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IAS Success Story: बिहार के एक छोटे से गांव से निकलकर IAS बनने तक, ऐसा था दिव्या शक्ति का यह सफर

साल 2019 में 79वीं रैंक के साथ टॉप करने वाली मुजफ्फरपुर बिहार की दिव्या शक्ति ने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है. जानते हैं उनसे यूपीएससी परीक्षा को लेकर उठने वाले कुछ कॉमन सवालों के जवाब.

Success Story Of IAS Topper Divya Shakti: बिहार की दिव्या ने अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी सीएसई 2019 परीक्षा में 79वीं रैंक हासिल करके टॉपर्स की सूची में जगह बनायी है. यूं तो यह दिव्या का दूसरा अटेम्पट था पर इसे पहला कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि सबसे पहला अटेम्पट उन्होंने बिना तैयारी के केवल यह देखने के लिए कि यह परीक्षा होती कैसी है, दे दिया था. हालांकि दिव्या ने यह साफ भी किया कि केवल परीक्षा देने से आप कभी नहीं जान सकते कि आखिर यह परीक्षा कैसी है और इसके लिए कैसे तैयारी करनी है. यूपीएससी परीक्षा की तैयारी को लेकर अभी तक हमने कई बार बहुत सी चर्चा की पर आज दिव्या द्वारा साफ किए गए कुछ उन मुद्दों पर बात होगी जो सामान्यतः यूपीएससी कैंडिडेट्स के मन में आते हैं और उनका जवाब मिलना भी आसान नहीं होता.

 आप यहां दिव्या शक्ति द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं

दिव्या की शुरुआत –

दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में दिव्या कहती हैं कि वे उन कैंडिडेट्स में से नहीं आती जिनका बचपन का सपना यूपीएससी होता है. दरअसल उन्होंने तो बहुत बाद में यह तय किया कि उन्हें किस क्षेत्र में जाना है. यूपीएससी देने के डिसीजन पर दिव्या कैसे आयीं यह जानने से पहले यह जान लेते हैं कि उनका बैकग्राउंड क्या है. दिव्या ने बिट्स पिलानी से बीटेक किया है, यानी कि सबसे पहले दिव्या बनीं इंजीनियर. इसके बाद उन्होंने अपना मास्टर्स किया इकोनॉमिक्स में. इन दोनों डिग्रियों के बाद उन्होंने नौकरी करने की योजना बनाई और एक अच्छी कंपनी में कुछ दिन नौकरी की. यहां अपने काम से वे संतुष्ट थी पर कुछ और पाने की इच्छा लगातार उनके मन में चल रही थी. दिव्या के कुछ सीनियर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे तो कुछ पास भी कर चुके थे. यहीं से उनके मन में भी यूपीएससी का बीज पड़ा.

काफी समय लगा यह तय करने में कि करना क्या है –

यूपीएससी करना है कि नहीं या क्या करना है इसको लेकर दिव्या एक लंबे समय तक असमंजस में रही. वे बाकी कैंडिडेट्स को भी यही सलाह देती हैं कि अपने लक्ष्य को लेकर साफ न होना या क्या करना चाहते हैं इसे तय करने में समय लगना गलत नहीं है. अगर आपको समझ नहीं आता कि आपकी मंजिल क्या है और किस क्षेत्र में कैरियर बनाना आपके लिए ठीक रहेगा तो इसमें परेशानी की कोई बात नहीं. जितना समय आपको लगे, लगाइये और आराम से तय करिए कि अंततः आपकी खुशी किस क्षेत्र में है. पर एक बार तय करने के बाद जी-जान से उसे पाने में जुट जाइये.

दिव्या अपना केस बताती हैं कि उन्होंने पूरा एक साल विभिन्न परीक्षाएं दीं ताकि जान पाएं कि आखिर वे किस क्षेत्र में जाना चाहती हैं. वह भी मास्टर्स करने के बाद. अमूमन कोई भी व्यक्ति इस समय तक जान चुका होता है कि कैरियर को क्या दिशा देनी है. लेकिन दिव्या को यह कहने में जरा भी संकोच नहीं कि उन्होंने करीब एक साल का समय लगाया अपने लिए सही रास्ता बनाने में.

 

यूपीएससी को लेकर भी साफ रखें गोल –

दिव्या आगे कहती हैं कि यूपीएससी देने के पीछे का आपका मकसद भी साफ होना चाहिए. इस परीक्षा में मंजिल इतनी देर से मिलती है कि अगर मोटिवेशन तगड़ा नहीं होगा तो कम समय में ही खत्म हो जाएगा. इसलिए किसी की देखा-देखी, इस पद की शान आदि से प्रभावित होकर फैसला न करें. मोटिवेशन इससे कहीं ज्यादा बड़ा होना चाहिए क्योंकि जब आप पहली बार में भी परीक्षा पास कर लेते हैं तो भी कम से कम दो साल का समय लग जाता है. ऐसे में खुद को लगातार मेहनत करने के लिए प्रेरित करने के पीछे बड़ा मकसद होना जरूरी है. दिव्या ने भी पहले इस परीक्षा के बारे में सारी जानकारी हासिल की साथ ही यह पता किया कि यह सर्विस होती क्या है और सेलेक्शन के बाद किस तरह का काम उन्हें करना होगा, उसमें कैसी चुनौतियां आएंगी वगैरह तब सारे डाउट्स क्लियर होने पर आगे कदम बढ़ाया. एक साल की गंभीर तैयारी ने दिव्या को मंजिल तक पहुंचा दिया.

तीन महत्वपूर्ण सवाल –

दिव्या कहती हैं कि यूपीएससी परीक्षा ही देनी है यह तय करने के बाद तीन काफी जरूरी सवाल हैं जो अक्सर कैंडिडेट्स के मन में आते हैं. पहला तो यह कि ऑप्शनल कैसे चुनें. इस बारे में दिव्या कहती हैं कि यूपीएससी में दिए विषयों में से जिन विषयों में से आप कंफ्यूज हों उनकी एनसीईआरटी की किताबें उठाकर पढ़ें और तय करें कि किस में आपको सबसे अधिक रुचि है. इसके अलावा जो विषय आप चुन रहे हैं, उसकी किताबें व अन्य सोर्स उपलब्ध हैं या नहीं. इसके बाद भी समझ न आए तो पिछले साल के पेपर देख लें. इससे आप ऑप्शनल चुन पाएंगे. दूसरा सवाल है कि कोचिंग लें या नहीं. इसका जवाब दिव्या देती हैं कि यह आपके ऊपर है, जहां तक बात मैटीरियल की है तो वह ऑनलाइन उपलब्ध है, जितना चाहें उतना मैटिरियल पा सकते हैं. गाइडेंस भी टॉपर्स टॉक के रूप में मिल जाएगा. दिव्या ने खुद न जाने कितने वीडियो देखे फिर अपने लिए फैसले लिए. हां अगर ऑप्शनल की कोचिंग लेना चाहे तो ले सकते हैं. तीसरा जरूरी प्रश्न आता है कि क्या जॉब के साथ परीक्षा पास की जा सकती है. इसके जवाब में दिव्या कहती हैं कि हां, बिलकुल जॉब के साथ यह एग्जाम पास किया जा सकता है. यह उस व्यक्ति की क्षमताओं पर निर्भर करता है.

बाकी इन बिंदुओं के अलावा भी अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो इंटरनेट पर सर्च कर सकते हैं. टॉपर्स टॉक में आपको लगभग अपने हर प्रश्न का जवाब मिल जाएगा.

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