्‍यवस्‍था बनाने का फैसला किया, जिसके अंतर्गत वे सभी ब्रू-रियांग परिवार जो त्रिपुरा में ही बसना चाहते हैं और उनके लिए त्रिपुरा में ही व्‍यवस्‍था करने का फैसला किया है. इन सभी लोगों को राज्य के नागरिकों के सभी अधिकार दिये जाएंगे और वे केंद्र व राज्य सरकारों की सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे. गृह मंत्री ने कहा की इस नए समझौते के बाद ये ब्रू-रियांग परिवार अपना सर्वांगीण विकास करने में समर्थ होंगे. इस नए समझौते को करने के लिए भारत सरकार को त्रिपुरा व मिज़ोरम सरकारों, ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों का पूरा समर्थन मिला है.

गौरतलब है कि साल 1997 में जातीय तनाव के कारण करीब 5,000 ब्रू-रियांग परिवारों ने, जिसमें करीब 30,000 व्‍यक्‍ति थे, मिज़ोरम से त्रिपुरा में शरण ली, जिनको वहां कंचनपुर, उत्‍तरी त्रिपुरा में अस्थायी शिविरों में रखा गया.

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वर्ष 2010 से भारत सरकार लगातार प्रयास करती रही है कि इन ब्रू-रियांग परिवारों को स्थायी रूप से बसाया जाए. वर्ष 2014 तक विभिन्‍न बैचों में 1622 ब्रू-रियांग परिवार मिज़ोरम वापस गए. ब्रू-रियांग विस्‍थापित परिवारों की देखभाल व पुनर्स्‍थापन के लिए भारत सरकार त्रिपुरा व मिज़ोरम सरकारों की सहायता करती रही है.

3 जुलाई, 2018 को भारत सरकार, मिज़ोरम व त्रिपुरा सरकार व ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके बाद ब्रू-रियांग परिवारों को दी जाने वाली सहायता में काफी बढ़ोतरी की गई.  समझौते के बाद साल 2018-19 में 328 परिवार, जिसमें 1369 व्‍यक्‍ति थे, त्रिपुरा से मिज़ोरम इस नए समझौते के तहत वापस गए. अधिकांश ब्रू-रियांग परिवारों की यह मांग थी कि उन्‍हें सुरक्षा की आशंकाओं को ध्‍यान में रखते हुए त्रिपुरा में ही बसा दिया जाए.

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