(Source: ECI / CVoter)
सेंसर बोर्ड से छीनेगा सीन काटने का अधिकार, बिल लाने की तैयारी में सरकार
नई दिल्ली: फिल्म उद्योग के लिए ये एक बड़ी राहत की ख़बर हो सकती है. फिल्मों पर कैंची चलाने वाले सेंसर बोर्ड पर अब सरकार अपनी कैंची चला सकती है. सूत्रों से एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक़ सरकार इसी सत्र में 1952 के सिनेमाटोग्राफ क़ानून में बदलाव कर सकती है. क़ानून में बदलाव फिल्म सर्टिफिकेशन में सुधार पर बनी श्याम बेनेगल कमिटी की सिफ़ारिशों के आधार पर किया जाएगा.
कानून में संसोधन कर सेंसर बोर्ड से छीन लिया जाएगा सीन में कांट छांट का अधिकार
क़ानून में संशोधन कर सेंसर बोर्ड से फिल्मों के सीन में कांट छांट करने का अधिकार छीन लिया जाएगा. इसकी जगह बोर्ड के पास केवल फिल्मों की कैटेगरी निर्धारित करने का अधिकार रह जाएगा. मतलब ये कि अगर बोर्ड को फ़िल्म के किसी भाग या सीन से लगता है कि वो फ़िल्म बच्चों के देखने लायक नहीं है तो उस फ़िल्म को ए यानि वयस्क कैटेगरी का प्रमाण पत्र मिलेगा. लेकिन बोर्ड यह नहीं कह पाएगा कि फिल्म के उस सीन को फिल्म से हटा दिया जाए.
बिल को संसद सत्र में पेश किए जाने की संभावना
इसके लिए क़ानून की धारा 4 ( 1 ) में बदलाव किया जाएगा. जिसमें सेंसर बोर्ड को फिल्म में काट छांट करने के अधिकार का प्रावधान है. संशोधन बिल को मंज़ूरी के लिए जल्द ही कैबिनेट के पास लाया जाएगा. कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद बिल को गुरुवार से शुरू हो रहे संसद सत्र में ही पेश किए जाने की संभावना है.
क्या हैं श्याम बेनेगल कमिटी की सिफ़ारिशें
फ़िल्म सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया में सुधार के लिए प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक श्याम बेनेगल की अध्यक्षता में बनी कमिटी ने पिछले साल अप्रैल में अपनी सिफ़ारिशें सरकार को सौंपी थी. कमिटी ने मुख्य रूप से कहा था कि;
1.सेंसर बोर्ड का दायरा फ़िल्मों को प्रमाण पत्र देने की संस्था तक ही सीमित कर दिया जाए.
2. इसके लिए पश्चिमी देशों की तर्ज़ पर फ़िल्मों की नई कैटेगरी यानि श्रेणियां बना दी जाए.
3. जैसे यूए ( अंडर एडल्ट ) कैटेगरी को को दो नए श्रेणियों में बांटा जाए. पहला यूए12+ और दूसरा यूए15+.
4. इसी तरह ए ( एडल्ट ) को भी दो हिस्सों, ए औरएसी ( एडल्ट विथ कॉशन ) में बांटा जाए.
5. जबकि सबको देखने लायक फ़िल्मों की श्रेणी के लिए पहले की तरह यू (U) कैटेगरी ही रखा जाए.
6. कमिटी की सिफ़ारिश के मुताबिक़ अगर फ़िल्म इन पांचों श्रेणियों के लिए भी उपयुक्त नहीं हो तब ही सेंसर बोर्ड उसे नामंज़ूर कर सकती है.
हालांकि 1952 के क़ानून की धारा 5 बी ( 1 ) में दी गई शर्तों के मामले में सेंसर बोर्ड के पास पहले जैसे ही अधिकार रहेंगे. इनमें देश के एकता, अखंडता और सुरक्षा जैसे मामले शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक़ सरकार ने बेनेगल कमिटी की ज़्यादातर सिफ़ारिशें मानने का फ़ैसला किया है.
विवादों में सेंसर बोर्ड
पिछले कुछ सालों में कुछ फ़िल्मों में कांट छांट को लेकर सेंसर बोर्ड लगातार विवादों में रहा है. अभी हाल ही में फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' में कांट छांट को लेकर काफ़ी बवाल मचा था. इसके चलते फ़िल्म उद्योग ने बोर्ड की कार्य प्रणाली की कड़ी आलोचना भी की है.