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Opinion : बिलकिस बानो का दर्द इस देश ने देखा, ज्यूडिशियरी देश की बहनों के साथ, भारत के संविधान से कोई ऊपर नहीं 

बिलकिस बानो गैंगरेप केस में आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. फैसला बिलकिस बानो के हक में आया. बिलकिस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों को फिर से जेल भेजने का आदेश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दो हफ्ते के अंदर अपराधियों को आत्मसर्मपण करना होगा. 2002 में गुजरात में दंगे के दौरान इन अपराधियों ने बिलकिस बानो का सामूहिक बलात्कार किया था, उस समय बिलकिस बानो गर्भवती थी. इतना ही नहीं 14 लोगों की हत्या भी कर दी गई थी जिसमें बिलकिस बानो की तीन साल की बेटी भी शामिल थी. 

देश की बेटियों के लिए डरावना सपना

ये जजमेंट देश की 50 प्रतिशत आबादी के लिए बहुत खुशी की बात है क्योंकि बिलकिस बानो के साथ जो किया गया था और जिस तरह से यह क्राइम हुआ था, और फिर इन 11 अपराधियों को रेमिशन पॉलिसी के अंतगर्त कवर नहीं किया जा रहा था, फिर अपराधियों को छोड़ दिया गया. रेमिशन पॉलिसी में गैंगरेप और मॉर्डर केस कवर नहीं हो रहें थे जिसके बाद कमेटी ने ये सुझाव दिया गया की इनको छोड़ दिया जाए क्योंकि इनका कंडक्ट अच्छा था. जब इन्हें छोड़ा गया तब सबने मीडिया के माध्यम से यह देखा था कि इनका स्वागत किस तरीके से किया गया. जिस तरह से महिलाएं अपने सेफ्टी सिक्योरिटी को लेकर लड़ रही है, परेशान है, एनसीआरबी का डेटा कहता है कि इंडिया का कन्विक्शन रेट बहुत ही निचले स्तर पर है.

जब ऐसे मामले आते है कि अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा मिली है और उन अपराधियों को सजा के बाद जेल से रिहा कर दिया जाता है. ये देश की बेटियों के लिए बहुत ही डरावना सपना होता है. क्योंकि एक तरफ सिक्योरिटी की बात की और दूसरी तरफ ऐसे अपराधियों को छोड़ दिया गया. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट बहुत ही अच्छा है. हम देश की आबादी को एक बहुत बड़ा मैसेज दे रहे है कि हमारे देश की जुडिशरी देश की बहनाओं के साथ है. 

गुजरात सरकार के डिसीजन में महाराष्ट्र सरकार की कंसर्न थी जरूरी

ये क्राइम गुजरात में हुआ था और इस क्राइम में जिस पुलिस ने इंवेस्टिगेशन किया, उसको भी बाद में आरोपी बनाया गया क्योंकि उन्होंने सही ढंग से इंवेस्टिगेशन नहीं किया. पुलिस के साथ - साथ डॉक्टर्स को भी आरोपी बनाया गया और ये मैटर गुजरात से महाराष्ट्र में चला गया फिर महाराष्ट्र में इसका ट्रायल चला. गुजरात सरकार ने जो डिसीजन लिया था उसने महाराष्ट्र सरकार की कंसर्न जरूरी थी लेकिन इन्होनें ऐसा नहीं किया जो कि रूल ऑफ लॉ के अगेंस्ट है. ये ऑब्जर्वेशन भी सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने दिया है. जिस ग्राउंड पर अपराधियों को छोड़ा गया था वो सभी फेल हो गए और बिलकिस बानो की जीत हुई. दो हप्ते के अंदर इन्हें जेल भेज दिया जाएगा. 

अपराधी, अपराधी ही है

हमारे भारत के संविधान से कोई ऊपर नहीं है और संविधान भारत के नागरिकों की रक्षा करता है. कोई भी सरकार हो, सरकार का प्रथम उद्देश्य ही अपने देश के नागरिकों के राइट्स को प्रोटेक्ट करने और उनके वेलफेयर के लिए होना चाहिए. लेकिन जब ऐसा नहीं होता है और निरंकुश तरीके से अगर सरकारें कोई भी निर्णय लेंगी तो लोगों की ह्यूमन राइट्स को प्रोटेक्ट करने के लिए हमारी जुडिशरी बैठी हुई है. हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने ये मैसेज दिया है कि कोई भी निरंकुश होकर काम नहीं कर सकता और जो पावर आपको जनता द्वारा दी गई है उसका गलत इस्तेमाल नहीं करना है, जो क्रिमिनल है वे है, वो किसी भी कास्ट, क्लास कहीं का भी हो अपराधी अपराधी ही है. अगर इस तरह की चीजें होंगी तो देश में असल में लॉ रूल काम करेगा. लॉ रूल के द्वारा ही उन्हें अरेस्ट किया गया था जो कि बेहद जरूरी था. 

बिलकिस बानो का दर्द इस देश ने देखा 

बिलकिस बानो जो कि एक गैंग रेप पीड़िता थी, उनकी बेटी का उनके सामने मर्डर किया गया और ये देश अपने देश की बेटियों के चाहें वो किसी भी कास्ट, क्लास, रिलिजन की हो, देश उनके साथ खड़ा है, देश की सरकारें भी खड़ी है और देश की जुडिशरी भी खड़ी है. कुछ लोग लॉ को गुमराह करके चीजें अपने फेवर में करवा लेते है. ये चीजें चौबीस वीं शताब्दी में जहां पर मीडिया और हर जगह पर कोई भी चीज आज के समय में छूपी नहीं रह सकती है. अब नहीं लगता है कि लोग इसका पॉलिटिकल फायदा उठा पाएंगे. अपराधियों का क्या रोल प्ले हो सकता है पॉलिटिकल सिनेरियो में, अपराधी तो अपराधी ही रहेगा, वो सामने आकर वोट नहीं मांग सकते.

आपने देखा होगा की कितनी आलोचना की गई थी जब इन लोगों की हर मीडिया डिस्कशन और डिबेट में पिक्चर दिखाई जा रही है कि ये वहीं अपराधी है जिन्होंने गैंगरेप और मर्डर किया है. उसके बाद इनका माला डालकर स्वागत किया गया, जैसे पता नहीं इन्होंने देश का कितना अच्छा काम किया था. बिलकिस बानो का दर्द इस देश ने और सभी ने देखा और सभी यहीं चाह रहे थे. भले ही कुछ लोग अपनी धारणा की वजह से बात न करें कि नहीं ये जजमेंट स्वागत करने वाला है. देश का जो संविधान और जो उसकी जो प्रिएम्बल है कि ये न्याय हर किसी के लिए होना चाहिए, वो सबसे आगे आ जाता है और वैसा ही मैसेज सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया से आया है. लोग लूप होल का प्रयोग कर लेते है या गुमराह कर लेते है और गुमराह करने से कोई चीज अपने फेवर में कर लेते है.

जजमेंट के आने से आत्मबल बढ़ेगा 

17 महीने से ये अपराधी बाहर थे और अब फिर से उन्हें जेल भेजा जा रहा है. इससे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने इससे यह मैसेज देने की कोशिश की है कि रूल ऑफ लॉ से आगे कोई नहीं है. बिलकिस के लिए ही नहीं ये इस देश की हर बेटी के लिए, देश की 50 प्रतिशत आबादी के लिए एक अच्छी खबर है. बिलकिस बानो यह कहने लगी थी कि मै देश की बेटी नहीं हूं. आज वो बहुत ही ज्यादा अच्छा फील कर रही होंगी. हमारा देश ऐसे अहराधियों को छोड़ता नहीं है. कोई भी अपराध करके, क्या चीजों को गुमराह करके इस तरह से छोड़कर वापस आ सकता है तो फिर हमारी जुडिशरी हमारे कानून का मतलब क्या है तो ऐसे में जो पीड़ित, शोषित होते है और देश की सभी महिलाओं का मनोबल टूटता है. वो ऐसा सोचने लगती है कि हम किसके पास जाए.

जब ऐसे अपराधियों को कोर्ट सजा दे देती है और कुछ लोग उन्हें छुड़वा ले रहे है. तो उनका मनोबल टूटने लगता है. जब उनके साथ क्राइम होता है तब वो सोचती है कि अगर आज हम एफआईआर भी कराएंगे तो कल तो उनको छोड़ ही दिया जाएगा. इस वजह से वो चुपाचाप शांत रहकप घर में बैठ जाती है और एक दर्द में रहती है. लेकिन इस जजमेंट के आने से उनमें यह आत्मबल बढ़ेगा कि लड़ाई लंबी जरूर हो सकती है लेकिन हम सफल होंगे. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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