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2047 तक भारत कैसे बनेगा सुपरपावर, अमृत काल के पहले बजट में पेश किया गया खाका

Budget 2023-24: इस बार के बजट में कई ऐसे पहलू शामिल हैं, जिसमें 2047 के भारत की झलक मिलती है. केंद्रीय बजट में आगामी 25 साल में हासिल किए जाने वाले लक्ष्यों का भी बखूबी ध्यान रखा गया है.

2023-24 का बजट नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट था. बजट में ऐसे तो अगले एक साल के आय और खर्च पर ज्यादा ज़ोर रहता है, लेकिन इस बार के केंद्रीय बजट में अगले 25 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था कैसी होगी, इसका भरपूर खाका तैयार किया गया है.

2047 में आजादी के 100 साल पूरे हो जाएंगे और उस वक्त तक भारत विकसित राष्ट्र की पंक्ति में शुमार हो जाएगा, सरकार इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है. अगले 25 साल को भारत के लिए अमृत काल माना गया है. इसी वजह से 2023-24 के बजट को अमृत काल का पहला बजट कहा गया है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट की शुरुआत में स्पष्ट कर दिया कि इस बार का बजट 2047 के भारत के नजरिए को भी समेटे हुए है. इसलिए वे कहतीं हैं कि भारत@100 के लिए खींची गई रूपरेखा पर इस बजट में आगे बढ़ते रहने की उम्मीद की गई है.

अमृत काल के लिए विजन

बजट में अमृत काल यानी अगले 25 साल के लिए विजन को स्पष्ट कर दिया गया है. इस विजन में मजबूत वित्तीय क्षेत्र और पब्लिक फाइनेंस के साथ प्रौद्योगिकी-चालित (technology-driven) और ज्ञान आधारिक अर्थव्यवस्था को शामिल किया गया है, जिसमें जन भागीदारी को अनिवार्य बनाया गया है.

आर्थिक एजेंडा में तीन चीजों पर फोकस

अगले 25 साल के आर्थिक एजेंडे के तहत हर नागरिक ख़ासकर युवा वर्ग को पर्याप्त मौके उपलब्ध कराए जाएंगे. विकास और रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और वृहद आर्थिक स्थिरता (macro-economic stability) को मजबूत किया जाएगा. इन एजेंडों को पूरा करने के लिए महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण, पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहन, पर्यटन की अपार संभावनाओं का उपयोग और हरित विकास को प्राथमिकता देने की बात कही गई है. हरित विकास में ईंधन, ऊर्जा, खेती, मोबिलिटी, भवन और उपस्कर (equipment) को शामिल किया गया है.

2047 के नजरिए से 7 प्राथमिकताएं

इस बार के बजट में 2047 के नजरिए से 7 प्राथमिकताओं का चयन किया गया है.

1. समावेशी विकास (Inclusive Development)
2. अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना (Reaching the last mile)
3. अवसंरचना और निवेश ( Infrastructure and Investment)
4. सक्षमता को सामने लाना (Unleashing the Potential)
5. हरित विकास (Green Growth)
6. युवा शक्ति (Youth Power)
7. वित्तीय क्षेत्र (Financial Sector)

सात प्राथमिकताओं को सप्तर्षि की संज्ञा

बजट में सरकार ने इन सातों प्राथमिकताओं को सप्तर्षि की संज्ञा दी है, जिसका अनुसरण कर भारत अगले 25 साल में विकसित राष्ट्र बन जाएगा. इन प्राथमिकताओं से जाहिर है कि विकसित भारत में हर किसी के उन्नति का ख्याल रखा जाएगा, जिसमें किसान, महिला, युवा, पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांगजन और आर्थिक तौर से कमजोर लोग शामिल हैं. इसके साथ ही हर क्षेत्र के विकास पर भी फोकस रहेगा. समावेशी विकास के तहत कृषि, सहकारिता, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल पर ख़ास ध्यान दिया जाएगा. इन प्राथमिकताओं से साफ है कि सरकार चाहती है कि अगले 25 साल में भारत के विकास मॉडल में कोई भी क्षेत्र पीछे नहीं रह जाएं. चाहे वो अर्थव्यवस्था से जुड़ा कोई सेक्टर हो या फिर सामाजिक-सांस्कृतिक तौर से मायने रखने वाला कोई पहलू हो.

कैपिटल इन्वेस्टमेंट को बढ़ाने पर ज़ोर

दीघकालिक लक्ष्यों को देखते हुए सरकार पूंजीगत निवेश (Capital Investment) बढ़ाने पर ज़ोर दे रही है. इसी नजरिए से इस बार के बजट में लगातार तीसरे साल कैपिटल इन्वेस्टमेंट में काफी वृद्धि की गई है. 33 फीसदी का इजाफा करते हुए इसे 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है. ये जीडीपी का 3.3% होगा. 2019-20 की तुलना में ये तीन गुना ज्यादा है. पूंजीगत निवेश बढ़ाकर सरकार लंबे अवधि के लिए ग्रोथ और रोजगार बढ़ाना चाहती है.

कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ाने के मायने

कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ाकर सरकार बुनियादी ढांचे को भविष्य की जरुरतों के हिसाब से और मजबूत करना चाह रही है. साथ ही इसके जरिए ग्रोथ में भी निरंतरता बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा. यहीं वजह है कि इस बार प्रभावी पूंजीगत व्यय (Effective Capital Expenditure) का बजट 13.7 लाख करोड़ रुपये रखा गया है. ये जीडीपी का 4.5% है. जब सरकार कैपेक्स बढ़ाने पर ज्यादा ज़ोर देती है तो इसका मुख्य लक्ष्य यहीं होता है कि लॉन्ग टर्म के हिसाब से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो.

भविष्य के हिसाब से बुनियादी ढांचे का विकास

सरकार की मंशा है कि जब भारत आजादी के 100 साल पूरे करे, तो उस वक्त उसके पास ठोस बुनियादी ढांचा हो. इसके लिए सरकार अभी से नीतियां बनाने पर फोकस कर रही है. इस नजरिए से सरकार रेलवे, सड़क, शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा में ज्यादा निजी निवेश पर जोर दे रही है. इसके लिए अलग से अवसंरचना वित्त सचिवालय (Infrastructure Finance Secretariat) बनाया गया है, जो ज्यादा निजी निवेश के लिए सभी हितधारकों की सहायता करेगा. ये सारे सेक्टर ऐसे हैं, जिनके विकास के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी निवेश की जरूरत होती है. सरकार ने फैसला किया है कि अमृत काल के दौरान निवेश के नजरिए से बुनियादी ढांचे से जुड़ी मास्टर लिस्ट की समीक्षा एक विशेषज्ञ समिति करेगी. रेलवे के लिए अब तक का सबसे ज्यादा पूंजीगत व्यय का प्रावधान किया गया है. इस बार के बजट में रेलवे के लिए 2.40 लाख रुपये के पूंजीगत खर्च का प्रावधान है. ये 2013-14 की तुलना में 9 गुना है. पोर्ट, कोयला, स्टील, उर्वरक और खाद्यान्न क्षेत्रों के लिए 100 क्रिटिकल ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रकचर प्रोजेक्ट की पहचान की गई है. इन प्रोजेक्ट को 75,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ प्राथमिकता दी जाएगी. इनमें निजी सोर्स से आने वाले 15,000 करोड़ रुपये का निवेश भी शामिल है.

शहरों में बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश

बजट में शहरी अवसंरचना विकास निधि (Urban Infrastructure Development Fund) बनाने की घोषणा की गई है. इसके जरिए टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में बुनियादी ढांचों को दुरुस्त किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि केंद्र सरकार इस मकसद के लिए 10,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष उपलब्ध कराने की कोशिश करेगी.

पर्यावरण के प्रति संवेदनशील जीवन शैली

भारत अपनी विकास यात्रा में पर्यावरण को भी साथ लेकर चलेगा. बजट में इस बात का भी ख्याल रखा गया है. बजट में कहा गया है कि भारत हरित उद्योग और आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए साल 2070 तक पंचामृत और निवल-शून्य कार्बन उत्सर्जन (net-zero carbon emission) की ओर मजबूती से आगे बढ़ रहा है. इसी नजरिए से हाल ही में 19,700 करोड़ रुपये के खर्च के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की गई है. इससे जीवाश्म ईंधनों यानी कोयला, कच्चे तेल और नेचुरल गैस जैसे ईंधनों के आयात पर देश की निर्भरता कम होगी. इस मिशन के जरिए 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT)  का  सालाना ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है. इस बार के बजट में ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम को पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत नोटिफाई करने का एलान किया गया है. इसका मकसद पर्यावरण के प्रति कंपनियों, लोगों और स्थानीय निकायों के व्यवहार में बदलाव लाना है. केमिकल फर्टिलाइजर की जगह वैकल्पिक उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए PM-PRANAM नाम से कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की गई है. इसका पूरा नाम "PM Programme for Restoration, Awareness, Nourishment and Amelioration of Mother Earth" है.

अमृत पीढ़ी के सपने के लिए युवा शक्ति को बढ़ावा 

सरकार का मानना है कि भारत को 2047 तक दुनिया का सुपरपावर बनाने में युवा शक्ति का ही सबसे महत्वपूर्ण योगदान होगा. इसके लिए आने वाले समय में भी बड़े पैमाने पर रोजगान सृजन करने में मददगार और बिजनेस के मौके बनाने वाली आर्थिक नीतियां अपनाई जाएंगी. इस बजट में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 शरू करने की घोषणा की गई. इसके तहत अगले 3 साल में लाखों युवाओं को कौशल प्रदान किया जाएगा. इसके तहत नये युग के हिसाब से पाठ्यक्रमों को शामिल किया जाएगा. अलग-अलग राज्यों में 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर बनाने की भी घोषणा की गई है.

अमृत काल के हिसाब से वित्तीय क्षेत्र में होंगे नियम

बजट में अमृत काल के दौरान वित्तीय क्षेत्र की मजबूती का भी ख़ास ख्याल रखा गया है. इसके लिए कहा गया है कि फाइनेंस सेक्टर रेग्युलेशन को अमृत काल की जरूरतों के हिसाब से सुगम और सरल बनाया जाएगा. सरकार की ओर से आश्वस्त किया गया है कि वित्तीय क्षेत्र के रेग्युलेटर से मौजूदा नियमों की समीक्षा करने को कहा जाएगा. इसके लिए आम लोगों और संबंधित संस्थाओं से सुझाव पर भी रेग्युलेटर विचार करेंगे. बैंकिंग सेक्टर में शासन व्यवस्था और इंवेस्टर प्रोटेक्शन में सुधार लाने का भी वादा किया गया है. इसके लिए संबंधित कानूनों बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट, बैंकिंग कंपनीज एक्ट और आरबीआई एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव भी किया गया है. प्रतिभूति बाजार (securities market) को मजबूत करने के लिए सेबी (SEBI) के अधिकारों को भी बढ़ाने की घोषणा की गई है. इन सारे कदमों से अगले 25 साल में वित्तीय क्षेत्र को ज्यादा पारदर्शी और व्यावहारिक बनाने में मदद मिलेगी

व्‍यक्तिगत आयकर में बड़ी राहत

बजट 2023-24 में व्‍यक्तिगत आयकर पर बड़ी राहत देकर नए भारत के निर्माण में मिडिल क्लास के योगदान को महत्वूपर्ण बताने की कोशिश की गई है. नई कर व्‍यवस्‍था के तहत नए स्लैब घोषित किए गए हैं. स्लैबों की संख्या को 5 कर दिए गए हैं. कर छूट सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई है. नई कर व्‍यवस्‍था के तहत 7 लाख रुपये तक की कुल आय वाले लोगों को कोई आयकर नहीं देना होगा.

अर्थव्यवस्था से जुड़े अन्य आंकड़े

वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुस्ती के बावजूद वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. 2023-24 में कुल प्राप्तियां 27.2 लाख करोड़ रुपये और कुल खर्च 45 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है. नेट टैक्स कलेक्शन के 23.3 लाख करोड़ रहने का अनुमान है और राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. प्रति व्यक्ति आय 9 साल में दोगुनी होकर 1.97 लाख रुपये हो गई है. 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और अब 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में  सदस्यों की संख्या दोगुनी से ज्यादा होकर 27 करोड़ तक पहुंच गई है.

विकसित भारत के लिए मजबूत नींव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमृत काल के पहले बजट को विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के नजरिए से मजबूत नींव बताया है. उन्होंने कहा है कि इसी तरह से हम 2047 में समृद्ध भारत, समर्थ भारत, हर प्रकार से संपन्न भारत बनाकर रहेंगे. 

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