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Opinion: साम्प्रदायिक दंगे की आग में जले नूंह का जानिए कैसा रहा है इतिहास

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के नूंह में जिस तरह से साम्प्रदायिक हिंसा भड़की उसने तनाव को लेकर पुलिस-प्रशासन को समझ पाने में विफलता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर वो इलाका जिसका इतिहास बेहद दागदार रहा है.

नूंह का ये इलाका इंडिया के 'सिंगापुर' कहे जाने वाले गुरुग्राम से महज 57 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है, जहां पर दिल्ली से तीन घंटे में ड्राइव कर पहुंचा जा सकता है. ये क्षेत्र देश के सबसे पिछड़े हुए इलाकों में से एक है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे) डेटा के मुताबिक, नूंह की सिर्फ 51 फीसदी महिलाएं ही शिक्षित हैं और ये जिला उत्तर भारत में राजस्थान के भरतपुर के बाद सबसे गरीब जिला है.

हरियाणा में नूंह वो इलाका है जहां पर सबसे ज्यादा लड़कियो की शादी समय पूर्व ही कर दी जाती है. करीब एक तिहाई लड़कियों की शादी 18 साल होने से पहले ही कर दी जाती है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, नूंह में सिर्फ 15.5 फीसदी लोग ही परिवार नियोजन अपनाते हैं और सिर्फ 2.6 फीसदी कंडोम का इस्तेमाल करते हैं.

हरियाणा का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र

नीति आयोग की 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीमित रोजगार के अवसर, अशिक्षा, स्किल डेवलपमेंट को लेकर सुविधाओं की कमी और कृषि मजदूरी की दयनीय स्थिति के चलते इस जिले के सिर्फ 27 फीसदी लोग ही रोजगार से जुड़े हैं. अगर मुस्लिम आबादी की बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक उस वक्त देश के 640 जिलों में से नूंह संख्या के मामले में 14वें नंबर पर था, जबकि हरियाणा में मुस्लिम आबादी के लिहाज से ये सबसे बड़ा जिला है.

सत्ताधारी बीजेपी सरकार ने नूंह को पिछड़े जिलों की सूची में रखा है. हालांकि, यूपीए सरकार ने भी इस पर अपना फोकस रखा था. अपराध के मामले में नूंह अव्वल रैंक पर है. इसके बावजूद पिछले पांच वर्षों के दौरान ऐसा कोई भी साम्प्रदायिक दंगा यहां देखने को नहीं मिला था. हालांकि, गौ तस्करी से जुड़ी कई घटनाएं सामने आई थी. हरियाणा के करीब तीन चौथाई गौ तस्करी का केस इसी जिले से है.

पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक औसत रूप से नूंह में हरियाणा गौवंश संरक्षण और गौसंवर्धन अधिनियम के तहत करीब 15 केस हर महीने दर्ज किए जाते हैं. ये कानून गौ हत्या या इसके खाने को प्रतिबंधित करता है. हाल में वारिस खान और मवेशी व्यापारी जुनैद और नासिल की हत्या ने क्षेत्र में गौ रक्षकों की तरफ लोगों का ध्यान खींचा है, खासकर इस घटना में मोनू मानेसर का नाम आने के बाद.

नूंह का दागदार इतिहास

नूंह पिछले तीन वर्षों के दौरान साइबर अपराध का गढ़ बन गया है, खासकर सोशल मीडिया पर सेक्सटॉर्शन, फर्जी वर्क फ्रॉम होम ऑफर, फर्जी प्रोफाइल के जरिए हनी ट्रैप कर लोगों को फंसाया जाता है. गृह मंत्रालय का हाल का ये आंकड़ा कहता है कि मेवात के साथ ही राजस्थान का भरतपुर और अलवर, यूपी का मथुरा और हरियाणा के नूंह ने साइबर अपराधों के मामले में झारखंड के जामताड़ा का स्थान ले लिया है.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में साइबर अपराध के 52 हजार 974 मामले दर्ज किए गए, जो उसके पिछले साल की तुलना में 11 फीसदी ज्यादा थे. इनमें करीब 12 फीसदी केस नूंह में दर्ज किए गए.

नूंह हिंसा के बारे में सोशल और पॉलिकल एक्टिविस्ट रामजान चौधरी ने एबीपी की डिजिटल टीम के साथ बात करते हुए बताया कि नूंह में वीएचपी की यात्रा के दौरान जो कुछ हुआ वो एक आकस्मिक घटना नहीं थी बल्कि इसके लिए बहुत दिनों से कोशिशें की जा रही थी. उनका कहना है कि खासतौर से जो नफरत पसंद लोग हैं वो इस तरह के बीज बो रहे थे कि बदनामी फैलाई जा सके. उनका कहना है कि पिछली बार भी यात्रा के दौरान उपद्रव करने वालों ने कोशिश की थी, लेकिन सुलह हो गया था. लेकिन, इस बार जिस तरह मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी ने वीडियो के जरिए चैलेंज दिया और नूंह के लोगों ने उस चैलेंज को स्वीकार किया, उससे माहौल पहले से ही काफी गरम हो गया था. साथ ही, लोगों में एक दूसरे को लेकर अविश्वास की भावना काफी भर गई थी. लोग टकराने के लिए तैयार हो गए थे. इस गरम माहौल को नूंह प्रशासन को अवगत कराया गया, लेकिन इतने इनपुट आने के बावजूद जिला प्रशासन या तो समझ नहीं पाया या फिर उनकी लापरवाही रही या फिर उनकी सोची समझी साजिश रही. क्योंकि जिस तरह के इनपुट थे, उधर से चैलेंज दिए जा रहे थे और दूसरी तरफ से स्वीकार किए जा रहे थे, ऐसे में हिंसा होना तो तय था.

रमजान चौधरी बताते हैं कि स्थानीय लोग बिल्कुल लड़ना नहीं चाहते हैं. मेवात में शांति और भाईचारा रहा है. आज भी एक-दूसरे को वहां लोगों ने बचाने की कोशिश की है. लेकिन जब भीड़ में तब्दील कर नफा नुकसान किया गया है, तो ये सच है कि इन चीजों को करने के लिए उकसाया गया है. इसके पीछे कोई मास्टरमाइंड है. आज भी इस मुश्किल घड़ी में हमने एक-दूसरे को बचाया है, ये हमारी संस्कृति है.

वीएचपी ने कहा- बच्चों,महिलाओं पर पत्थर फेंकना कैसे उचित?

दूसरी तरफ विश्व हिन्दू परिषद के इंटर नेशनल वर्किंग प्रसिडेंट आलोक कुमार ने एबीपी डिजिटल टीम के साथ बात करते हुए बताया कि ये यात्रा हर साल निकलती है, पहली बार नहीं निकली. शांतिपूर्ण यात्रा थी. ऐसे में हरियाणा सरकार और इंटेलिजेंस की ये विफलता इसलिए है क्योंकि न तो सरकार को पूर्व सूचना हुई ताकि पुलिस की पर्याप्त व्यवस्था हो पाती. उन्होंने बताया कि इसके लिए उचित कार्रवाई होनी जरूरी है. आलोक कुमार ने आगे बताया कि पिछली बार जितने पुलिसबल थे वो सुरक्षा करते थे, लेकिन इस बार अधिकतर छुट्टी पर थे.

उन्होंने आगे बताया कि नूंह की घटना के आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई होनी चाहिए. इसके साथ ही, मोनू मानेसर के वीडियो पर आलोक कुमार ने बताया कि वो वीडियो पिछले साल का है, इसको शरारतपूर्वक किसने ये सोशल मीडिया पर डाला ये पुलिस जांच करे ताकि तथ्य सामने आए. उन्होंने कहा कि एक मिनट के लिए मान ही लीजिए कि मोनू मानेसर उस यात्रा में ही रहा था तो क्या पत्थर मारना, महिला और बच्चों पर लाठियां और पत्थर चलाना कहां तक ठीक है? 

जाहिर है नूंह में हुई हिंसा के बाद इस वक्त ऐसे कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. लेकिन, इसमें कोई शक नहीं कि इस हिंसा के लिए जितना जिम्मेदार बिट्टू बजरंगी और मोनू मानेसर जैसे भड़काऊ लोग हैं तो वहीं दूसरी तरफ इंटेलिजेंस इनपुट पर सरकार का एक्शन न लेना भी उतना ही जिम्मेदार है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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