![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
बासु चटर्जीः बॉलीवुड के ऐसे निर्देशक जिनकी फिल्मों ने उठाई आम आदमी की आवाज़
'सारा आकाश', 'रजनीगंधा', 'छोटी सी बात', 'बातों बातों में' हो या फिर 'चमेली की शादी'. इन फिल्मों को देखकर बासु चटर्जी की काबलियत का पता चलता है. बासु चटर्जी की गिनती हिंदी सिनेमा में गंभीर निर्देशकों में होती है.
![बासु चटर्जीः बॉलीवुड के ऐसे निर्देशक जिनकी फिल्मों ने उठाई आम आदमी की आवाज़ Bollywood latest news director Basu Chatterjee's funny movies are Baaton Baaton main Sara Akash Rajinigandha Chhoti si Baat Chameli Ki Shaadi बासु चटर्जीः बॉलीवुड के ऐसे निर्देशक जिनकी फिल्मों ने उठाई आम आदमी की आवाज़](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/01/10221755/basu-Chatterjee.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: बासु चटर्जी के नाम से भले ही कम लोग परचित हों लेकिन उनकी फिल्मों से अधिकतर लोग वाकिफ हैं. बॉलीवुड में मध्यम वर्ग को प्रभावी ढंग से पेश करने वाले बासु चटर्जी अपनी फिल्मों के जरिए गंभीर बात को भी दर्शकों तक बड़ी आसान तरीके से पहुंचाने की क्षमता रखते थे. आज बासु चटर्जी का जन्मदिन है.
'सारा आकाश', 'रजनीगंधा', 'छोटी सी बात', 'बातों बातों में' हो या फिर 'चमेली की शादी'. इन फिल्मों को देखकर बासु चटर्जी की काबलियत का पता चलता है. बासु चटर्जी की गिनती हिंदी सिनेमा में गंभीर निर्देशक की श्रेणी में होती है जिनके लिए फिल्में महज मनोरंजन का साधन नहीं थी. वे सिनेमा को समाज को दिशा देने और उसकी दशा को भी पेश करने का माध्यम मानते थे.
देश में 70 और 80 का दशक फिल्म, थियेटर, साहित्य और कला के लिए एक ऐसा समय था जब इन क्षेत्रों में बहुत काम हो रहा था, नए - नए प्रयोग हो रहे थे. सिनेमा के साथ ही समांतर सिनेमा का दौर शुरू हुआ था. मसाला फिल्मों से इतर देश में पैरलल सिनेमा गंभीर विषयों से जुड़ी कहानियों और समसामयिक यर्थाथ को पेश कर रहा था. कला,साहित्य और सिनेमा के क्षेत्र में यह एक तरह का आंदोलन था.
लेकिन इस सभी के बीच यानि मसाला और पैरलल सिनेमा से अलग एक अलग ही सिनेमा चल रहा था, जिसमें बात हो रही थी आम आदमी की. उसकी दुश्वरियों की, संघर्ष और मुफलिसी की, तमाम परेशानियों से जूझने के बाद भी यह वर्ग कैसे हंसने के बहाने ढूंढता है, इन सभी विषयों पर बासु चटर्जी एक अलग ही तरह फिल्में बना रहे थे, जो दर्शकों को पसंद भी आ रही थीं. उस दौर में ऋषिकेश मुखर्जी भी कुछ इसी तरह की फिल्में बना रहे थे. लेकिन बासु चटर्जी की फिल्मों के किरदार, कहानी और उसे पर्दे पर कहने का उनका तरीका बहुत ही सहज और रोचक था जो दर्शकों को सिनेमा हॉल तक बुला रहा था.
इतने बरस बीत जाने और डिजिटल युग आने के बाद भी उनके फिल्मों का क्रेज कम नहीं हुआ है. आज भी ऑन लाइन देखी जाने वाली हिंदी फिल्मों की लिस्ट में बासु चटर्जी की कोई न कोई फिल्म जगह पा ही जाती है. 'चमेली की शादी', 'बातों बातों में', या फिर 'खट्टा मीठा' ये उनकी कुछ ऐसे फिल्मे हैं जो आज भी पुरानी फिल्मों में सबसे अधिक देखी और पसंद की जाती हैं.
बासु चटर्जी का नाता आगरा और मथुरा से बहुत गहरा रहा है. मथुरा में इन्हें फिल्में देखने का शौक लगा इसके बाद वे मुंबई पहुंच गए. यहां उनकी मदद गीतकार शैलेंद्र ने की. शैलेंद्र ने उनकी मुलाकात बासु भट्टाचार्य से कराई जो उस समय राज कपूर के साथ 'तीसरी कसम' बना रहे थे. इस फिल्म में बासु चटर्जी को असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर ब्रेक मिल गया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा. उनकी पहली फिल्म 'सारा आकाश' थी.
इसके बाद उन्होंने 'रजनीगंधा' फिल्म बनाई. इस फिल्म से उन्हें पहचान मिली और उनकी गिनती गंभीर और सुलझे हुए निर्देशक के तौर पर होने लगी. इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्मों का निर्माण किया जो बेहद सफल रही हैं. इनमें धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की 'दिल्लगी', 'छोटी सी बात', 'शौकीन' और 'खट्टा मीठा' ऐसी फिल्में हैं जिन्हें आज भी पसंद किया जाता है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)