एक्सप्लोरर
Advertisement
BLOG: 20 साल बाद हिंदमाता की वही तस्वीर, वही तकदीर!
20 सालों में न तो मुंबई के हिंदमाता की तस्वीर बदली और न बारिश में बुरा हाल भुगत रहे मुंबईवालों की तकदीर. यहां की गलियों और दुकानों में ठीक वैसे ही पानी भर जाता है जैसे कि 20 साल पहले भरता था.
1999 से लेकर 2019 के बीच मुंबई काफी बदली है. शहर में मोनो और मेट्रो ट्रेन चलना शुरू हो गईं हैं. काली-पीली टैक्सियां कम हुईं है और उनकी जगह ओला, उबर ले रही हैं. 12 डिब्बों वाली लोकल ट्रेनें अब 15 डिब्बों की हो रही हैं. कुछ लोकल ट्रेन स्टेशनों के नाम भी बदल गए हैं. बांद्रा-वर्ली सीलिंक और ईस्टर्न फ्रीवे जैसे फर्राटेदार रास्ते शहर को मिले हैं. मुंबई हवाई अड्डा वर्ल्ड क्लास बन गया है. इस शहर में काफी कुछ बदला है लेकिन इन 20 सालों में अगर कुछ नहीं बदला है तो वो है दादर के हिंदमाता जंक्शन की तस्वीर.
पुरानी मुंबई के बीचोंबीच बसे दादर को इस शहर का दिल भी कहा जा सकता है. सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे के मुसाफिर दादर स्टेशन पर ही ट्रेनें बदलते हैं. फुटकर सामान की बिक्री का दादर बड़ा बाजार है और यहां हर वक्त भीड़ नजर आती है. इसी दादर से होकर गुजरने वाली सड़क पर मौजूद है हिंदमाता जंक्शन. इस चौराहे का नाम हिंदमाता यहां मौजूद हिंदमाता सिनेमा की वजह से पड़ा. चौराहे के पास ही हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता दिवंगत भगवान दादा का घर है. अपने जीवन के अंतिम दिन उन्होंने यहीं गुजारे थे. हिंदमाता से गुजरने वाली सड़क दक्षिण और मध्य मुंबई को शहर के उत्तरी और उत्तर-पूर्वी उपनगर से जोड़ती है.
अब आपको बताते हैं कि ये हिंदमाता देशभर में मशहूर (या बदनाम) कैसे हो गया. 1999 में मैंने अपनी टीवी पत्रकारिता का करियर एक प्रोडक्शन हाऊस से शुरू किया था जो दूरदर्शन के लिये आधे घंटे का शो बनाता था और साल 2001 में एक 24 घंटे के समाचार चैनल में तब्दील हो गया. उस वक्त सिर्फ 2 ही निजी न्यूज चैनल हुआ करते थे और ओबी वैन का इस्तेमाल मुंबई में नहीं होता था. अगस्त 1999 का पहला हफ्ता था जब मुंबई में तेज बारिश हुई. ग्रांट रोड, भायखला और परेल में रिपोर्टिंग करने के बाद मैं दोपहर करीब 1 बजे हिंदमाता पहुंचा. यहां का हाल बेहद बुरा था. कमर तक पानी भरा था, कई वाहन इंजन और साईलेंसर में पानी जाने की वजह से बंद हो गये थे, आसपास की दुकानों में पानी भर गया था. इसी चौराहे पर सेंट पॉल नाम का स्कूल है जहां बच्चों को छुट्टी दे दी गई थी. जिन बच्चों के मां-बाप वहां पहुंच सके थे उनके सामने बच्चों को सुरक्षित घर वापस ले जाने की चुनौती थी. बीएमसी के कर्मचारियों ने मेन हॉल खोल दिया था लेकिन बारिश इतनी तेज थी कि जलस्तर कम ही नहीं हो रहा था. कमर से उपर तक जमा गंदे और मटमैले पानी में चलते हुए मुझे घिन आ रही थी. इससे पहले शहर के जिन-जिन इलाकों में कवरेज करके मैं हिंदमाता पहुंचा उन सबकी तुलना में मुझे हिंदमाता की हालत ही सबसे बदतर नजर आई. यहां पानी भरने का एक प्रभाव ये भी था कि उपनगरों से दक्षिण और मध्य मुंबई के बीच वाहनों की आवाजाही बंद हो गई थी. वहां से तैयार की गई मेरी रिपोर्ट रात 10 बजे टीवी पर दिखाई गई.
2 साल बाद साल 2001 में जिस प्रोडक्शन हाऊस में मैं काम करता था वो एक 24 घंटे के न्यूज चैनल में तब्दील हो गया. उस साल मानसून में मैने हिंदमाता से पहली बार ओबी के जरिये लाइव किया और वही हाल दिखाया जो 2 साल पहले साल 1999 में दिखा था. ये बात अब सबको पता चल गई थी कि दक्षिण और मध्य मुंबई के बीच सबसे ज्यादा जलजमाव वाली जगह हिंदमाता ही है. साल 2003 में मैं स्टार न्यूज से जुडा जो बाद में एबीपी न्यूज हो गया. चैनल बदल गया था लेकिन साल दर साल इसी हिंदमाता से मेरी रिपोर्टिंग का सिलसिला कायम रहा. कोई ऐसा साल नहीं छूटा जब मैने बारिश में हिंदमाता से रिपोर्टिंग न की हो. इस बीच कई सारे और भी हिंदी और मराठी के न्यूज चैनल लॉन्च हो गये और सभी मानसून के दौरान इस हिंदमाता की तस्वीरें लाइव दिखाने लगे और इस जगह को एक “राष्ट्रीय पहचान” मिल गई.
इस साल ये बीसवां मानसून था जब मैंने इस हिंदमाता पर जलजमाव की रिपोर्टिंग की. यहां 20 साल पहले शूट की गई मेरी पहली रिपोर्ट और इस बार की रिपोर्ट में कोई अंतर नहीं था. कहने के लिये शब्द भी वही थे और दिखाने के लिये तस्वीरें भी वही. वो सेंट पॉल स्कूल आज भी वहीं है और इस बार भी बेहाल माता-पिता अपने बच्चों को सुरक्षित घर ले जाने के लिये यहां दिखाई दिये. अगल बगल की गलियों और दुकानों में ठीक वैसे ही पानी भरा था जैसे कि 20 साल पहले. अगर मेरी 20 साल पुरानी उस रिपोर्ट को वैसे ही आज वापस दिखा दिया जाये तो उसमें कोई फर्क नजर नहीं आयेगा. 20 सालों में न तो यहां की तस्वीर बदली और न ये हाल भुगत रहे मुंबईवालों की तकदीर.
26 जुलाई 2005 की प्रलयंकारी बारिश के बाद मुंबई में Brihanmumbai Storm Water Disposal System (BRIMSTOWAD) नाम का प्रोजेक्ट शुरू किया गया था ताकि शहर में जमा बारिश के पानी की जल्द निकासी हो. इस प्रोजेक्ट के तहत 2017 में रे रोड के पास ब्रिटानिया पंपिंग स्टेशन शुरू किया गया. इस पंपिंग स्टेशन की वजह से हिंदमाता का पानी पहले के मुकाबले थोड़ा पहले तो निकल जाता है, लेकिन चंद घंटो तक लोगों को बेहाल करने और सड़क बंद करने से पहले नहीं. BRIMSTOWAD योजना नाकाफी साबित हो रही है. माना कि चेरापूंजी के बाद भारत में जिन भौगौलिक क्षेत्रों में सबसे ज्यादा बारिश होती है उनमें महाराष्ट्र का कोंकण भी एक है और मुंबई भी उसी में आता है, लेकिन ये बात कोई आज तो पता चली नहीं है. जाहिर है देश की सबसे अमीर मुंबई महानगरपालिका में घुसा हुआ भ्रष्टाचार, लापरवाह रवैया और दूरदृष्टि का अभाव हिंदमाता की सूरत बदलने नहीं दे रहाहै. ऐसे में इसी हिंदमाता में रह चुके भगवान दादा पर फिल्माया गया मशहूर गीत याद आता है – भोली सूरत दिल के खोटे...नाम बड़े और दर्शन छोटे.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, Blog और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Blog
आनंद कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
Advertisement
ट्रेडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
बिहार
महाराष्ट्र
नौकरी
महाराष्ट्र
for smartphones
and tablets
and tablets