एक्सप्लोरर

यादों में अहमद फ़राज़: अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें...

Death Anniversary Of Ahmad Faraz: शुक्रवार (25 अगस्त) को उर्दू के मशहूर शायर अहमद फराज की पुण्यतिथी है. 25 अगस्त 2008 को अहमद फ़राज़ दुनिया को अलविदा कह गए थे.

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें...
संगीत के शौकीनों ने ये मशहूर ग़ज़ल ज़रूर सुनी होगी. मेहंदी हसन ने इस ग़ज़ल को या यूं कहें इस ग़ज़ल ने मेहंदी हसन को अमर कर दिया. ज्यादातर लोगों को शायद ये भी लगता होगा कि ये ग़ज़ल मेहंदी हसन की ही लिखी है, लेकिन ऐसा नहीं है. इस ग़ज़ल के बोल लिखे हैं उर्दू के मशहूर शायर अहमद फ़राज़ ने. अहमद फ़राज़ की आज 15वीं पुण्यतिथि है. 25 अगस्त 2008 को अहमद फ़राज़ दुनिया से रुख़्सत हो गए थे. फ़राज़ अपने वक्त के इकलौते ऐसे फनकार थे, जिनकी शायरियों में जितनी मोहब्बत थी, उतना ही इंकलाब भी था. अपनी ग़ज़लों में ये दोनों भाव, वो एक साथ पिरोने में माहिर थे.  

अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
'फ़राज़' अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं

नाम कैसे पड़ 'अहमद फ़राज़ '?

फ़राज़ ने ग़ज़लों को नई शोहरत दिलाई. आम लोगों के बीच ग़ज़ल को किसी ने लोकप्रिय किया तो वो अहमद फ़राज़ ही थे. फ़राज़ का जन्म 12 जनवरी 1931 को पाकिस्तान के कोहाट के एक सम्मानित परिवार में हुआ था. फ़राज़ के नाम के पीछे एक छोटी-सी कहानी है. अहमद फ़राज़ का असली नाम सैयद अहमद शाह था, लेकिन वो शायरी अहमद शाह कोहाटी के नाम से करते थे. फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ उस जमाने के मशहूर शायर हुआ करते थे. फ़राज़ उनकी शख़्सियत, शायरी और उनके विचारों से बहुत प्रभावित थे. फ़ैज़ ने फ़राज़ की शख़्सियत और शायरी पर बहुत असर डाला. जब दोनों एक-दूसरे के संपर्क में आए तो फ़ैज़ ने फ़राज़ को नाम बदलने का मशवरा दिया. फ़ैज़ की बात मानकर उन्होंने अपना नाम अहमद फ़राज़ रख लिया.

भले दिनों की बात है
भली सी एक शक्ल थी
न ये कि हुस्न-ए-ताम हो
न देखने में आम सी
न ये कि वो चले तो कहकशां सी रहगुज़र लगे  
मगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे

उर्दू और फ़राज़

वैसे तो फ़राज़ की मातृभाषा पश्तो थी, लेकिन वो शायरियां उर्दू में किया करते थे. एक इंटरव्यू में फ़राज़ ने इसकी वजह भी बताई थी. फ़राज़ ने बताया कि उनके जमाने में साहित्य में पश्तों का प्रचलन उतना नहीं था, जितना कि उर्दू का था. फ़राज़ को उर्दू पढ़ने-लिखने का भी काफी शौक था, इसीलिए उन्होंने यही जबान अपने अदब और शायरी में भी अपना ली. फ़राज़ ने पेशावर के एडवर्ड कालेज से फ़ारसी और उर्दू में एम.ए. की डिग्री भी हासिल की थी.

हम लोग मोहब्बत वाले हैं
तुम ख़ंजर क्यूं लहराते हो
इस शहर में नग़्मे बहने दो
बस्ती में हमें भी रहने दो...
जब शहर खंडर बन जाएगा
फिर किस पर संग उठाओगे
अपने चेहरे आईनों में
जब देखोगे डर जाओगे

जब फ़राज़ गए जेल और छोड़ना पड़ा देश

पेशावर में रेडियो पाकिस्तान में स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर करियर शुरू करने वाले फ़राज़ को आप पढ़ेंगे तो लगेगा कि वे एक रोमांटिक शायर थे, लेकिन हकीकत थोड़ी अलग है. मोहब्बत के ठीक बाद उनका सबसे पसंदीदा विषय- देशप्रेम और हिजरत रहा है. उन्होंने ऐसी ग़ज़ल, ऐसी शायरियां लिखीं कि उन्हें जेल तक जाना पड़ा. फ़राज़ हुकूमत की ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाने में कभी हिचकिचाए नहीं. जनरल जियाउल-हक की हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें जेल में डाल दिया गया. फ़राज़ पर अत्याचार शुरू हो गए. वो कट्टरपंथियों के निशाने पर भी आ गए.

ये रसूलों की किताबें ताक़ पर रख दो फ़राज़,
नफरतों के ये सहीफे उम्र भर देखेगा कौन

इसी शेर की वजह से उन्हें देश छोड़कर 6 साल तक कनाडा और युरोप में पनाह लेना पड़ा.

मजरूह सुल्तानपुरी ने फ़राज़ के बारे में एक बार लिखा कि, 'फ़राज़ अपने वतन के मज़लूमों के साथी हैं. उन्हीं की तरह तड़पते हैं, मगर रोते नहीं. बल्कि उन जंजीरों को तोड़ते और बिखेरते नजर आते हैं जो उनके माशरे (समाज) के जिस्म (शरीर) को जकड़े हुए हैं. उनका कलाम न केवल ऊंचे दर्जे का है बल्कि एक शोला है, जो दिल से ज़बान तक लपकता हुआ मालूम होता है.'

भारत और फ़राज़

फ़राज़ पाकिस्तानी थे, लेकिन जब शायरी और ग़ज़ल की बात आती है तो वो पूरी दुनिया के थे. भारत में तो फ़राज़ को खास मोहब्बत मिली और अब भी मिलती है. हिंद-पाक के मुशायरों में जिस तरह से फ़राज़ को सुना गया, वैसा शायद ही किसी और के लिए कहा जा सकता है. जब वो जिंदा थे तो भारत के हर बड़े मुशायरे में उनकी जरूरत समझी जाती थी. अहमद फ़राज़ एक बार भारत आए थे तो एक मुशायरे में उन्होंने दोनों देशों की शांति के नाम पर 'दोस्ती का हाथ' नज्म सुनाई थी.. जिसकी खूब तारीफ हुई.

गुज़र गए कई मौसम कई रुतें बदलीं
उदास तुम भी हो यारो उदास हम भी हैं
फ़क़त तुम्हीं को नहीं रंज-ए-चाक-दामानी
कि सच कहें तो दरीदा-लिबास हम भी हैं...

तुम्हारे देस में आया हूं दोस्तो अब के
न साज़-ओ-नग़्मा की महफ़िल न शाइ’री के लिए
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूं दोस्ती के लिए

पाकिस्तानी हुकूमत ने फ़राज़ पर किए अत्याचार

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा..

यूं भारत में तो फ़राज़ को बहुत मोहब्बत मिली, लेकिन जिंदगी के शुरुआती और आखिरी सालों में उनके ही वतन के हुक्मरानों ने उन पर और उनके परिवार पर जुल्म ढाए. एक बार तो पाकिस्तानी हुकूमत ने हद ही कर दी. साल 2004 की बात है जब पाकिस्तानी हुकूमत ने अहमद फ़राज़ को सरकारी मकान से बेदख़ल करके उनका सामान सड़क पर रख दिया. इस वाकये के वक्त फ़राज़ पाकिस्तान में नहीं थे, लेकिन उनका परिवार वहीं था. फ़राज़ ने कहा कि ये भौंडे तरीक़े से की गई ज़्यादती है...मुझे फ़ोन पर ख़बर मिली कि पुलिस आई थी और उसने सामान निकालकर सड़क पर रख दिया, उन्होंने दरवाज़े तोड़ दिए, घर में कोई आदमी नहीं था, मेरी पत्नी बेचारी अकेले क्या करती?

मोहब्बत और फ़राज़

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ..

स्वभाव से इंकलाबी रहे फ़राज़ की शायरियों में इश्क और बेवफाई का कॉकटेल है. रघुपति सहाय फ़िराक़ ने अहमद फ़राज़ के लिए कहा था, अहमद फ़राज़ की शायरी में उनकी आवाज़ एक नई दिशा की पहचान है ,जिसमें सौन्दर्यबोध और आह्लाद की दिलकश सरसराहटें महसूस की जा सकती हैं."

भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब
कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है
'फ़राज़' इश्क़ की दुनिया तो ख़ूब-सूरत थी
ये किस ने फ़ित्ना-ए-हिज्र-ओ-विसाल रक्खा है

सिर्फ इश्क ही नहीं फ़राज़ की शायरी, नज्मों और ग़ज़लों में दर्द और सूनापन भी है.

एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूं नहीं देते?
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूं तो मिटा क्यूं नहीं देते?
जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते?
ख़त किसलिए रखे हैं जला क्यों नहीं देते?

फ़राज़ का सम्मान

फ़राज़ की जिंदगी में बहुत उथल-पुथल रही. बावजूद इसके पूरी दुनिया पर वे अपनी छाप छोड़ गए. वैसे तो फ़राज़ को नज्म लिखना ज्यादा पसंद था, लेकिन ग़ज़लों ने उन्हें शोहरत दिलाई. शायद यही वजह भी रही कि उन्होंने ग़ज़लें ही ज्यादा लिखीं. देश-विदेश में फ़राज़ को खूब सराहा गया और खूब सम्मान भी मिले. 1974 में जब पाकिस्तान सरकार ने एकेडमी ऑफ लेटर्स के नाम से देश की सर्वोच्च साहित्य संस्था स्थापित की तो अहमद फ़राज़ उसके पहले डायरेक्टर जनरल बनाए गए. ‘आदमजी अवार्ड’, ‘अबासीन अवार्ड’, ‘फ़िराक़ गोरखपुरी अवार्ड’(भारत), ‘एकेडमी ऑफ़ उर्दू लिट्रेचर अवार्ड’ (कनाडा), ‘टाटा अवार्ड जमशेदनगर’(भारत), ‘अकादमी अदबियात-ए-पाकिस्तान का ‘कमाल-ए-फ़न’ अवार्ड, साहित्य की विशेष सेवा के लिए ‘हिलाल-ए-इम्तियाज़’ जैसे कई सम्मान फ़राज़ को दिए गए.

फ़राज़ को भी इस बात का इल्म था कि उनके काम से उन्हें बहुत शोहरत मिली. तभी उन्होंने लिखा...

और 'फ़राज़' चाहिए कितनी मोहब्बतें तुझे
माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया

नौजवानों के पसंदीदा शायर फ़राज़

अहमद फ़राज़ पर हमेशा नौजवानों और लड़कियों के शायर होने का इल्जाम लगता रहा. अहमद फ़राज़ को चाहने वाले किस जज़्बे और किस शिद्दत से उन्हें चाहते थे इसका अंदाज़ा मशहूर पाकिस्तानी लेखक अहमद फ़ारूक़ मशहदी की यादों में महफ़ूज़ रह गए इस वाकये से लगाया जा सकता है.

'यादों के झुरमुट में एक उजली याद पी टीवी पर नश्र होने वाले एक मुशायरे की है, जिसमें अहमद फ़राज़ ने भी अपना कलाम पेश किया था. इस दौरान जब फ़राज़ अपनी ग़ज़ल पढ़ रहे थे, तभी टीवी के किसी शोख़ कैमरामैन ने अचानक कुछ लड़कियों को फ़ोकस किया, जिनकी आंखों से टप-टप आंसू गिर रहे थे. शायरी पर ऐसा ख़िराज-ए-तहसीन शायद ही किसी और शायर को नसीब हुआ हो.'

आज फ़राज़ हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन उनकी शायरी, उनकी नज्म और उनकी ग़ज़लों में वो आज भी जिंदा है. जब तक इश्क है, बेवफाई है, देशप्रेम है, हिजरत है...तब तक फ़राज़ जिंदा रहेंगे.

ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला है मुझे

दिल धड़कता नहीं टपकता है
कल जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे

हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे

कोहकन हो कि क़ैस हो कि 'फ़राज़'
सब में इक शख़्स ही मिला है मुझे

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

UN से प्रतिबंधित देश पर मुनीर मेहरबान! 400 करोड़ डॉलर की डील, फाइटर जेट सहित कई हथियार देगा PAK
UN से प्रतिबंधित देश पर मुनीर मेहरबान! 400 करोड़ डॉलर की डील, फाइटर जेट सहित कई हथियार देगा PAK
दिल्ली में सेकेंड हैंड कार-बाइक खरीदने के नियम में बड़ा बदलाव, जान लें अपडेट, वरना होगा एक्शन
दिल्ली में सेकेंड हैंड कार-बाइक खरीदने के नियम में बड़ा बदलाव, जान लें अपडेट, वरना होगा एक्शन
दिग्गज क्रिकेटर के घर टूटा दुखों का पहाड़, पिता के निधन पर किया इमोशनल पोस्ट
दिग्गज क्रिकेटर के घर टूटा दुखों का पहाड़, पिता के निधन पर किया इमोशनल पोस्ट
किस देश में हर घंटे हो रही सबसे ज्यादा लोगों की मौत, रिपोर्ट में सामने आए हैरान करने वाले आंकड़े, जानें भारत कौनसे नंबर पर
किस देश में हर घंटे हो रही सबसे ज्यादा लोगों की मौत, रिपोर्ट में सामने आए हैरान करने वाले आंकड़े

वीडियोज

Top News: अभी की बड़ी खबरें | Humayun Kabir | Bangladesh Protest | TMC | UP Winter Session
Aravali Hills: प्रदूषण पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दिया हर सवाल का जवाब| Hills Protest | abp News
Aravali Hills: अरावली विवाद को लेकर जगह-जगह विरोध | Hills Protest | Aravali Protest | abp News
Aravali Hills: राजस्थान के सिरोही में बड़ा प्रदर्शन | Hills Protest | Aravali Protest | abp News
CM Yogi VS Akhilesh Yadav: 'दो नमूने' पर हो गया योगी VS अखिलेश...किसने क्या कहा? | Akhilesh Yadav

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
UN से प्रतिबंधित देश पर मुनीर मेहरबान! 400 करोड़ डॉलर की डील, फाइटर जेट सहित कई हथियार देगा PAK
UN से प्रतिबंधित देश पर मुनीर मेहरबान! 400 करोड़ डॉलर की डील, फाइटर जेट सहित कई हथियार देगा PAK
दिल्ली में सेकेंड हैंड कार-बाइक खरीदने के नियम में बड़ा बदलाव, जान लें अपडेट, वरना होगा एक्शन
दिल्ली में सेकेंड हैंड कार-बाइक खरीदने के नियम में बड़ा बदलाव, जान लें अपडेट, वरना होगा एक्शन
दिग्गज क्रिकेटर के घर टूटा दुखों का पहाड़, पिता के निधन पर किया इमोशनल पोस्ट
दिग्गज क्रिकेटर के घर टूटा दुखों का पहाड़, पिता के निधन पर किया इमोशनल पोस्ट
किस देश में हर घंटे हो रही सबसे ज्यादा लोगों की मौत, रिपोर्ट में सामने आए हैरान करने वाले आंकड़े, जानें भारत कौनसे नंबर पर
किस देश में हर घंटे हो रही सबसे ज्यादा लोगों की मौत, रिपोर्ट में सामने आए हैरान करने वाले आंकड़े
100 करोड़ कमाना आज आम बात है, लेकिन पहली बार ऐसा करने वाला एक्टर कौन था?
100 करोड़ कमाना आज आम बात है, लेकिन पहली बार ऐसा करने वाला एक्टर कौन था?
'हमें मदद मिले तो हम भारत जाना चाहेंगे...', बांग्लादेश में मारे गए दीपू के भाई ने सुनाई दहशत की पूरी कहानी
'हमें मदद मिले तो हम भारत जाना चाहेंगे...', बांग्लादेश में मारे गए दीपू के भाई ने सुनाई दहशत की पूरी कहानी
सांस और दिल की बीमारी तक सीमित नहीं रहा पॉल्यूशन, मां बनने में भी बन रहा बाधा
सांस और दिल की बीमारी तक सीमित नहीं रहा पॉल्यूशन, मां बनने में भी बन रहा बाधा
अमेरिका के 1 लाख पाकिस्तान में हो जाएंगे कितने? जानिए चौंकाने वाला आंकड़ा
अमेरिका के 1 लाख पाकिस्तान में हो जाएंगे कितने? जानिए चौंकाने वाला आंकड़ा
Embed widget