एक्सप्लोरर

BLOG: युवा मतदाताओं के लिए चुम्बक बनता जा रहा है नोटा

साल 2015 से भारत के हर प्रत्यक्ष चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की शोभा बढ़ाने वाला गुलाबी रंग का नोटा बटन मतदाताओं के लिए चुम्बक बना हुआ है. भारत निर्वाचन आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के दिसंबर 2013 में आए निर्णय के बाद विधानसभा चुनावों के लिए ईवीएम में नोटा बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे, जो आगे चलकर जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में अमल में लाया जाने लगा. गुलाबी रंग वैसे भी प्रेम का रंग माना जाता है. यह अकारण नहीं है कि युवा मतदाता एन ओ टी ए यानी नन ऑफ द अबव यानी नोटा के प्रेम में पड़ गए हैं. परीक्षाओं में विद्यार्थियों को अक्सर अंतिम विकल्प देखने को मिलता है- उपर्युक्त में से कोई नहीं यानी नोटा. इसका इशारा यह होता है कि ऊपर के सभी विकल्प गलत हो सकते हैं, जो कई बार सही भी निकलता है. लेकिन भारत के जनप्रतिनिधि चुनावों में इस्तेमाल होने वाला नोटा तो यकीनन यही संदेश देता है कि मतदाता की नजर में मतदाता पत्र पर उल्लिखित सारे ही प्रत्याशी नाकारे हैं.

आखिर किसी के पक्ष या विपक्ष में मतदान करने का अर्थ अपना मत जाहिर करना ही तो होता है. लेकिन ऐसे लोग क्या करें जो अपना मत किसी के पक्ष में नहीं देना चाहते और इसीलिए मतदान करने नहीं निकलते. निर्वाचन आयोग का इरादा यह था कि नोटा को सारे चुनावों में लागू करके लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाए रखा जाए. इसमें उसे सफलता भी मिली है. लेकिन विफलता दूसरे तरह की है. पहले मतदाता अनुत्साह और मोहभंग के चलते मतदान करने नहीं पहुंचते थे, अब प्रत्याशियों से भरोसा उठ जाने के चलते अतिउत्साह में नोटा का बटन दबाने पहुंचना चाहते हैं. यह गलत उम्मीदवार देने के कारण किसी पार्टी के प्रति यह अपना विरोध जताने के तौर पर भी देखा जाता है.

राजनीति का अपराधीकरण रोकने और जनता के आक्रोश को ‘सेफ्टी वॉल्व’ देने के लिए नोटा का प्रावधान किया गया था पर अभी ऐसा कोई दावा नहीं किया जा सकता कि इसका जोर शहरी क्षेत्रों में अधिक है या ग्रामीण क्षेत्रों में, अधिक पढ़े-लिखे वर्ग में है या कम पढ़े-लिखे वर्ग में. लोकसभा चुनावों में पिछली बार पुदुचेरी ने सर्वाधिक 3% मत नोटा को दिए. लेकिन इतना तो तय है कि इसकी लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है. भले ही अभी नोटा दबाने वालों का प्रतिशत नगण्य कहा जा रहा है लेकिन कम अंतर से हार-जीत की स्थिति में यह विकल्प अपनाने से वह प्रत्याशी जीत सकता है, जिसे हराने का इरादा मतदाता रखते हैं. किसी सीट पर अगर विजेता के कुल मतों से अधिक मत नोटा को मिल जाएं तो भी विजेता को कोई फर्क नहीं पड़ता. इसीलिए राजनीतिक दल इसे गंभीरता से नहीं ले रहे थे.

लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान जब तमिलनाडु में एक एनजीओ टीएमयूके ने बाकायदा नोटा दबाने का अभियान चलाया और जागरूक किया कि भले ही किसी को अपना मत न दीजिए, लेकिन आपका मत कोई और न डाल दे इसलिए नोटा दबाने अवश्य पहुंचिए, तो राजनीतिक दलों के कान खड़े हो गए. अभियान का नतीजा यह निकला कि पूरे राज्य में 8 लाख से ज्यादा मत नोटा को चले गए और पांच अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में 16 लाख से अधिक मतदाताओं ने नोटा की शरण ली. पीयूसीएल संस्था की 2004 से चली अदालती लड़ाई के बाद हासिल हुआ नोटा का अधिकार फिलहाल एक नख-दंत विहीन विकल्प है. इससे नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ता. यहां तक कि उम्मीदवारों की जमानत जब्त करने के लिए भी नोटा के वोटों को जोड़ा-घटाया नहीं जाता. यद्यपि कानूनन नोटा को मिले मत अयोग्य मत हैं, इसके बावजूद नोटा के प्रति अतिउत्साह प्रदर्शित करके रोमांचित होने वाले युवाओं का प्रतिशत बढ़ता ही जा रहा है. चूंकि हमारे देश में लगभग 65% मतदाता युवा हैं, इसलिए यह चलन शोचनीय एवं चिंतनीय है.

लेकिन चूंकि नोटा ‘राइट टु रिजेक्ट’ नहीं है इसलिए इसकी कोई कीमत नहीं है. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति उन निर्वाचन क्षेत्रों में फिर से चुनाव कराने की वकालत कर चुके हैं, जहां जीत का अंतर नोटा मत संख्या की तुलना में कम रहा और विजयी उम्मीदवार एक तिहाई मत जुटाने में भी नाकाम रहे. उनके अनुसार भारत में फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट निर्वाचन प्रणाली अब अपनी उपयोगिता ख़त्म कर चुकी है. लेकिन फिलहाल न तो देश का सर्वोच्च न्यायालय ऐसा मानता है न भारत निर्वाचन आयोग. शीर्ष अदालत की एक प्रमुख पीठ ने तो यहां तक कहा था कि ऐसा करके वे लोकतंत्र की हत्या नहीं कर सकते क्योंकि भारत में चुनाव कराना बहुत जटिल और खर्चीला काम है. उसने राज्यसभा के चुनावों में यह कहते हुए नोटा की इजाजत नहीं दी कि ये अप्रत्यक्ष चुनाव हैं.

आंकड़ेबाजी करें तो पिछले विधानसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में 8,31,835 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था, जो कुल मतदान का 1.5% था. तमिलनाडु में 5,57,888 नोटा दबाया तो केरल जैसे छोटे और साक्षरता संपन्न राज्य में 1 लाख 7 हजार लोगों ने नोटा चुना. बिहार विधानसभा चुनाव में नोटा को 9 लाख 47 हज़ार 276 मत मिले जो कुल मतों का 2.5% था. लोकसभा चुनावों के दौरान करीब 60 लाख लोगों ने 2014 में पहली बार उपलब्ध हुए नोटा का विकल्प चुना था जो देश में 21 पार्टियों को मिले मतों से ज़्यादा था! अगर सभी 543 सीटों पर हुए मतदान पर नज़र डालें तो करीब 1.1% वोटरों ने नोटा का विकल्प चुना. आश्चर्य इस बात का भी है कि लोकप्रियता के शिखर पर बैठे तब के पीएम उम्मीदवार की वड़ोदरा सीट पर भी 18053 मत नोटा को गए थे और पूरे गुजरात में 5 लाख 54 हज़ार 880 मतदाताओं यानी 1.8% ने नोटा चुना था! गुजरात विधानसभा चुनावों में नोटा मतों की संख्या कांग्रेस एवं भाजपा को छोड़कर किसी भी अन्य पार्टी के मतों की संख्या से अधिक थी.

उपर्युक्त आंकड़े संकेत देते हैं कि अगर समय रहते नोटा को धारदार नहीं बनाया गया तो मतदाता एक बार फिर उदासीन हो जाएंगे, जिसका निश्चित ही हमारे लोकतंत्र के लिए दूरगामी और नकारात्मक असर होगा.

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://twitter.com/VijayshankarC

और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'प्रियंका गांधी को संसद में प्रदूषण पर बोलने से रोका', किरेन रिजिजू का कांग्रेस पर बड़ा आरोप
'प्रियंका गांधी को संसद में प्रदूषण पर बोलने से रोका', किरेन रिजिजू का कांग्रेस पर बड़ा आरोप
'विपक्ष नहीं चाहता लोकतंत्र हो मजबूत', SIR पर टिप्पणी करने वालों को CM योगी ने दिया दो टूक जवाब
'विपक्ष नहीं चाहता लोकतंत्र हो मजबूत', SIR पर टिप्पणी करने वालों को CM योगी ने दिया दो टूक जवाब
'अगर ऐसा हुआ तो और बुरी तरह...', सीरिया में एयरस्ट्राइक के बाद ट्रंप ने ISIS को दी क्यों दी चेतावनी?
'अगर ऐसा हुआ तो और बुरी तरह...', सीरिया में एयरस्ट्राइक के बाद ट्रंप ने ISIS को दी क्यों दी चेतावनी?
Akhanda 2 Box Office Collection Day 8:  नंदमुरी बालकृष्ण की 'अखंडा 2' ने 8 दिनों में कर ली तगड़ी कमाई, शतक लगाने के लिए चाहिए बस इतने करोड़
'अखंडा 2' ने 8 दिनों में कर ली तगड़ी कमाई, शतक लगाने के लिए चाहिए बस इतने करोड़
ABP Premium

वीडियोज

Kullu Fire Breaking: हिमाचल के कुल्लू में आग से हड़कंप...दो गौशाला जलकर हुई | Himachal Pradesh
Epstein Files:   एपस्टीन स्कैंडल की नई फाइलें रिलीज, फाइलों में माइकल जैक्सन की भी तस्वीरें
जिंदा जिस्म में 69 गोलियों का बारूद !
बाजार में बेची जा रही बाबरी मस्जिद-हुमायूं कबीर वाली टी-शर्ट
अपने कारनामे पर अब भी क्यों खामोश है Nitish?

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'प्रियंका गांधी को संसद में प्रदूषण पर बोलने से रोका', किरेन रिजिजू का कांग्रेस पर बड़ा आरोप
'प्रियंका गांधी को संसद में प्रदूषण पर बोलने से रोका', किरेन रिजिजू का कांग्रेस पर बड़ा आरोप
'विपक्ष नहीं चाहता लोकतंत्र हो मजबूत', SIR पर टिप्पणी करने वालों को CM योगी ने दिया दो टूक जवाब
'विपक्ष नहीं चाहता लोकतंत्र हो मजबूत', SIR पर टिप्पणी करने वालों को CM योगी ने दिया दो टूक जवाब
'अगर ऐसा हुआ तो और बुरी तरह...', सीरिया में एयरस्ट्राइक के बाद ट्रंप ने ISIS को दी क्यों दी चेतावनी?
'अगर ऐसा हुआ तो और बुरी तरह...', सीरिया में एयरस्ट्राइक के बाद ट्रंप ने ISIS को दी क्यों दी चेतावनी?
Akhanda 2 Box Office Collection Day 8:  नंदमुरी बालकृष्ण की 'अखंडा 2' ने 8 दिनों में कर ली तगड़ी कमाई, शतक लगाने के लिए चाहिए बस इतने करोड़
'अखंडा 2' ने 8 दिनों में कर ली तगड़ी कमाई, शतक लगाने के लिए चाहिए बस इतने करोड़
सूर्यकुमार यादव के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रही दक्षिण अफ्रीका टी20 सीरीज, आंकड़े देख सिर पकड़ लेंगे आप
सूर्यकुमार यादव के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रही दक्षिण अफ्रीका टी20 सीरीज, आंकड़े देख सिर पकड़ लेंगे आप
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
उस्माद हादी की हत्या, यूनुस सरकार पर शक, ISI भी शामिल? बांग्लादेश में बवाल की 3 थ्योरी
उस्माद हादी की हत्या, यूनुस सरकार पर शक, ISI भी शामिल? बांग्लादेश में बवाल की 3 थ्योरी
NFSU में नौकरी का बेहतरीन मौका, ये कैंडिडेट्स फटाफट करें अप्लाई
NFSU में नौकरी का बेहतरीन मौका, ये कैंडिडेट्स फटाफट करें अप्लाई
Embed widget