क्या मधुमक्खियों के बिना शहद और गाय के बिना दूध बनाना संभव है? जानिए स्टार्टअप का प्लान
पिछले कुछ वर्षों से लोगों के खानपान की आदतों में जबरदस्त बदलाव आया है. फूड को लेकर नए-नए शोध किए जा रहे हैं. एक कल्पना इस बात पर आधारित है असली मांस और डेयरी के बिना वैकल्पिक प्रोडक्ट की तैयारी. इस डाइट के पालन करनेवालों को वेगन कहते हैं. उसी कड़ी की एक अवधारणा गाय के बिना दूध और मधुमक्खियों के बिना शहद का निर्माण है.
क्या मधुमक्खियों के बिना शहद और गाय के बिना दूध का हासिल करना संभव है? मेलिबायो बार्कले का एक स्टार्टअप है जिसके मुखिया ने हल निकाला है. डार्को मंडिच वेगन हैं यानी न सिर्फ शाकाहारी बल्कि जानवरों से मिलनेवाला दूध या अंडे का भी इस्तेमाल नहीं करते. मेलिबायो मधुमक्खियों के लिए बेहतर भविष्य के विकल्प की तलाश भी कर रही है.
'क्या गाय के बिना दूध और मधुमक्खियों के बिना शहद संभव है?'
डार्को मंडिच कहते हैं, "वेगन होने के साथ मैं वेगन शहद का इस्तेमाल करना चाहता था. इसलिए मैंने असली शहद को मधुमक्खियों की मदद के बिना बनाने का फैसला किया जिससे इंसानों को उसके इस्तेमाल में मदद मिल सके." उनका कहना है जब आप शहद को बनाने की प्रक्रिया पर ध्यान देंगे, तो उसकी शुरुआत मधुमक्खियां फूलों से नेक्टर और पोलेन जमा कर करती हैं और फिर उसे शहद के बुनियादी निर्माण खंड जैसे फ्रूक्टोज और ग्लूकोज में बदलती हैं.
View this post on Instagram
मांस और डेयरी का वैकल्पिक प्रोडक्ट बनाने की हो रही तैयारी
उन्होंने बताया, "हमने लैब में सूक्ष्म जीवों का इस्तेमाल करते हुए प्रक्रिया की नकल बनाया है." पिछले कुछ वर्षों में पौधे से बने मांस और डेयरी जैसे दूध, दही का विकल्प तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. लेकिन फूड की बनावट, स्वाद और इस्तेमाल की आसानी असली मांस या डेयरी की तुलना में आम नहीं हुए हैं. फिलहाल मेलिबायो जैसे स्टार्टअप वेगन प्रोडक्ट्स में खास प्रक्रिया का इस्तेमाल कर ये देख रहे हैं कि क्या ऐसे वैकल्पिक फूड बनाए जा सकते हैं जो असली सामग्री के समान जैविक रूप से मिलते-जुलते हों.
View this post on Instagram
सूक्ष्म जीवों को सही अंदाज में चुनकर संभव है कि अलग प्रोडक्ट जैसे शहद से लेकर अंडे की सफेदी और दूध तक तैयार किया जा सके. लंदन का बेटर डेयरी नाम से स्टार्टअप इस दृष्टिकोण के तहत खमीर फरमेंटेशन के जरिए पनीर और दूध बना रहा है. स्टार्टअप के प्रमुख जेवन नगाराजा कहते हैं, "तकनीक खमीर का इस्तेमाल बतौर तब्दीली प्लेटफॉर्म कर रही है और हम उससे डेयरी में बदल रहे हैं."
मूल रूप से सर्बिया के रहनेवाले डार्को ने यूरोपीय शहद उद्योग में काम करते हुए 8 साल बिताए हैं. सपने को साकार करने के लिए उनका स्टार्टअप बिना मधुक्खियों के शहद पैदा करने में मददगार तकनीक का विकास करने में जुटा है. दुनिया भर में 20 हजार से ज्यादा मधुमक्खियों की प्रजातियां मौजूद हैं. लेकिन शहद की बढ़ती मांग ने मधुमख्यितों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर दिया है.
Britain: क्वीन एलिजाबेथ सेकंड की पोती ने बाथरूम में क्यों दिया बच्चे को जन्म? जानिए वजह
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
ट्रेडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
and tablets