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धरती की सीमा का तो पता है...लेकिन किसी देश की समंदर की सीमा कैसे तय होती है?
See Border: किसी भी देश की समुद्री सीमा को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. जिसे संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानूनी संधि (UNCLOS-1982) के अंतर्गत हुए एक समझौते के आधार पर तय किया जाता है.
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See Border: हर देश की अपनी सीमा होती है जहां तक उस देश का विस्तार होता है. किसी भी देश का अधिकार उसकी सीमाई जमीन तक ही सीमित रहता है. यह तो हुई जमीनी सीमा की बात, लेकिन बहुत से देश ऐसे भी हैं जो समंदर से मिलते हैं. ऐसे में, समंदर पर किस देश का कहां तक अधिकार रहता है यह तय कैसे होता है? आइए आज इसी बारे में जानते हैं...
अंतरराष्ट्रीय समझौते से होता है निर्धारण
सागरों और महासागरों पर देशों के अधिकार तय करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौता हुआ था. इसे संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानूनी संधि (UNCLOS-1982) के अंतर्गत किया गया था. इसी समझौते से समुद्री सीमा से जुड़े नियम, कायदे और कानून भी तय होते हैं. इस नियम का मकसद दो देशों के बीच समुद्री सीमा को लेकर समझौता कराना है.
ऐसे तय होती है समुद्री सीमा
किसी भी देश की समुद्री सीमा को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. पहली होती है आधार सीमा. इसमें उस देश के आसपास के द्वीप शामिल होते हैं. आधार सीमा का विस्तार देश के धरातल से 12 समुद्री मील यानी लगभग 22.22 किलोमीटर होती है. इसके बाद आती है क्षेत्रीय सीमा. यह धरातल से 24 समुद्री मील होती है यानी 44.44 किलोमीटर की दूरी तक होती है. इस क्षेत्र पर उस देश का पूरा अधिकार होता है. अगर दूसरे देश का बोट या प्लेन इस सीमा में बिना परमिशन लिए घुसता है तो उस देश को पूरा अधिकार होता है कि वह बिना पूछताछ के भी उस जहाज को मार गिराए. यहीं से सीमा शुल्क की शुरुआत भी हो जाती है. इसके बाद आता है एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) यानी वो सीमा जिसके अंदर वह देश किसी भी तरह का समुद्री व्यापार कर सकता है. किसी भी देश के मछुआरे सिर्फ इसी सीमा के भीतर रह कर मछली पकड़ सकते हैं. इसकी सीमा 200 समुद्री मील यानी 370 किलोमीटर पर होती है. इसके बाद आता है हाई सी. यह किसी भी देश की सीमा नहीं होती है. इस पर पूरे विश्व के देशों का अधिकार होता है. इसके इस्तेमाल के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में अलग नीतियां बनाई गई हैं.
आइए उदाहरण से समझें
भारत एक प्रायद्वीप देश है यानी इसके तीन तरफ समुद्र है. आइए इसी के उदाहरण से इन सीमाओं को थोड़ा अच्छे से समझते हैं. भारत की तटीय सीमा लगभग 7516.6 किलोमीटर है. भारत के कुल 9 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेश समुद्री सीमा से मिले हुए हैं.
भारतीय नौसेना या कोस्ट गार्ड के पास प्रादेशिक समुद्री सीमा (Territorial Sea Border) तक यानी तट से 22.22 किलोमीटर तक संपूर्ण अधिकार होता है. इसमें घुसपैठ करने पर सेना बिना किसी परमिशन के कड़ी कार्रवाई कर सकती है या फिर चेतावनी देकर वापस जाने को कह सकती है.
इसके बाद 44.44 किलोमीटर वाली समुद्री सीमा में सीमा शुल्क, साफ-सफाई और कारोबार करने का अधिकार भारत के पास है.
इसके बाद 370 किलोमीटर वाली EEZ तक भारत तीन तरह के काम कर सकता है. भारत यहां नए द्वीपों को बनवा सकता है. किसी भी तरह का साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट कर सकता है. इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का पूरा उपयोग केवल भारत ही कर सकता है. भारत की इस सीमा में सभी विदेशी जहाज और सबमरीन घुस सकते हैं, बशर्तें उन्हे इसके लिए इनोसेंट पैसेज (Innocent Passage) का भरोसा दिलाना होता है. यानी वह युद्धपोत, सबमरीन या व्यापारिक जहाज भारत के लिए किसी तरह का खतरा नहीं है. ऐसा सभी देशों के साथ है.
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