By: अभिनव गोयल, एबीपी न्यूज़ | Updated at : 27 Sep 2016 11:07 PM (IST)
नई दिल्ली: मंच से कॉमरेड को लोरी सुनाने वाला एक आदमी 'मजनूं का टीला' लिए शहर दर शहर दस्तक दे रहा है. राजशेखर सहजता से कहते हैं कि कोसिस को कोशिश बोलने की कोशिश करने के बाद भी मैं कोसिस बोल देता हूं. राजशेखर ने कविताओं को गोष्ठियों से निकाल पोइट्री बैंड बनाया है जिसे ''मजनूं का टीला'' नाम दिया है. उन्होंने 'तनु वेड्स मनु' और 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' के गीत लिखे साथ ही 'बिहार में बहार हो नीतेशे कुमार हो' जैसा सफल पॉलिटिकल एंथम दिया. पेश है गीतकार राजशेखर से खास बातचीत
'मजनूं का टीला' क्या है? ये एक नया प्रयोग है, जिसमें हम कहानियां और कविताएं संगीत के साथ सुनाते हैं. ये एक उम्मीद का नाम है. ये यूटोपिया की तरफ जाती हुई सड़क है, उसी पर एक पगडंडी आती है दरिया पार, ऊबड़-खाबड़, वहीं पर बहुत गहरे नीचे उतरने पर कहीं मिलेगा ''मजनूं का टीला''. खानाबदोश रूह वाले मुहाजिरों की सराय, मुहाजिर ही तो हैं हम सब. किसी शहर, किसी देश, किसी दुनिया में. दरअसल हमारा ठिकाना तो कहीं और है. एक लंबे रास्ते के बाद, मेरी राह में ये टीला मिला जहां रुक कर अपनी रूह से बात कर सकूं. बीते हुए रास्ते, भूलते हुए चेहरे, एक पुरानी अटकी हुई धुन और बांधती-टूटती-बढ़ती उम्मीद के हवाले से भरपूर मुहब्बत के साथ. 'मजनूं का टीला' अब किस नए शहर में दस्तक देगा? इसकी शुरूआत सबसे पहले मुंबई से हुई उसके बाद बैंगलुरू में काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला. भोपाल के बाद दिल्ली और अब अक्टूबर के पहले या दूसरे हफ्ते में लखनऊ में इसे किया जाएगा. हमने कविताओं के साथ म्यूजिक को मिलाकर एक नया प्रयोग किया है जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है. आगे इसमें रमाशंकर विद्रोही के साथ लाल्टू, त्रिलोचन जैसे लोकप्रिय लोगों की कविताओं को भी शामिल किया जाएगा. आने वाले समय में बच्चों के लिए भी 'मजनूं का टीला' आयोजित करने की तैयारी है. अगर आप गीतकार ना होते तो क्या होते? मैंने कॉलेज के दिनों में खूब थियेटर किया. अगर मैं गीतकार ना होता तो अब तक निर्देशक बन जाता. मुझे निर्देशन बहुत पसंद है और मैं निर्देशक ही बनने के लिए सपनों के शहर में बिहार के छोटे से गांव आया था. मैं एक शॉर्ट मूवी पर काम कर रहा हूं जिसे शायद दिल्ली में शूट करें और अगले साल तक आपको देखने को मिले. नए दौर के गीतकारों में आप किसे सबसे अच्छा मानते हैं? अमिताभ भट्टाचार्य, इरशाद भाई, स्वानंद किरकिरे, वरूण, कौसर, अनविता ये सब शानदार काम कर रहे हैं. अमिताभ भट्टाचार्य के तरकश में हर तरह के तीर हैं. अमिताभ आपको इंस्पायर के साथ साथ चैलेंज करता है. एक तरफ वो 'चिकनी चमेली' लिखता है वहीं दूसरी तरफ 'जिंदा हूं यार' लिखता है. उसे टाइपकास्ट नहीं किया जा सकता. वो ऐसा गीतकार है जिसका फोटो हम जल्द ही अपने कमरे में लगाने वाले हैं, फिल्मों में आजकल आइटम गानों की खास डिमांड है. आप क्या सोचते हैं? आमतौर पर आइटम नंबर के लिए हमें कभी फोन ही नहीं आता, लेकिन हम लिखना चाहते हैं. दरअसल आइटम नंबर भी बहुत अच्छे लिखे जा सकते हैं जैसे गुलजार साहब ने 'कजरा रे' लिखा. गीतकारों को आजीवन रायल्टी मिलने वाले बिल को मंजूरी मिलने के बाद आप लोग कितना खुश हैं? ये एक ऐतिहासिक काम है. जिसे जावेद अख्तर साहब ने बहुत अच्छे तरीके से किया. पूरी म्यूजिक फ्रटर्निटी इस काम के लिए उनकी कर्जदार रहेगी.
गीतकार राजशेखर को लिखने के लिए कौन सी बात सबसे ज्यादा प्रेरित करती है? मुझे सबसे ज्यादा प्रेरित गुलजार साहब करते हैं. उनके मुहावरें अभी भी नए हैं. गीत लिखने की अपनी सीमाएं हैं. गीत फिल्मों के हिसाब से लिखे जाते हैं लेकिन साथ ही मैं कोशिश करता हूं कि जो इस देश में जीडीपी बढाने वाले लोग हैं. जो औरतें है घर पे काम कर रही हैं हमारे गीत उनके चेहरे पर खुशी ला सके. जो मजदूर थक कर रात में घर आए उसे हमारा गाना सुनकर नींद आ जाए . गाने ऐसे होने चाहिए जो लोगों को कनेक्ट करें. आपने हिंदी फिल्मों में कई शानदार गाने लिखे. फिलहाल कुछ खास लिख रहे हैं ? अभी मैं इरफान खान की नई फिल्म के लिए गाने लिख रहा हूं. जो जल्दी आपको सुनने को मिलेंगे.
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