Asaduddin Owaisi On CAA Implementation: भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 लागू होने के बाद से शुरू हुआ विरोध रुकने का नाम नहीं ले रहा है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और असम के मुख्यंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर हमला बोला है.


असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर कहा, “असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य में आयोजित एनआरसी में सूचीबद्ध 12 लाख हिंदुओं को सीएए के तहत भारतीय नागरिकता दी जाएगी, लेकिन 1.5 लाख मुसलमानों का क्या? लोग कह रहे हैं कि तुरंत कुछ नहीं होने वाला है. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि चीजों को सामने आने में समय लगता है.”


'नहीं देनी चाहिए धर्म के आधार पर नागरिकता'


असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने जिस वक्त ये कहा कि एनपीआर और एनआरसी भी लागू किया जाएगा, तब उन्होंने मेरा नाम लिया. सरकार को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले सभी लोगों को एक ही नजरिये से देखना चाहिए. धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं देनी चाहिए.






अमित शाह ने ओवैसी पर बोला था हमला


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (12 मार्च) को हैदराबाद में सीएए लागू करने को जायज ठहराते हुए एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी नेता राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया कि सीएए लागू होने से देश में अल्पसंख्यकों की नागरिकता छीन ली जाएगी. उन्होंने विपक्षी दलों पर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया था.


ओवैसी ने सीएए को बताया था विभाजनकारी


सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार (12 मार्च) को ये भी कहा था कि सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता है. सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को पांच साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है? उन्होंने कहा कि एनपीआर एनआरसी के साथ सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को टारगेट करना है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है.


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