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Rahul Gandhi Case: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कैसे वापस मिल सकती है सदस्यता, एक्सपर्ट से जानें क्या बचे हैं कानूनी विकल्प

Rahul Gandhi Case: इस मामले में आगे की पिक्चर 13 अप्रैल को साफ हो जाएगी. ये देखना दिलचस्प होगा कि ये लड़ाई आगे भी जारी रहती है या फिर इसी दिन इस पूरी बहस का अंत हो जाएगा. 

Rahul Gandhi Defamation Case: कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले कई दिनों से राजनीतिक जगत में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. मानहानि मामले में पहले उन्हें दोषी करार दिए जाने, फिर सजा सुनाए जाने और उसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द होने को लेकर जमकर बहस जारी है. इसी बीच राहुल ने गुजरात सेशंस कोर्ट में याचिका दायर की, जहां से उन्हें जमानत दी जा चुकी है और अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होनी है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या राहुल गांधी की संसद सदस्यता वापस मिल सकती है? अगर हां तो कब तक और कैसे ये मुमकिन हो सकता है. आइए समझते हैं...

सबसे पहले तो ये जान लेते हैं कि राहुल गांधी को मिली सजा के मामले में गुजरात सेशंस कोर्ट में क्या हुआ. राहुल गांधी की सजा पर फिलहाल अंतरिम रोक नहीं लगाई गई है. याचिका पर फैसले तक राहुल जेल नहीं जा सकते हैं. यानी गिरफ्तारी से राहुल को राहत दी गई है. बता दें कि 23 मार्च को सूरत की कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी. 

राहुल गांधी को कितनी राहत?
अब सभी के मन में एक सवाल है कि सूरत सेशंस कोर्ट में जाने के बाद राहुल गांधी को कितनी राहत मिली है. इसका कानूनी पहलू जानने के लिए हमने पूर्व एएसजी और वरिष्ठ वकील केसी कौशिक से बात की. बातचीत में उन्होंने कहा, अभी तो ये कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत हुई है. राहुल गांधी के पास बहुत सारे विकल्प बचे हैं. 13 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के दौरान अगर सेशंस कोर्ट कनविक्शन पर स्टे लगाती है तो ये राहुल गांधी की बड़ी जीत होगी. क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें उनकी सदस्यता वापस मिल जाएगी. मेरा मानना है कि ऐसा फैसला आने के तुरंत बाद लोकसभा सचिवालय को वैसी ही तेजी दिखानी चाहिए, जैसी सदस्यता रद्द करने को लेकर दिखाई थी. 

राहुल गांधी के पास क्या हैं कानूनी विकल्प?
जब हमने पूर्व एएसजी केसी कौशिक से ये पूछा कि राहुल गांधी के पास अभी क्या कानूनी विकल्प बचे हैं तो उन्होंने बताया, अभी राहुल ने अपने पहले कानूनी विकल्प का इस्तेमाल किया है. अगर सेशंस कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिलती है तो वो हाईकोर्ट से अपील करेंगे. राहुल गांधी की सजा पर अभी सिर्फ स्टे लगाया गया है, राहुल चाहेंगे कि कोर्ट की तरफ से कनविक्शन पर स्टे लगाया जाए. अगर कनविक्शन पर स्टे लगाया जाता है तो राहुल की सदस्यता वापस आ जाएगी. कुल मिलाकर राहुल गांधी को अगर 13 अप्रैल को राहत नहीं मिलती है तो उसके बाद भी उनके पास काफी ज्यादा कानूनी विकल्प बचते हैं. 

कनविक्शन पर स्टे के बाद क्या होगा?
अब हमने ये तो जान लिया है कि राहुल गांधी के पास कितने विकल्प बचे हैं और कैसे उन्हें राहत मिल सकती है, लेकिन केस दायर करने वाले शख्स के पास भी पूरे कानूनी विकल्प होंगे. यानी अगर गुजरात सेशंस कोर्ट की तरफ से राहुल गांधी के कनविक्शन पर स्टे लगा दिया जाता है तो उनके खिलाफ केस दायर करने वाले पूर्णेश मोदी को भी उसे चुनौती देने का पूरा हक होगा. यानी राहुल गांधी की ही तरह बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी भी हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं. 

फैसले को लेकर भी खूब चर्चा
बता दें कि मानहानि मामले को लेकर आए सूरत कोर्ट के फैसले पर भी खूब चर्चा है. ऐसे मामलों में सजा सुनाए जाने के उदाहरण काफी कम ही देखने को मिलते हैं. मानहानि के मामलों में जुर्माना आदि लगाने के फैसले सुनाए जाते हैं, वहीं दो साल की सजा को लेकर भी बहस हो रही है. कहा जा रहा है कि सदस्यता खत्म होने के लिए दो या उससे अधिक साल की सजा जरूरी होती है, ऐसे में राहुल गांधी को मोदी सरनेम मानहानि मामले में अधिकतम सजा सुनाई गई. जो कि दो साल की है. फिलहाल इस मामले में आगे की पिक्चर 13 अप्रैल को साफ हो जाएगी. ये देखना दिलचस्प होगा कि ये लड़ाई आगे भी जारी रहती है या फिर इसी दिन इस पूरी बहस का अंत हो जाएगा. 

कांग्रेस के लिए मौका-मौका
कांग्रेस की अगर बात करें तो दोनों ही मामलों में पार्टी के लिए ये फायदेमंद साबित होगा. राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने और सदस्यता रद्द होने के फैसले को कांग्रेस पार्टी जमकर भुना रही है. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम ने राहुल गांधी का कद काफी ऊंचा कर दिया है. ऐसे में अगर राहुल को राहत नहीं मिलती है तो कांग्रेस कुछ हफ्ते या महीने इस मुद्दे को जमकर भुना सकती है, वहीं अगर राहुल को राहत मिल जाती है तो कांग्रेस इसे अपनी बड़ी जीत के तौर पर पेश करेगी.

ये भी पढ़ें - जी-20 की बैठकों के बाद कहां तक पहुंचा भारत? दूसरी शेरपा बैठक से मिले ये बड़े संकेत

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