By: ABP News Bureau | Updated at : 29 Sep 2016 09:33 PM (IST)
नई दिल्ली: नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट की समीक्षा और मौद्रिक नीति की दशा-दिशा तय करने के लिए मौद्रिक नीति कमेटी के गठन का काम पूरा हो गया है. अब उम्मीद है कि 4 अक्टूबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा का काम नयी कमेटी करेगी.
वित्त मंत्रालय ने कमेटी के लिए सरकार के तीन मनोनित सदस्यों के नाम का ऐलान कर दिया. कमेटी में सरकार की ओर से भारतीय सांख्यिकी संस्थान के चेतन घाटे, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की पमी दुआ और आईआईएम अहमदाबाद के आर एच ढोलकिया सदस्य होंगे. वहीं रिजर्व बैंक की ओर से गवर्नर उर्जित पटेल, मौद्रिक नीति विभाग के प्रभारी डिप्टी गवर्नर आर गांधी और कार्यकारी निदेशक माइकल पात्रा सदस्य होंगे. उर्जित पटेल कमेटी के मुखिया होंगे.

कमेटी के पूरी तरह से गठन के साथ ही नीतिगत ब्याज दर में फेरबदल करने का मामला अब केवल आरबीआई गवर्नर के कार्यक्षेत्र में नहीं रहेगा. अभी तक आरबीआई गवर्नर मौद्रिक नीति की दशा-दिशा तय करने और नीतिगत ब्याज दर में फेरबदल पर तमाम लोगों की राय सुनते थे, लेकिन अंतिम फैसला उनका खुद का होता था. लेकिन अब ये काम कमेटी करेगी. कमेटी में किसी भी प्रस्ताव पर मतदान होगा और बहुमत के आधार पर फैसला होगा. वैसे तो समिति के हर सदस्य के पास एक मत होगा, लेकिन गवर्नर के पास दूसरा मत भी होगा जिसका वो इस्तेमाल प्रस्ताव पर 'टाई' की सूरत में कर सकेंगे.
हम आपको बता दें कि नीतिगत ब्याज दर दरअसल वो दर है जिसपर रिजर्व बैंक तमाम सरकारी और निजी बैंकों को बहुत ही कम समय (1-3 दिन) के लिए कर्ज देता है. भले ही ये कर्ज थोड़े समय के लिए हो, लेकिन इस पर ब्याज दर में फेरबदल हर तरह के कर्ज, चाहे वो घर कर्ज हो, वाहन के लिए कर्ज हो या फिर उद्योग जगत को दिया जाने वाला कर्ज हो, पर ब्याज दर की चाल को प्रभावित करता है. इसीलिए नीतिगत ब्याज को लेकर इतनी उत्सुकता बनी रहती है. एक और बात, पहले केवल मौद्रिक नीति के समीक्षा के दौरान ही नीतिगत ब्याज दर में फेरबदल होता था, लेकिन रघुराम राजन के कार्यकाल के दौरान ये तय हुआ कि ये फेरबदल कभी भी किया जा सकता है.
कमेटी के लिए नीतिगत ब्याज दर में फेरबदल का प्रमुख आधार खुदरा महंगाई दर की मौजूदा स्थिति होगी. सरकार पहले ही अगले पांच सालों के लिए खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य 4 फीसदी तय कर चुकी है जिसमें 2 फीसदी तक कमीबेशी मंजूर होगी, यानी ये ज्चादा से ज्यादा 6 फीसदी और कम से कम दो फीसदी तक जा सकती है. महंगाई दर को लक्ष्य के मुताबिक सीमित रखने की जवाबदेही रिजर्व बैंक पर होगी. लक्ष्य हासिल नहीं होने की सूरत में रिजर्व बैंक को सफाई देनी होगी.
फिलहाल, कमेटी के लिए अच्छी खबर ये है कि अगस्त के महीने में खुदरा महंगाई दर में कमी आयी है और ये पांच दशमलव शून्य पांच (5.05) फीसदी पर आ गयी है. चूंकि ये लक्ष्य के दायरे में है, इसीलिए उम्मीद की जा रही है कि शायद कमेटी अपनी पहली बैठक में नीतिगत ब्याज दर चौथाई फीसदी तक घटा दे. ये कमी इसलिए भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि उद्योग की विकास दर निगेटिव हो चली है.
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